एनसीईआरटी और शिक्षा मंत्रालय का कला उत्सव खत्म

नई दिल्ली, 28 जनवरी (युआईटीवी/आईएएनएस)| एनसीईआरटी और शिक्षा मंत्रालय के स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग द्वारा कला उत्सव आयोजित किया गया। यह कला उत्सव 10 जनवरी से 28 जनवरी तक चला। कला उत्सव का शुभारंभ 10 जनवरी को डिजिटल मंच के माध्यम से ऑनलाइन किया गया था। इसमें कुल 35 टीमों ने भाग लिया, जिनमें राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों, केंद्रीय विद्यालय संगठन और नवोदय विद्यालय समिति से कुल 576 प्रतिभागियों ने अपनी कला प्रतिभा का प्रदर्शन किया।

इन प्रतिभागियों में 290 छात्र एवं 286 छात्राओं ने जनपद और राज्य स्तर पर अपनी प्रतिभा के प्रदर्शन से राष्ट्रीय कला उत्सव में सहभागिता सुनिश्चित की है। इस कला उत्सव-2020 में चार दिव्यांग विद्यार्थियों ने भी भाग लिया।

केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने सभी प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि कला उत्सव और नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति माननीय प्रधानमंत्री के विजन ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की परिकल्पना साकार करते हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में शिक्षा के माध्यम से कला और संस्कृति को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया है और कला उत्सव 2020 में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के सुझावों को भी शामिल किया गया है।

कला उत्सव 2020 में प्रतिभागियों ने शास्त्रीय संगीत गायन, पारंपरिक लोक संगीत गायन, शास्त्रीय संगीत वादन, पारंपरिक लोक संगीत वादन, शास्त्रीय नृत्य, लोक नृत्य, द्वि-आयामी दृश्य-कला, त्रि-आयामी दृश्य-कला, स्थानीय खेल-खिलौने, जैसी कलाओं में अपनी कला का प्रदर्शन किया।

केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा, “हमारी नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति प्रत्येक विद्यार्थी में निहित रचनात्मक क्षमताओं के विकास पर जोर देती है। यह नीति, इस सिद्धांत पर आधारित है कि शिक्षा से व्यक्ति में ‘साक्षरता और संख्याज्ञान’ जैसी ता*++++++++++++++++++++++++++++र्*क और ‘समस्या समाधान’ संबंधी ‘संज्ञानात्मक तथा बुनियादी’ क्षमताओं का विकास होता है। साथ ही साथ मनुष्य के जीवन में नैतिक, सामाजिक-सांस्कृतिक और भावनात्मक मूल्यों का भी विकास होता है।”

इसके अलावा उन्होंने कहा कि इस ‘कला उत्सव’ में शामिल ‘स्थानीय, पारंपरिक खेल-खिलौने’ एक ऐसी विधा है, जो भारत के आत्मनिर्भर भारत अभियान का पुरजोर समर्थन करती हैं। इसमें बच्चे, न केवल अपने स्थानीय और पारंपरिक खेल-खिलौनों को बनाने की प्रक्रिया को व्यवहार में लाएंगे, बल्कि भविष्य में इससे उन्हें, इसी विधा को व्यवसाय के रूप में भी चुनने का अवसर मिलेगा।

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