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वॉट्सएप पर सीसीआई के 213 करोड़ रुपये के जुर्माने के खिलाफ ‘एनसीएलएटी’ पहुँची मेटा,16 जनवरी को होगी सुनवाई

नई दिल्ली,7 जनवरी (युआईटीवी)- सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म मेटा ने सोमवार को भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) के हालिया आदेश को चुनौती देने के लिए नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी) का दरवाजा खटखटाया। यह आदेश वॉट्सऐप के 2021 में हुए प्राइवेसी पॉलिसी अपडेट से संबंधित था,जिसके तहत मेटा पर 213 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया था। सीसीआई ने वॉट्सऐप को निर्देश दिया था कि वह अपने प्लेटफॉर्म पर एकत्र किए गए यूजर डेटा को विज्ञापन उद्देश्यों के लिए अन्य मेटा उत्पादों या कंपनियों के साथ पाँच साल तक साझा न करे।

यह विवाद तब शुरू हुआ जब सीसीआई ने नवंबर 2022 में वॉट्सऐप की 2021 पॉलिसी अपडेट को लेकर मेटा पर आरोप लगाया था कि कंपनी अपने डेटा संग्रहण और साझा करने के तरीके से प्रतिस्पर्धा कानून का उल्लंघन कर रही है। सीसीआई ने इसे “इसे लें या छोड़ें” नीति के रूप में पेश किया था, जिसमें वॉट्सऐप उपयोगकर्ताओं से उनके डेटा संग्रहण की शर्तों को स्वीकार करने की माँग की जाती थी। इस शर्तों को आयोग ने अनुचित करार दिया और कंपनी ने मेटा पर प्रमुख स्थान का दुरुपयोग करने का आरोप लगाते हुए 213.14 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया।

मेटा ने अब एनसीएलएटी में अपील दायर करते हुए कहा है कि सीसीआई का यह आदेश पूरे उद्योग पर व्यापक प्रभाव डालेगा। कंपनी ने तर्क दिया कि मामले की तत्काल सुनवाई की आवश्यकता है,क्योंकि यह निर्णय अन्य कंपनियों के लिए भी एक उदाहरण बन सकता है। मेटा का कहना है कि इस आदेश से कंपनियों की संचालन क्षमता पर असर पड़ सकता है और इस मामले में त्वरित सुनवाई बेहद महत्वपूर्ण है। अब यह मामला 16 जनवरी को अपीलीय न्यायाधिकरण के समक्ष सुनवाई के लिए आएगा।

सीसीआई के आदेश में कहा गया था कि वॉट्सऐप द्वारा लागू किया गया 2021 का प्राइवेसी पॉलिसी अपडेट “इसे लें या छोड़ें” के आधार पर था,जो यूजर्स को बिना किसी विकल्प के डेटा संग्रहण शर्तों को स्वीकार करने पर मजबूर करता है। सीसीआई ने इसे अनुचित शर्त माना,क्योंकि यह यूजर्स को मेटा के अन्य उत्पादों के साथ बिना विकल्प के डेटा साझा करने के लिए बाध्य करता है। यह आदेश वॉट्सऐप के डेटा संग्रहण और साझेदारी की प्रैक्टिसों के बारे में सार्वजनिक रूप से चिंता जताता है।

मेटा ने इस आदेश को चुनौती देते हुए कहा कि वॉट्सऐप के 2021 अपडेट ने लोगों के पर्सनल मैसेज की प्राइवेसी में कोई बदलाव नहीं किया था। मेटा का कहना है कि यह अपडेट यूजर्स के लिए एक विकल्प था और किसी को भी इसके कारण उनका अकाउंट डिलीट या वॉट्सऐप की कार्यक्षमता में कोई समस्या नहीं हुई थी। कंपनी के प्रवक्ता ने कहा कि, हमने यह सुनिश्चित किया कि इस अपडेट का प्रभाव किसी भी यूजर के अकाउंट पर न पड़े और वॉट्सऐप की सेवाएँ पूरी तरह से कार्यशील बनी रहें। मेटा का यह भी कहना था कि इस अपडेट का मुख्य उद्देश्य वॉट्सऐप पर वैकल्पिक व्यवसाय विशेषताएँ (ऑप्शनल बिजनेस फीचर्स) को पेश करने के बारे में था और इसने डेटा संग्रहण के बारे में अधिक पारदर्शिता प्रदान की थी।

सीसीआई के आदेश के बाद मेटा के खिलाफ जुर्माना लगाए जाने के साथ यह मामला एक महत्वपूर्ण कानूनी लड़ाई बन गया है,जो कंपनियों की डेटा पॉलिसी और उनके द्वारा उपयोगकर्ताओं के डेटा के उपयोग के तरीके को लेकर बढ़ती चिंताओं का प्रतिनिधित्व करता है। मेटा ने इसे एक गलत निर्णय मानते हुए न्यायिक समीक्षा की माँग की है,जिससे यह स्पष्ट होता है कि इस फैसले से न केवल वