'बाहुबली' रॉकेट एलवीएम 3

एलवीएम3 ने रचा इतिहास: इसरो ने 6,100 किलोग्राम का सबसे भारी पेलोड लॉन्च कर बढ़ाया भारत का अंतरिक्ष कद

श्रीहरिकोटा,24 दिसंबर (युआईटीवी)- भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने बुधवार को एक और ऐतिहासिक उपलब्धि अपने नाम दर्ज कर ली। संगठन ने अपने शक्तिशाली एलवीएम3 रॉकेट की मदद से अब तक का सबसे भारी पेलोड अंतरिक्ष की कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित किया। 6,100 किलोग्राम वजन वाले इस पेलोड में अमेरिकी ब्लू बर्ड ब्लॉक-2 स्पेसक्राफ्ट शामिल था,जिसे पूर्व निर्धारित कक्षा में सटीकता के साथ पहुँचाया गया। इस मिशन ने न केवल तकनीकी क्षमता का नया मानक स्थापित किया,बल्कि भारत की बढ़ती वाणिज्यिक लॉन्च शक्ति का भी दुनिया भर में प्रदर्शन किया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस उपलब्धि को भारतीय अंतरिक्ष यात्रा का महत्वपूर्ण पड़ाव बताते हुए कहा कि एलवीएम3-एम6 का सफल प्रक्षेपण आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक बड़ी छलांग है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि यह मिशन भारत की हेवी-लिफ्ट लॉन्च क्षमता को मजबूत करता है और वैश्विक कमर्शियल लॉन्च बाजार में भारत की भूमिका को और सुदृढ़ बनाता है। प्रधानमंत्री ने इसरो के वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को उनकी निरंतर मेहनत और उत्कृष्टता के लिए बधाई देते हुए कहा कि भारत अंतरिक्ष के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों को निरंतर छू रहा है।

एलवीएम3, जिसे पहले जीएसएलवी-एमके3 के नाम से जाना जाता था,इसरो का सबसे शक्तिशाली लॉन्च वाहन माना जाता है। यह रॉकेट भारी उपग्रहों को भू-स्थिर और निम्न कक्षाओं में स्थापित करने की क्षमता रखता है। वर्षों में कई सफल मिशनों के बाद,एलवीएम3 ने खुद को एक भरोसेमंद और सटीक प्लेटफॉर्म के रूप में स्थापित किया है। नवीनतम मिशन ने साबित कर दिया कि भारत न केवल अपने वैज्ञानिक लक्ष्यों के लिए बल्कि दुनिया के देशों और निजी कंपनियों के लिए भी विश्वसनीय लॉन्च भागीदार बन चुका है।

केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने भी इसरो की टीम की सराहना करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम लगातार नए मापदंड स्थापित कर रहा है। उन्होंने लिखा कि ब्लू बर्ड ब्लॉक-2 को ले जाने वाले एलवीएम3-एम6 मिशन की सफलता भारत की तकनीकी दक्षता और संगठनात्मक क्षमता को फिर से प्रमाणित करती है। उनके अनुसार,हर सफल मिशन के साथ यह स्पष्ट हो रहा है कि अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में भारत की भागीदारी अब केवल अनुसंधान तक सीमित नहीं,बल्कि वैश्विक औद्योगिक पारिस्थितिकी तंत्र में एक निर्णायक भूमिका तक पहुँच चुकी है।

राजनीतिक और वैज्ञानिक हलकों के अलावा,उद्योग जगत में भी इस मिशन को लेकर उत्साह देखा गया। भाजपा के प्रवक्ता प्रदीप भंडारी ने कहा कि भारत ने अपने अंतरिक्ष शक्ति के क्षेत्र में एक नई ऊँचाई हासिल की है। उन्होंने उल्लेख किया कि ब्लू बर्ड-6 जैसे भारी सैटेलाइट को सटीकता के साथ ऑर्बिट में स्थापित कर इसरो ने मिशन को अत्यंत पेशेवर ढंग से अंजाम दिया। उनके अनुसार,प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम “महत्वाकांक्षा से अमल” की दिशा में आगे बढ़ा है और जो कभी दूर का सपना लगता था,वह आज निरंतर उपलब्धियों का हिस्सा बन चुका है।

