शशि थरूर

आतंक के खिलाफ भारत की निर्णायक कार्रवाई ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के नाम को शशि थरूर ने ‘बेहतरीन चुनाव’ बताया

नई दिल्ली,5 जून (युआईटीवी)- भारत की ओर से हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के जवाब में शुरू किए गए “ऑपरेशन सिंदूर” को लेकर अमेरिका में आयोजित संवाद सत्र में कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने इसके नाम, प्रतीकात्मकता और उद्देश्य पर विस्तार से प्रकाश डाला। इस संवाद सत्र में थरूर की अगुवाई में एक सर्वदलीय भारतीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल ने हिस्सा लिया और भारत के आतंकवाद विरोधी रुख को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर मजबूती से रखा।

यह प्रतिनिधिमंडल अमेरिका से पहले ब्राजील की यात्रा पर था और अब अमेरिका में विभिन्न मंचों पर “ऑपरेशन सिंदूर” के संदर्भ में भारत की स्थिति और संवेदना को साझा कर रहा है।

22 अप्रैल, 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम की बैसरन घाटी में पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों ने एक निर्दोष तीर्थ यात्रियों के समूह पर घातक हमला किया। इस हमले में 26 लोग मारे गए,जिनमें 25 भारतीय नागरिक और एक नेपाली नागरिक शामिल था। कई अन्य गंभीर रूप से घायल हुए।

हमले की क्रूरता ने पूरे देश को झकझोर दिया। विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों के सामने पतियों को गोली मारने जैसे अमानवीय कृत्य ने भारत में व्यापक आक्रोश फैलाया। ऐसी ही घटनाओं के खिलाफ भारत ने आतंकियों को करारा जवाब देने के लिए 7 मई को “ऑपरेशन सिंदूर” शुरू किया।

अमेरिका के नेशनल प्रेस क्लब में संवाददाता सम्मेलन के दौरान जब थरूर से पूछा गया कि आतंकवाद विरोधी इस अभियान को “ऑपरेशन सिंदूर” नाम क्यों दिया गया, तो उन्होंने इस नाम की गहरी सांस्कृतिक और भावनात्मक व्याख्या दी।

थरूर ने कहा,“ऑपरेशन सिंदूर,वास्तव में, मुझे एक शानदार नाम लगता है। सिंदूर भारतीय समाज में विवाहित महिलाओं की माँग में लगाया जाने वाला एक पवित्र चिन्ह है। यह न केवल हिंदू परंपरा में बल्कि कुछ गैर-हिंदू समुदायों में भी प्रचलित है। यह शादी की निशानी है और महिलाओं के जीवन का अहम हिस्सा है।”

उन्होंने बताया कि आतंकियों ने इस हमले में पतियों को पत्नियों और बच्चों के सामने मार दिया,लेकिन महिलाओं को जानबूझकर जीवित छोड़ा गया,ताकि वे गवाह बनकर समाज में आतंक और डर फैला सकें। एक महिला जब आतंकियों से बोली कि “मुझे भी मार दो”,तो उन्होंने जवाब दिया – “नहीं, तुम जाओ और सबको बताओ हमने क्या किया है।”

थरूर ने कहा कि, “इस हमले में कम-से-कम 26 भारतीय महिलाओं का सिंदूर मिटा दिया गया। यह सिर्फ हिंदू महिलाएँ नहीं थीं,बल्कि उनमें से एक ईसाई महिला भी थी,लेकिन बाकी सभी के माथे का सिंदूर इन आतंकियों ने जबरन मिटा दिया। इसी बात ने इस ऑपरेशन का नाम ‘सिंदूर’ रखने को प्रेरित किया।”

थरूर ने कहा कि सिंदूर का रंग लाल होता है,जो खून के रंग से अलग नहीं है। इसी बात को स्पष्ट करते हुए उन्होंने हिंदी की एक कहावत का जिक्र किया – “खून का बदला खून” और उसे थोड़े परिवर्तित स्वरूप में प्रस्तुत किया, “यहाँ यह ‘सिंदूर का बदला खून’ है,यानी आतंकियों ने जो सिंदूर के साथ किया,उसका जवाब उन्हें खून से दिया जाएगा।”

उनके इस बयान ने स्पष्ट कर दिया कि भारत अब आतंक के प्रति केवल प्रतीक्षारत या रक्षात्मक नहीं रहेगा,बल्कि सशस्त्र और निर्णायक कार्रवाई करेगा।

इस संवाद सत्र का उद्देश्य केवल एक अभियान के नाम का स्पष्टीकरण भर नहीं था, बल्कि इसके माध्यम से भारत ने अमेरिका और वैश्विक समुदाय के सामने यह स्पष्ट किया कि अब वह सीमा पार आतंकवाद को केवल निंदा और चिंता के स्तर पर नहीं लेगा,बल्कि उसके जमीनी जवाब भी देगा।

प्रतिनिधिमंडल ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर केवल एक सैन्य प्रतिघात नहीं है,बल्कि यह मानवता के खिलाफ किए गए अपराधों का बदला है,जो पारिवारिक ताने-बाने को छिन्न-भिन्न करने की मंशा से किए गए थे।

भारत ने यह संदेश भी दिया कि वह अपनी कार्रवाई को केवल सैन्य स्तर तक सीमित नहीं रखेगा,बल्कि उसे वैश्विक स्तर पर नैतिक और राजनीतिक समर्थन से भी जोड़ने की कोशिश करेगा। अमेरिका जैसे रणनीतिक साझेदार देश में प्रतिनिधिमंडल की मौजूदगी इसी दिशा में एक कदम है।

भारत का उद्देश्य यह भी है कि पाकिस्तान की भूमिका को वैश्विक मंच पर उजागर किया जाए और उसे आतंकवाद के पनाहगाह के रूप में चिन्हित किया जाए।

थरूर ने अपने बयान में दोहराया कि भारत की इस कार्रवाई का मकसद सिर्फ प्रतिशोध नहीं है,बल्कि यह एक प्रतीकात्मक लड़ाई है। सिंदूर के पवित्र प्रतीक के माध्यम से पारिवारिक मूल्यों,महिलाओं की गरिमा और मानवीय संवेदनाओं की रक्षा की लड़ाई।

उन्होंने यह भी कहा कि भारत की यह पहल न केवल देशवासियों के लिए,बल्कि पूरी दुनिया के उन लोगों के लिए प्रेरणा है,जो आतंकवाद से त्रस्त हैं।

“ऑपरेशन सिंदूर” सिर्फ एक सैन्य कार्रवाई नहीं है। यह भारत के सांस्कृतिक प्रतीकों, मानवीय मूल्यों और सामूहिक चेतना की रक्षा का अभियान है। शशि थरूर और प्रतिनिधिमंडल ने अमेरिका में इसकी जो व्याख्या की,वह वैश्विक मंच पर भारत की आतंकवाद विरोधी नीति के नए आत्मविश्वास और स्पष्टता का परिचायक है।

भारत अब यह संदेश दे रहा है कि, “जो सिंदूर मिटाया गया है,उसका जवाब केवल शोक से नहीं,बल्कि निर्णायक प्रतिघात से दिया जाएगा।”