निक्की हेली

निक्की हेली ने ट्रंप के भारत पर टैरिफ फैसले को बताया ‘विनाशकारी गलती,मजबूत साझेदारी बनाए रखने की दी नसीहत

वाशिंगटन,21 अगस्त (युआईटीवी)- अमेरिका और भारत के बीच लंबे समय से चले आ रहे रणनीतिक और आर्थिक संबंध इस समय नए तनाव का सामना कर रहे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर 50 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगाने के फैसले ने न केवल आर्थिक जगत में हलचल मचा दी है,बल्कि अमेरिकी राजनीति के भीतर भी इस पर गहन बहस छिड़ गई है। इस फैसले का विरोध अब उनकी अपनी पार्टी की वरिष्ठ नेता और दक्षिण कैरोलिना की पूर्व गवर्नर निक्की हेली ने किया है। हेली ने अमेरिका की प्रतिष्ठित पत्रिका न्यूजवीक में प्रकाशित एक लेख में ट्रंप की इस नीति की आलोचना करते हुए इसे “काउंटर प्रोडक्टिव” यानी उल्टा असर डालने वाला बताया।

निक्की हेली का कहना है कि भारत पर इतने बड़े पैमाने पर टैरिफ लगाना न केवल भारत-अमेरिका के वर्षों पुराने मजबूत रिश्तों को कमजोर करेगा,बल्कि इससे स्वयं अमेरिका को भी भारी नुकसान उठाना पड़ेगा। उन्होंने साफ शब्दों में लिखा है कि भारत को कमजोर करने की कोशिश एक “बड़ी और टाली जा सकने वाली गलती” होगी। उनके मुताबिक,भारत का विकास पूरी दुनिया के लिए एक अवसर है,न कि खतरा। भारत को चीन की तरह देखने की कोशिश करना रणनीतिक रूप से बेहद नुकसानदेह साबित हो सकता है।

दरअसल,अमेरिका ने भारत पर 50 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगाने का निर्णय रूस से कच्चा तेल खरीदने के चलते लिया है। इस फैसले के तहत पहले ही 25 प्रतिशत टैरिफ लागू हो चुका है,जबकि बाकी 25 प्रतिशत टैरिफ 27 अगस्त से लागू किया जाएगा। ट्रंप प्रशासन का तर्क है कि रूस से भारत की बड़ी मात्रा में तेल खरीदना अमेरिकी हितों के खिलाफ है। मगर निक्की हेली का मानना है कि भारत को दंडित करने का यह तरीका गलत है,क्योंकि इससे न केवल द्विपक्षीय संबंध प्रभावित होंगे बल्कि एशिया में अमेरिकी रणनीतिक बढ़त भी कमजोर होगी।

हेली ने अपने लेख में भारत को अमेरिका का एक “बहुमूल्य स्वतंत्र और लोकतांत्रिक साझेदार” बताते हुए कहा कि भारत का महत्व इस समय पहले से कहीं अधिक बढ़ गया है। उनके अनुसार,एशिया में चीन का प्रभुत्व तेजी से बढ़ रहा है और ऐसे में भारत ही एकमात्र ऐसा देश है,जो इस संतुलन को बिगाड़ सकता है। यदि अमेरिका भारत को सहयोगी की बजाय प्रतिद्वंद्वी मानने लगेगा,तो यह 25 वर्षों की साझेदारी की गति को अचानक रोक देने जैसा होगा और इसके परिणाम बेहद गंभीर होंगे।

हेली ने यह भी कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था में वह क्षमता है,जिससे वह अमेरिका के लिए सप्लाई चेन का एक मजबूत विकल्प बन सकता है। चीन पर अत्यधिक निर्भरता से बचने के लिए भारत जैसे लोकतांत्रिक देश को आगे लाना ही अमेरिका के हित में है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि टेक्सटाइल,सस्ते मोबाइल फोन और सोलर पैनल जैसे उत्पाद तत्काल घरेलू स्तर पर बड़े पैमाने पर उत्पादन करना अमेरिका के लिए संभव नहीं है। इस स्थिति में भारत इन जरूरतों को पूरा करने की क्षमता रखता है।

