नई दिल्ली,11 अप्रैल (युआईटीवी)- यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ ऑस्ट्रेलिया द्वारा किए गए एक अध्ययन से पता चलता है कि आठ घंटे की नींद लेने से मस्तिष्क की नई भाषाएँ सीखने और उन्हें याद रखने की क्षमता बढ़ती है।
शोधकर्ताओं ने पाया कि नॉन-रैपिड आई मूवमेंट (एनआरईएम) नींद के दौरान,विशिष्ट मस्तिष्क तरंग पैटर्न सिंक्रनाइज़ होते हैं,जिससे अल्पकालिक से दीर्घकालिक स्मृति में नई भाषाई जानकारी के हस्तांतरण में सुविधा होती है। नई भाषा सीखने के बाद सोए प्रतिभागियों ने जागते रहने वालों की तुलना में शब्दों और व्याकरण की बेहतर याददाश्त और समझ का प्रदर्शन किया।
इन निष्कर्षों से पता चलता है कि भाषा अधिग्रहण के लिए पर्याप्त नींद महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह जटिल भाषाई जानकारी के समेकन का समर्थन करती है। एनआरईएम नींद के दौरान धीमी गति से दोलन और नींद के स्पिंडल का समन्वय इस प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
संक्षेप में, पर्याप्त नींद सुनिश्चित करने से न केवल समग्र स्वास्थ्य को लाभ होता है, बल्कि नई भाषाओं को सीखने और याद रखने की क्षमता भी महत्वपूर्ण रूप से बढ़ती है।

