नई दिल्ली,29 मार्च (युआईटीवी)- म्यांमार में शुक्रवार को आए 7.7 तीव्रता के भूकंप ने भारी तबाही मचाई। इस विनाशकारी घटना के बाद भारत ने म्यांमार के लोगों की सहायता के लिए तत्परता दिखाई है और इस मद में ‘ऑपरेशन ब्रह्मा’ की शुरुआत की है। भारत सरकार ने म्यांमार में राहत कार्यों को प्राथमिकता दी है और इसके तहत कई आवश्यक राहत सामग्री भेजी गई है,ताकि भूकंप प्रभावित लोगों को तत्काल मदद मिल सके।
विदेश मंत्री एस जयशंकर और विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर इसकी जानकारी दी। ऑपरेशन ब्रह्मा के तहत भारत ने म्यांमार के लोगों को मानवीय सहायता प्रदान करने के लिए कई सामग्रियाँ भेजी हैं। इस राहत सामग्री में टेंट,कंबल,स्लीपिंग बैग,भोजन के पैकेट,स्वच्छता किट, जनरेटर और आवश्यक दवाइयों समेत 15 टन राहत सामग्री की पहली खेप यांगून भेजी गई है। यह पहल भारत की “नेबरहुड फर्स्ट” और “एक्ट ईस्ट पॉलिसी” के तहत की गई है,जो भारत के पड़ोसियों के साथ मजबूत और सहायक रिश्ते बनाने का एक हिस्सा है।
सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपने पोस्ट में लिखा, “ऑपरेशन ब्रह्मा शुरू हो गया है। भारत से मानवीय सहायता की पहली खेप म्यांमार के यांगून हवाई अड्डे पर पहुँच गई है।” इसी तरह,विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने भी एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा, “ऑपरेशन ब्रह्मा के तहत भारत म्यांमार के लोगों की मदद के लिए प्रथम प्रक्रिया कर्ता के रूप में कार्य कर रहा है।”
यहाँ तक कि भूकंप के बाद,म्यांमार के विभिन्न हिस्सों में राहत कार्य जारी है। म्यांमार के सैन्य नेतृत्व ने बताया कि इस भूकंप के कारण कम-से-कम 694 लोग मारे गए हैं, जबकि एक अमेरिकी एजेंसी ने इस आपदा के परिणामस्वरूप मरने वालों की संख्या 10,000 से अधिक हो सकती है,जो स्थिति की गंभीरता को दर्शाता है।
Operation Brahma – India acts as a First Responder to assist the people of Myanmar affected by yesterday’s massive earthquake.
Our first tranche of 15 tonnes of relief material, including tents, blankets, sleeping bags, food packets, hygiene kits, generators, and essential… pic.twitter.com/6Nx7Bez9ne
— Randhir Jaiswal (@MEAIndia) March 29, 2025
पिछले शुक्रवार रात म्यांमार में रिक्टर पैमाने पर 7.7 तीव्रता का शक्तिशाली भूकंप आया था। इसके कुछ घंटों बाद ही एक और भूकंप का झटका महसूस हुआ,जिसकी तीव्रता 4.2 रिक्टर पैमाने पर दर्ज की गई। इस भूकंप ने दक्षिण-पूर्व एशिया के कई देशों में भी तेज झटके दिए,जिनमें भारत के मेघालय और मणिपुर राज्य,बांग्लादेश के ढाका और चटगांव शहर,और चीन भी शामिल हैं।
हालाँकि,म्यांमार में भूकंप से संबंधित आधिकारिक आँकड़ों के अनुसार,पहले भूकंप के बाद अब तक 150 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और सैकड़ों लोग घायल हुए हैं। बचावकर्मी और राहत कर्मी अब भी मलबे के नीचे फँसे लोगों को बाहर निकालने के प्रयास कर रहे हैं। यह स्थिति बेहद चुनौतीपूर्ण है,क्योंकि भूकंप के बाद कई स्थानों पर सड़कें और अन्य संचार माध्यम भी प्रभावित हुए हैं,जिससे राहत कार्यों में कठिनाई आ रही है।
इस भूकंप ने म्यांमार के बुनियादी ढाँचे को भी बुरी तरह प्रभावित किया है। कई इमारतें और घर पूरी तरह से नष्ट हो गए हैं और लाखों लोग बिना छत के हो गए हैं। इसके परिणामस्वरूप म्यांमार की सरकार और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के लिए राहत और पुनर्निर्माण कार्यों को तेज़ी से करना जरूरी हो गया है।
भारत का ऑपरेशन ब्रह्मा म्यांमार के लोगों के लिए जीवन रक्षक साबित हो सकता है, क्योंकि इसमें भेजी गई राहत सामग्री में ठंड से बचने के लिए कंबल और स्लीपिंग बैग,खाने-पीने के पैकेट और जरूरी दवाइयाँ शामिल हैं,जो प्रभावित लोगों के लिए तत्काल राहत प्रदान करेंगी। इसके साथ ही,भारत ने इस संकट के समय में अपने पड़ोसी देश के लिए जो मदद प्रदान की है,वह दिखाता है कि भारत अपने पड़ोसियों की मदद करने के लिए हमेशा तत्पर रहता है।
इस आपदा के बाद,म्यांमार को तुरंत बाहरी सहायता की आवश्यकता है और भारत के ऑपरेशन ब्रह्मा जैसे प्रयास निश्चित रूप से म्यांमार के पुनर्निर्माण में मददगार साबित होंगे। भारत ने न केवल राहत सामग्री भेजी है,बल्कि यह भी सुनिश्चित किया है कि म्यांमार के लोग जितनी जल्दी हो सके मदद प्राप्त कर सकें।
ऑपरेशन ब्रह्मा की शुरुआत के साथ,भारत ने यह संदेश दिया है कि मानवीय सहायता किसी भी राष्ट्रीय सीमा से ऊपर है और किसी भी समय,किसी भी संकट में, भारत अपने पड़ोसी देशों की मदद करने के लिए तैयार है। यह एक सशक्त उदाहरण है कि भारत की “नेबरहुड फर्स्ट” नीति केवल शब्दों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसे वास्तविकता में भी उतारा जाता है।
म्यांमार में आए इस भूकंप के बाद,न केवल भारत,बल्कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को भी यह समझने की आवश्यकता है कि प्राकृतिक आपदाएँ देश की सीमाओं को पार करती हैं और इस तरह की स्थितियों में सहायता और सहयोग सबसे अहम होते हैं।
