असदुद्दीन ओवैसी

राष्ट्रपति से हैदराबाद सांसद ओवैसी की सदस्यता रद्द करने की शिकायत की गई

नई दिल्ली,26 जून (युआईटीवी)- राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से हैदराबाद सांसद असदुद्दीन ओवैसी की सदस्यता रद्द करने के लिए शिकायत की गई है। मंगलवार को लोकसभा सदस्य के रूप में शपथ ग्रहण के दौरान सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने ‘जय फिलिस्तीन’ के नारे लगाए,जिसके बाद सोशल मीडिया पोस्ट के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने बताया कि उनके पिता और उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता हरि शंकर जैन ने ओवैसी के खिलाफ यह शिकायत दर्ज कराई है। एक्स पर उन्होंने लिखा कि,असदुद्दीन ओवैसी के खिलाफ हरि शंकर जैन ने राष्ट्रपति के समक्ष संविधान के अनुच्छेद 102 और 103 के तहत शिकायत दायर की है, जिसमें उन्हें संसद सदस्य के रूप में अयोग्य घोषित करने की माँग की गई है।

असदुद्दीन ओवैसी ने पाँचवीं बार हैदराबाद से सदस्य निर्वाचित हुए हैं और उन्होंने लोकसभा सदस्य के रूप में उर्दू में शपथ ली। शपथ से पहले उन्होंने दुआ पढ़ी और उन्होंने शपथ के बाद मुस्लिमों के लिए एआईएमआईएम का नारा बुलंद किया,बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर तथा अपने राज्य तेलंगाना के पक्ष में नारा लगाया। वर्तमान में युद्ध का सामना कर रहे पश्चिम एशिया के उस क्षेत्र के पक्ष में ओवैसी ने नारा लगाया,जो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा के केंद्रबिंदु में है।


राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से सुप्रीम कोर्ट के वकील ने संविधान के अनुच्छेद 102 और 103 के तहत ओवैसी की शिकायत की है। मंगलवार को लोकसभा सदस्य के रूप में शपथ लेने के बाद ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) नेता असदुद्दीन ओवैसी ने एक युद्ध प्रभावित पश्चिम एशियाई क्षेत्र के पक्ष में नारे लगाए। सत्ता पक्ष के सदस्यों ने ओवैसी के ‘जय फिलिस्तीन’ के नारे लगाए जाने का विरोध करते हुए हंगामा किया और सभापति ने इस नारे को रिकॉर्ड से हटाने का निर्देश दिया।

संविधान के अनुच्छेद 102 के मुताबिक,कोई व्यक्ति यदि वह भारत का नागरिक न हो,या दूसरे देश की नागरिकता स्वीकार करता है, या उसे अदालत द्वारा दिमागी रूप से अक्षम घोषित किया गया हो,या दिवालिया घोषित किया गया हो, या वह भारत सरकार के या किसी राज्य सरकार के अधीन किसी लाभ के पद पर हो,या उसे संसद द्वारा पारित किसी कानून के तहत अयोग्य करार दिया गया हो,तो वह किसी सदन का सदस्य चुने जाने के लिए और सदस्य होने के लिए अयोग्य होगा।

राष्ट्रपति को संविधान के अनुच्छेद103 में अधिकार दिया गया है कि यदि कोई शिकायत अनुच्छेद 102 के तहत प्राप्त होता है,तो वह मामले से जुड़े सांसद की योग्यता पर निर्णय ले सकते हैं। हालाँकि,कोई भी निर्णय चुनाव आयोग से परामर्श के बाद ही लिया जा सकता है।

 

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