भाजपा की नजर अब लोकसभा-विधानसभा उप-चुनावों पर

भोपाल 15 अगस्त (युआईटीवी/आईएएनएस)| मध्यप्रदेश में आगामी समय में होने वाले तीन विधानसभा और एक लोकसभा क्षेत्र के उप चुनावों की तारीखों का ऐलान भले न हुआ हो मगर सत्ताधारी दल भारतीय जनता पार्टी ने इन उप चुनावों की तैयारियां तेज कर दी हैं। संगठन ने पूरा ध्यान देने के साथ इन उपचुनावों क्षेत्रों में सक्रियता भी बढ़ाना शुरू कर दिया है, प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा भी इन क्षेत्रों का दौरा शुरू करने वाले हैं।

राज्य में आगामी समय में पृथ्वीपुर, रैगांव और जोबट विधानसभा क्षेत्रों के अलावा खंडवा लोकसभा क्षेत्र में उप चुनाव होने वाले हैं। इन चुनावों से राज्य केंद्र की सरकार पर तो कोई असर नहीं पड़ेगा, मगर राज्य में सियासी माहौल जरूर बनेगा और इसका असर इन उप चुनाव के बाद संभावित नगरीय निकाय और पंचायतों के चुनाव पर पड़ना तय माना जा रहा है।

आगामी समय में राज्य में जिन चार क्षेत्रों में उप-चुनाव प्रस्तावित है उनमें से रैगांव विधानसभा और खंडवा लेाकसभा क्षेत्र पर भाजपा का कब्जा था तो पृथ्वीपुर व जोबट विधानसभा क्षेत्र कांग्रेस के पास थे ।

भाजपा इन उपचुनावों को गंभीरता से ले रही है। इसके संकेत पार्टी ने पहले ही दे दिए हैं क्योंकि खंडवा लोकसभा क्षेत्र के हर विधानसभा क्षेत्र में पदाधिकारियों के साथ मंत्रियों की भी तैनाती की गई है। इसके अलावा अन्य तीनों विधानसभा क्षेत्रों में मंत्री और संगठन के लोगों को जवाबदारी सौंपी गई है। उप-चुनाव की जिम्मेदारी जिन नेताओं पर सौंपी गई है उन्हें भी अपनी क्षमता को साबित करना होगा।

पहले विधानसभा क्षेत्रों में मंत्री और संगठन के पदाधिकारियों की नियुक्ति हुई और उसके बाद अब प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा भी तीन दिवसीय दौरे पर निकल रहे हैं । वे जोबट विधानसभा के अलावा खंडवा लोकसभा क्षेत्र का भी दौरा करने वाले हैं। इस प्रवास के दौरान शर्मा अलग-अलग स्तर पर बैठकर करेंगे और पार्टी के पदाधिकारियों से संवाद भी करेंगे।

सूत्रों का कहना है कि भाजपा प्रदेशाध्यक्ष शर्मा का यह दौरा उम्मीदवार के चयन के लिहाज से महत्वपूर्ण रहने वाला है, क्योंकि खंडवा लोकसभा और जोबट विधानसभा के लिए एक से ज्यादा नाम पार्टी के सामने आ रहे है। जोबट आदिवासी बाहुल्य सीट है। यहां से कांग्रेस के उम्मीदवार ने जीत दर्ज की थी और अब भाजपा इस सीट को चुनौती मानकर चल रही है।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा दमोह उप-चुनाव में मिली हार के बाद सर्तक है और किसी भी तरह की चूक नहीं करना चाहती। यही कारण है कि उसने संगठन और सरकार के लेागों केा मोर्चे पर लगा दिया है। जमीनी स्तर से फीडबैक जुटाया जा रहा है, रणनीति बनाई जा रही है, मगर इन चुनावों में चुनौती भी पार्टी के सामने कम नहीं रहने वाली।

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