नई दिल्ली,24 सितंबर (युआईटीवी)- नई दिल्ली के विज्ञान भवन में मंगलवार को 71वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह का भव्य आयोजन हुआ। यह अवसर भारतीय सिनेमा की विविधता,सृजनशीलता और समाज पर उसके गहरे प्रभाव का जश्न मनाने वाला रहा। समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने फिल्म उद्योग के कई दिग्गजों और उभरते सितारों को उनके बेहतरीन योगदान के लिए सम्मानित किया। इस मौके पर उपस्थित कलाकारों,फिल्म निर्माताओं,तकनीशियनों और रचनात्मक कलाकारों ने भारतीय सिनेमा के उज्ज्वल भविष्य को और मजबूत करने का संकल्प दोहराया।
समारोह में मोहनलाल,शाहरुख खान,रानी मुखर्जी और करण जौहर जैसे सितारे भी शामिल हुए,जिन्हें उनकी फिल्मों में शानदार योगदान के लिए सम्मानित किया गया। इन हस्तियों की उपस्थिति ने कार्यक्रम को और भी खास बना दिया। पुरस्कार पाकर कलाकारों और फिल्म निर्माताओं ने न केवल अपनी खुशी जाहिर की,बल्कि इस सम्मान को भारतीय सिनेमा की समृद्ध परंपरा और नए दौर की कहानियों को संजोने का प्रमाण बताया।
फ़ोटोग्राफ़ी निर्देशक प्रशांतु महापात्रा ने इस मौके पर अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि इस उम्र में यह सम्मान उनके लिए बेहद खास है। उन्होंने स्पष्ट किया कि अब वह इस बात की परवाह नहीं करते कि उन्हें ज्यादा काम मिलेगा या नहीं,क्योंकि उनके लिए यह पुरस्कार उनके पूरे करियर की उपलब्धियों का प्रतीक है। उन्होंने खुद को एक पेशेवर फिल्म कलाकार बताते हुए कहा कि सिनेमा ने उन्हें जो दिया, वही सबसे बड़ी पूँजी है।
फिल्म निर्देशक विधु विनोद चोपड़ा ने भी अपनी खुशी जाहिर की। उनकी फिल्म 12वीं फेल को सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार मिला। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि उन्हें इस बात की सबसे ज्यादा खुशी है कि फिल्म का संदेश और उसकी भावनाएँ दर्शकों तक पहुँचीं। उनके अनुसार,पुरस्कार से भी ज्यादा मूल्यवान यह है कि फिल्म ने समाज में सही दिशा में सोचने और बदलाव लाने की प्रेरणा दी।
12वीं फेल के लेखक अनुराग पाठक ने भावुक अंदाज़ में कहा कि उन्हें उम्मीद नहीं थी कि उनकी किताब पर बनी फिल्म इतनी बड़ी सफलता हासिल करेगी। उन्होंने भारत सरकार का आभार जताया और विधु विनोद चोपड़ा की सराहना की कि उन्होंने उनकी किताब को एक बेहतरीन फिल्म का रूप दिया। यह फिल्म दर्शकों के दिलों को छूने के साथ अब राष्ट्रीय सम्मान तक पहुँच गई है,जो लेखक और फिल्मकार दोनों के लिए गर्व की बात है।
कास्टिंग डायरेक्टर हनी त्रेहान ने सर्वश्रेष्ठ मलयालम फिल्म का पुरस्कार मिलने पर खुशी जताई। उन्होंने कहा कि यह सम्मान बेहद प्रतिष्ठित है और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय का धन्यवाद किया। यह पुरस्कार उनके अनुसार भारतीय क्षेत्रीय सिनेमा की बढ़ती ताकत और विविधता को दर्शाता है।
पटकथा लेखक दीपक किंगरानी ने इस मौके पर कहा कि हर राज्य की अपनी कहानियाँ और प्रतिभाएँ होती हैं,जिन्हें राष्ट्रीय स्तर पर सामने आना चाहिए। उन्होंने कहा कि अक्सर चर्चा सिर्फ बॉलीवुड और मुंबई की फिल्मों तक सीमित रहती है,जबकि भारत के हर हिस्से की अपनी अनूठी कहानियाँ हैं। इस अवसर पर उन्होंने उम्मीद जताई कि आगे चलकर और भी क्षेत्रीय कहानियों को बड़ा मंच मिलेगा।