इस मिशन का वाणिज्यिक महत्व भी कम नहीं है। अंतरिक्ष सेवाओं के वैश्विक बाजार में उपग्रह प्रक्षेपण की माँग लगातार बढ़ रही है। कई निजी कंपनियाँ और अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियाँ ऐसे देशों की तलाश में हैं,जो कम लागत पर विश्वसनीय और सुरक्षित लॉन्च सेवाएं प्रदान कर सकें। एलवीएम3 की यह सफलता भारत को उसी श्रेणी में मजबूती से खड़ा करती है। इसरो की वाणिज्यिक इकाइयों के लिए यह अवसर विदेशी आय बढ़ाने,तकनीकी साझेदारियों को गहरा करने और आने वाले वर्षों में कई नए अनुबंध हासिल करने का मार्ग प्रशस्त करता है।

तकनीकी दृष्टि से देखें तो इस मिशन ने जटिल कक्षा-अनुरेखण,उच्च सटीकता वाले नेविगेशन और शक्तिशाली थ्रस्ट कंट्रोल जैसी चुनौतियों को बखूबी सँभाला। 6,100 किलोग्राम के भारी पेलोड को संरक्षित रखना और सही समय पर उसे पृथक्कृत कर निर्धारित कक्षा में स्थापित करना अत्यंत जटिल प्रक्रिया होती है। इसरो के मिशन कंट्रोल ने इन सभी चरणों को योजनानुसार संपन्न किया,जिससे दुनिया के सामने भारत की इंजीनियरिंग क्षमता और मिशन प्रबंधन का बेहतरीन उदाहरण प्रस्तुत हुआ।

इसरो के वैज्ञानिक मानते हैं कि एलवीएम3 की सफलता भविष्य के कई बड़े मिशनों के लिए निर्णायक साबित होगी। चाहे वह आगामी मानव अंतरिक्ष मिशन ‘गगनयान’ हो या फिर गहरे अंतरिक्ष में वैज्ञानिक अन्वेषण—भारी पेलोड क्षमता हर जगह उपयोगी है। इसरो अब ऐसी तकनीकों पर काम कर रहा है जो पुनःप्रयोग योग्य रॉकेट प्रणालियों,उन्नत क्रायोजेनिक इंजनों और अधिक सटीक ऑर्बिटल तंत्रों को विकसित कर सकें।

इस उपलब्धि का एक मनोवैज्ञानिक प्रभाव भी है। यह देश के युवाओं और वैज्ञानिक समुदाय के लिए प्रेरणा का स्रोत बन रही है। स्कूल-कॉलेजों में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के प्रति रुचि लगातार बढ़ रही है और इसरो की कामयाबियों ने यह भरोसा मजबूत किया है कि भारत अपनी चुनौतियों के बावजूद विश्व स्तरीय नवाचार कर सकता है।

फिलहाल पूरा देश इस सफलता पर गर्व महसूस कर रहा है। एलवीएम3-एम6 मिशन ने यह साबित कर दिया कि भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम परिपक्व,विश्वसनीय और दूरदर्शी है। जैसे-जैसे नए मिशन आगे बढ़ेंगे,उम्मीद की जा रही है कि भारत न केवल वैज्ञानिक सीमाओं को आगे बढ़ाएगा,बल्कि अंतरिक्ष को आर्थिक अवसरों और वैश्विक सहयोग का भी नया मंच बनाएगा। इसरो की यह उपलब्धि उसी यात्रा में एक बड़ा, ऐतिहासिक कदम है।