भूकंप

जापान के आओमोरी में 6.7 तीव्रता का भूकंप,उत्तरी तटों पर सुनामी अलर्ट,पिछले भूकंपों की चेतावनी ने बढ़ाई चिंता

टोक्यो,13 दिसंबर (युआईटीवी)- जापान में शुक्रवार को भूकंप के तेज झटकों ने एक बार फिर लोगों में दहशत फैल दी। 6.7 तीव्रता के इस भूकंप का केंद्र आओमोरी प्रांत के प्रशांत तट के पास 20 किलोमीटर की गहराई में स्थित था। स्थानीय समयानुसार सुबह 11:44 बजे आए इस झटके ने उत्तरी जापान के कई इलाकों में जमीन को जोर से हिला दिया। इसके बाद जापान मौसम विज्ञान एजेंसी (जेएमए) ने होक्काइडो,आओमोरी,इवाते और मियागी क्षेत्रों के लिए सुनामी की एडवाइजरी जारी कर दी,जिसमें एक मीटर तक ऊँची लहरें उठने की आशंका जताई गई।

जेएमए ने शुरुआत में भूकंप की तीव्रता 6.5 बताई थी,लेकिन बाद में इसे संशोधित करते हुए 6.7 दर्ज किया। जापान के 7-पॉइंट सीस्मिक स्केल पर इस भूकंप की तीव्रता सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों में 4 दर्ज की गई,जो मध्यम से तेज झटकों को इंगित करता है। भूकंप का केंद्र 40.9 डिग्री उत्तरी अक्षांश और 143.0 डिग्री पूर्वी देशांतर पर स्थित था। इन क्षेत्रों में जनजीवन सामान्य रूप से चलता रहा,हालाँकि कई स्थानों पर लोगों को एहतियातन तटीय इलाकों से दूर रहने की सलाह दी गई।

जापान में भूकंप कोई नई बात नहीं है,लेकिन पिछले कुछ दिनों में लगातार झटके महसूस किए जाने से चिंता बढ़ गई है। सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार सोमवार देर रात भी इसी क्षेत्र में 7-स्केल में 6 से ऊपर की तीव्रता वाला भूकंप दर्ज किया गया था। उस घटना के बाद जेएमए ने इवाते,होक्काइडो और आओमोरी के कुछ हिस्सों के लिए सुनामी चेतावनी जारी की थी। लगातार हो रहे झटकों के कारण विशेषज्ञों का मानना है कि यह भूकंपीय गतिविधियों में बढ़ोतरी का संकेत हो सकता है।

जेएमए ने सोमवार को आए भूकंप के बाद एक विशेष एडवाइजरी जारी करते हुए पहले ही चेतावनी दे दी थी कि आने वाले दिनों में इसी तीव्रता या उससे अधिक का भूकंप आ सकता है। इस चेतावनी में कहा गया था कि उत्तरी होक्काइडो और होंशू द्वीप के उत्तर-पूर्वी हिस्से—विशेषकर सैनरिकु क्षेत्र में अगले हफ्ते के दौरान गंभीर भूकंप आने की आशंका है। आज के भूकंप ने उस चेतावनी को सही साबित कर दिया है और लोगों की चिंताएँ और बढ़ा दी हैं।

हालाँकि,राहत की बात यह है कि न्यूक्लियर रेगुलेशन अथॉरिटी ने स्पष्ट किया है कि प्रभावित क्षेत्रों में स्थित किसी भी न्यूक्लियर फैसिलिटी में किसी तरह की गड़बड़ी या विकिरण रिसाव जैसी कोई स्थिति नहीं पाई गई है। जापान में परमाणु ऊर्जा संयंत्रों की सुरक्षा को लेकर 2011 की फुकुशिमा त्रासदी के बाद से बेहद सख्त निगरानी रखी जाती है और किसी भी संभावित खतरे पर तुरंत कार्रवाई सुनिश्चित की जाती है।

2011 की आपदा की यादें आज भी जापानियों के मन में ताजा हैं। उसी साल उत्तरी जापान के तटीय क्षेत्र में समुद्र के नीचे 9.0 तीव्रता का भूकंप आया था,जिसने देश के इतिहास की सबसे भीषण सुनामी को जन्म दिया था। 18,500 से अधिक लोग मारे गए थे या अब तक लापता माने जाते हैं। उस आपदा ने न केवल जापान,बल्कि पूरी दुनिया को हिला कर रख दिया था। आज के भूकंप के बाद उसी त्रासदी की यादें एक बार फिर ताजा हो गई हैं,विशेष रूप से उन लोगों के लिए जो तटीय क्षेत्रों में रहते हैं।

जापान का भौगोलिक स्थान उसकी खूबसूरती के साथ-साथ उसकी चुनौतियाँ भी तय करता है। यह देश पैसिफिक रिंग ऑफ फायर के पश्चिमी किनारे पर स्थित है,जहाँ चार बड़ी टेक्टोनिक प्लेटें—प्रशांत प्लेट,फिलीपीन सागर प्लेट,यूरेशियन प्लेट और नॉर्थ अमेरिकन प्लेट—एक-दूसरे से टकराती और खिसकती रहती हैं। यही वजह है कि जापान दुनिया के सबसे ज्यादा भूकंप-संवेदनशील देशों में से एक है। देश में हर साल लगभग 1,500 भूकंप दर्ज किए जाते हैं,जिनमें से कई की तीव्रता मामूली होती है,लेकिन कुछ बड़े झटके हमेशा तबाही मचाने की क्षमता रखते हैं।

आज सुबह आए भूकंप के बाद कई तटीय शहरों में चेतावनी सायरन बजाए गए और स्थानीय प्रशासन ने मछुआरों,पर्यटकों और समुद्र के पास रहने वाले लोगों से आग्रह किया कि वे तटों से दूर रहें। रेल और हवाई सेवाओं पर कोई बड़ा असर देखने को नहीं मिला है,हालाँकि सुरक्षा जाँच के लिए कुछ संचालन अस्थायी रूप से रोके गए।

जापान सरकार और आपदा प्रबंधन एजेंसियाँ लगातार स्थिति की निगरानी कर रही हैं। जेएमए द्वारा जारी एडवाइजरी में स्पष्ट किया गया है कि सुनामी की लहरें एक मीटर तक पहुँच सकती हैं,जो हालाँकि बहुत विनाशकारी नहीं मानी जातीं,लेकिन फिर भी तटीय इलाकों में स्थानीय बाढ़ और समुद्री गतिविधियों में बाधा पैदा कर सकती हैं। लोगों से अपील की गई है कि वे आधिकारिक घोषणाओं का पालन करें और अफवाहों पर ध्यान न दें।

शुक्रवार का भूकंप जापान के लिए एक और चेतावनी है कि प्रकृति की अनिश्चितता से निपटने के लिए हमेशा तैयार रहना जरूरी है। लगातार बढ़ रही भूकंपीय गतिविधियों और विशेषज्ञों की चेतावनियों को देखते हुए आने वाले दिनों में सतर्कता और भी बढ़ाई जा सकती है। जापानी प्रशासन,नागरिक सुरक्षा बल और आम लोग इस तरह की आपदाओं से निपटने के लिए विश्व स्तर पर सबसे अधिक तैयार हैं,लेकिन प्रकृति के सामने सावधानी ही सबसे बड़ा हथियार है।