फिल्म संपादक नीलाद्रि रॉय को उनकी डॉक्यूमेंट्री मूविंग फोकस के लिए गैर-फ़ीचर श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ संपादन का पुरस्कार मिला। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर यह सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों में से एक है और इसे हासिल करना उनके लिए बेहद सम्मानजनक और प्रेरणादायक है।
निर्देशक पीयूष ठाकुर को उनकी लघु फिल्म डैफर्स फिल्म के लिए गैर-फीचर श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ निर्देशन और सर्वश्रेष्ठ संगीत का पुरस्कार मिला। उन्होंने कहा कि यह फिल्म 1960 के दशक के भारत की पृष्ठभूमि पर आधारित है और इसमें एक 14 साल की लड़की की कहानी दिखाई गई है,जो उस समय अपनी पहली फिल्म देखने जाती है। उस दौर में जब लड़कियों के लिए फिल्में देखने जाना असामान्य माना जाता था,यह कहानी समाज के बदलते नजरिए को बयां करती है।
भारतीय निर्देशक और लेखक कामाख्या नारायण सिंह ने इस मौके को सपने के सच होने जैसा बताया। उन्होंने कहा कि यह उनका दूसरा राष्ट्रीय पुरस्कार है और हर बार यह सम्मान उनके लिए नए उत्साह और जिम्मेदारी का प्रतीक बनकर आता है।
फिल्म निर्देशक आदित्य ग्रोवर ने भी सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार जीतने पर अपनी भावनाएँ साझा कीं। उन्होंने कहा कि यह पुरस्कार उनकी टीम के लिए एक अद्भुत एहसास है और यह उनकी मेहनत का सबसे बड़ा सम्मान है।
युवा अभिनेत्री जानकी बोदीवाला ने भी पुरस्कार मिलने के बाद सरकार और अपने निर्देशक के प्रति आभार जताया। उन्होंने कहा कि इस मुकाम तक पहुँचने के पीछे उनकी टीम और दर्शकों का बड़ा योगदान है। उन्होंने कहा कि उन्हें इतने बड़े मंच पर सम्मानित होना बेहद गर्व की बात लग रही है।
बाल कलाकारों की भागीदारी ने भी इस समारोह को विशेष बना दिया। त्रिशा विवेक थोशर ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से पुरस्कार पाकर अपनी खुशी साझा करते हुए कहा कि यह पल उनके लिए अविस्मरणीय रहेगा। बाल कलाकार श्रीनिवास पोकाले ने मराठी फिल्म नर 2 के लिए सर्वश्रेष्ठ बाल कलाकार का पुरस्कार जीता। उन्होंने बताया कि यह उनका दूसरा राष्ट्रीय पुरस्कार है। पहली बार उन्हें नर 1 के लिए भी यही सम्मान मिला था। उन्होंने कहा कि शुरू में वे थोड़े घबराए हुए थे,लेकिन जैसे ही राष्ट्रपति के सामने पहुँचे,उनका डर गायब हो गया और गर्व का एहसास छा गया।
बाल कलाकार भार्गव रत्नकांत जगताप ने भी अपना पहला राष्ट्रीय पुरस्कार जीतकर अपनी खुशी जाहिर की। उन्होंने कहा कि यह उपलब्धि उनके लिए एक प्रेरणा है और इससे उन्हें भविष्य में और मेहनत करने की प्रेरणा मिलेगी।
समारोह के अंत में यह स्पष्ट हुआ कि राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार न केवल भारतीय सिनेमा के चमकते सितारों को सम्मानित करने का अवसर है,बल्कि यह क्षेत्रीय और उभरते कलाकारों को भी समान महत्व देता है। यह मंच सिनेमा की उस विविधता को पहचान देता है,जो भारत की संस्कृति और समाज की गहराई को दर्शाती है।
71वां राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह भारतीय सिनेमा के गौरव और उसके सामाजिक प्रभाव का जीवंत उदाहरण बना। विज्ञान भवन की भव्यता में जब राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कलाकारों और रचनाकारों को सम्मानित किया,तो वह केवल उनके योगदान की सराहना नहीं थी,बल्कि यह उस परंपरा का भी उत्सव था,जो भारतीय सिनेमा को विश्वभर में विशेष पहचान दिलाती है। समारोह ने यह संदेश दिया कि भारतीय फिल्म उद्योग केवल मनोरंजन का साधन नहीं,बल्कि समाज को जोड़ने, बदलने और प्रेरित करने की ताकत भी रखता है।