अपने लेख में हेली ने अमेरिका को एक तरह से चेतावनी दी है कि भारत को दुश्मन मानने की बजाय उसे अवसर के रूप में देखना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत,मध्यपूर्व में सुरक्षा की दृष्टि से बेहद अहम भूमिका निभा सकता है। अमेरिका जैसे-जैसे इस क्षेत्र में अपनी सैन्य और आर्थिक मौजूदगी कम कर रहा है,भारत की रणनीतिक अहमियत बढ़ती जा रही है। यही वजह है कि भारत को साझेदार के रूप में साथ रखना जरूरी है,क्योंकि वह चीन के लिए एक सशक्त चुनौती बन सकता है।

निक्की हेली ने ट्रंप की नीति पर सवाल उठाते हुए कहा कि भारत के साथ टकराव मोल लेने से अमेरिका की विदेश नीति कमजोर होगी। उन्होंने इसे “रणनीतिक आपदा” तक करार दिया। उनके अनुसार,भारत न केवल आर्थिक रूप से बल्कि राजनीतिक और सामरिक दृष्टि से भी अमेरिका का सबसे बड़ा सहयोगी हो सकता है। खासकर एशिया में चीन की बढ़ती ताकत को संतुलित करने के लिए अमेरिका को भारत की जरूरत है।

लेख में हेली ने यह भी उल्लेख किया कि भारत के साथ रिश्ते सामान्य बनाए रखना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि भारत लोकतंत्र,स्वतंत्रता और वैश्विक स्थिरता का समर्थक है। चीन के उलट भारत का विकास बाकी दुनिया के लिए भी लाभकारी साबित हो सकता है। ऐसे में भारत को दुश्मन मानना और उस पर कठोर आर्थिक दंड लगाना अमेरिका की अपनी स्थिति को कमजोर करेगा।

यह पहली बार नहीं है,जब निक्की हेली ने ट्रंप की नीतियों पर सवाल उठाए हों। हालाँकि,इस बार उनकी टिप्पणी बेहद अहम है,क्योंकि यह सीधे भारत जैसे अहम साझेदार से जुड़ा मामला है। उनकी बातों से साफ झलकता है कि वे भारत को अमेरिका के लिए दीर्घकालिक रणनीतिक संपत्ति मानती हैं। उनका यह लेख ऐसे समय में सामने आया है,जब भारत और अमेरिका के बीच आर्थिक वाणिज्यिक तनाव लगातार बढ़ रहा है।

विशेषज्ञों का मानना है कि निक्की हेली की यह आलोचना अमेरिकी राजनीति में गहरी गूँज पैदा कर सकती है। एक ओर जहाँ ट्रंप प्रशासन भारत के प्रति कठोर रुख दिखा रहा है,वहीं दूसरी ओर उनकी ही पार्टी की वरिष्ठ नेता इस फैसले को नुकसानदेह बता रही हैं। इससे यह भी संकेत मिलता है कि अमेरिका के भीतर भारत की अहमियत को लेकर सहमति बनी हुई है और ट्रंप की टैरिफ नीति को लेकर व्यापक असहमति पनप रही है।

निक्की हेली ने अपने लेख के जरिए यह स्पष्ट संदेश दिया है कि अमेरिका को भारत को साझेदार की तरह देखना चाहिए,न कि प्रतिद्वंद्वी की तरह। उनका यह तर्क न केवल राजनीतिक दृष्टि से बल्कि आर्थिक और सामरिक दृष्टि से भी वजनदार है। अब देखना यह होगा कि ट्रंप प्रशासन उनकी बातों को कितनी गंभीरता से लेता है और क्या आने वाले समय में भारत-अमेरिका संबंधों में इस टकराव का कोई समाधान निकल पाता है या नहीं।