प्रदर्शनकारी

ब्रिटेन में हिंसा,पूरे इंग्लैंड में नस्लवाद के विरोध में सड़कों पर उतरे प्रदर्शनकारी

लंदन,8 अगस्त (युआईटीवी)- ब्रिटेन में पिछले कई दिनों से हिंसा जारी है,जिस पर नियंत्रण पाना पुलिस के लिए मुश्किल होता जा रहा है। ब्रिटेन में जारी हिंसक घटनायें ब्रिटिश पुलिस की तमाम कोशिशों के बाद भी नियंत्रित नहीं हो रही है। पूरे इंग्लैंड में नस्लवाद के विरोध में प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतर गए हैं।

हजारों की संख्या में नस्लवाद विरोधी प्रदर्शनकारी ब्रिटेन के कई शहरों और कस्बों में सड़कों पर उतर आए हैं। बता दें कि एक राष्ट्रव्यापी दंगा एक फेक न्यूज के कारण भड़की है। फेक न्यूज के मुताबिक,साउथपोर्ट के समुद्र तटीय समुदाय में तीन युवा लड़कियों की आव्रजन विरोधी समूहों ने चाकू मार के हत्या कर दी है।

समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार,दक्षिणपंथी समूहों के 100 से अधिक प्रदर्शन बुधवार रात 11 बजे तक होने वाले थे।लेकिन पुलिस के सख्त व्यवस्था बनाए रखने के कार्रवाई के वजह से उनकी यह योजना विफल हो गई। इसके बाद लंदन,बर्मिंघम,ब्रिस्टल,ब्राइटन,हेस्टिंग्स,लिवरपूल,वॉल्थमस्टो इत्यादि शहरों और कस्बों की सड़कों पर बड़ी संख्या में एंटी-रेसिज्म (नस्लवाद-विरोधी) प्रदर्शनकारियों ने हिंसक घटनाओं को अंजाम दिया। नस्लवाद विरोधी प्रदर्शनकारियों ने ‘फासीवाद और नस्लवाद को खत्म करो’,‘शरणार्थियों का स्वागत है लिखे तख्तियों को हाथों में थाम रखी थीं।

दक्षिणपंथी प्रदर्शनकारी बहुत कम संख्या में ब्राइटन में आए,लेकिन कुछ समय में नस्लवाद विरोधियों की संख्या में उनकी तुलना में बढ़ोतरी हो गई। ब्रिटेन के लिए यह राहत की बात रही। देश में कई दिनों से दक्षिणपंथी विरोध प्रदर्शन मुसलमानों और आम तौर पर अप्रवासी आबादी को निशाना बनाकर चल रहे थे। पुलिस अधिकारी इस विरोध प्रदर्शन के कारण घायल हो गए,शरणार्थियों के होटलों पर हमला किया गया और दुकानों को भी लूट लिया गया। शरणार्थियों को रखने वाले मस्जिदों और होटलों पर अप्रवासी विरोधी नारे लगाने वाले दंगाइयों के हमले से मुस्लिम और अप्रवासी समुदायों में डर पैदा हो गया।

यह हिंसा इंटरनेट पर गलत जानकारी के कारण भड़की थी। जिसमें दावा किया गया था कि उत्तर-पश्चिमी इंग्लैंड के साउथपोर्ट में जुलाई के अंत में तीन बच्चों की जिसने हत्या किया था,वह संदिग्ध एक मुस्लिम अप्रवासी एक्सल रुदाकुबाना था। 17 वर्षीय एक्सल रुदाकुबाना पर हत्या का आरोप लगाया गया था। 100 से अधिक दंगाइयों पर उपद्रव के बाद आरोप लगाए गए हैं और अदालती प्रक्रिया में उनके मामलों को तीव्र गति से निपटाया गया है। तीन लोगों को बुधवार को जेल भेजा गया,जिनमें से एक को तीन साल की सजा सुनाई गई।

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