मप्र भाजपा कार्यकारिणी में क्षेत्रीय संतुलन, मगर सिंधिया समर्थकों को कम तरजीह

भोपाल, 14 जनवरी (युआईटीवी/आईएएनएस)| मध्यप्रदेश में आखिरकार भारतीय जनता पार्टी की प्रदेश कार्यकारिणी का गठन कर ही दिया गया। इस कार्यकारिणी में क्षेत्रीय संतुलन का खास ध्यान रखा गया है, मगर कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए पूर्व केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थकों को कम ही जगह मिल पाई है।

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष की कमान संभाले विष्णु दत्त शर्मा को लगभग 10 माह से ज्यादा का वक्त गुजर गया है और अरसे से इस बात की प्रतीक्षा की जा रही थी कि जल्दी ही कार्यकारिणी का पुनर्गठन कर दिया जाएगा। भाजपा की मार्च 2020 में सत्ता में हुई वापसी और उसके बाद विधानसभा के उपचुनाव के कारण पुनर्गठन की प्रक्रिया थमी हुई थी। उप चुनाव से पहले पांच प्रदेश महामंत्री की नियुक्ति कर दी गई थी और उपचुनाव के नतीजे आने के बाद कार्यकारिणी के विस्तार की चर्चाएं जोरों पर थी।

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष शर्मा की टीम में 12 उपाध्यक्ष और 12 प्रदेश मंत्री बनाए गए हैं, वहीं कोषाध्यक्ष, सह कोषाध्यक्ष, कार्यालय मंत्री और मीडिया प्रभारी की भी नियुक्ति की गई है।

भाजपा प्रदेश कार्यकारिणी के विस्तार पर नजर दौड़ाई जाए तो एक बात साफ हो जाती है कि इसमें प्रदेश के लगभग हर हिस्से के साथ तमाम नेताओं के करीबियों को भी जगह देने की हर संभव कोशिश की गई है। इस कार्यकारिणी में ग्वालियर चंबल, विंध्य क्षेत्र, मध्य, बुंदेलखंड व महाकौशल से चार-चार प्रतिनिधियों को मौका दिया गया है। इसके अलावा मालवा-निमाड़ इलाके से आठ लोगों को प्रमुख जिम्मेदारी सौंपी गई है।

वही मोर्चा में मध्य क्षेत्र का दबदबा है। यहां से महिला मोर्चा, किसान मोर्चा, अनुसूचित जाति मोर्चा और पिछड़ा वर्ग मोर्चा का अध्यक्ष बनाया गया है, जबकि युवा मोर्चा का अध्यक्ष महाकौशल से, अनुसूचित जनजाति मोर्चा का अध्यक्ष निमाड़ से और अल्पसंख्यक मोर्चा का अध्यक्ष चंबल से बनाया गया है। वहीं राज्य के दिग्गज नेताओं की समर्थकों पर गौर किया जाए तो एक बात साफ हो जाती है, इस कार्यकारिणी में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के करीबियों का दबदबा है। इसके साथ ही केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के करीबियों को तो स्थान दिया ही है इसके अलावा संघ की पसंद का भी ध्यान रखा गया है।

भाजपा की नई कार्यकारिणी युवा चेहरों से भरी नजर आती है। वहीं पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए ज्योतिरादित्य सिंधिया के सिर्फ एक करीबी को ही कार्यकारिणी में जगह मिल सकी है।

पार्टी के नजदीकी सूत्रों का कहना है कि दल-बदल करने वालों को संगठन में स्थान देने से हमेशा परहेज किया गया है और यही कारण है कि सिंधिया के समर्थकों को कार्यकारिणी में ज्यादा जगह नहीं मिली है, हां सत्ता में जरूर सिंधिया समर्थकों की हिस्सेदारी रहेगी। मंत्रिमंडल में उनके पर्याप्त समर्थक हैं वहीं निगम मंडलों में भी उनकी पसंद का ख्याल रखा जाएगा।

राजनीतिक विश्लेषक अरविंद मिश्रा का मानना है कि भाजपा संगठन में अपनी टीम अपने खांटी लोगों को मिलाकर बनाती है और विष्णु दत्त शर्मा की जो नई टीम है उसमें भी यही बात साफ नजर आ रही है। सिंधिया के समर्थकों को ज्यादा महत्व ना दिए जाने से बात साफ हो गई है कि भाजपा के लिए सिंधिया की कितनी उपयोगिता है। पुराने अनुभव बताते हैं कि भाजपा सत्ता में तो हिस्सेदारी दूसरे दल और दल बदल करने वालों के साथ कर सकती है मगर संगठन में हिस्सेदारी देने से उसने हमेशा परहेज किया है।

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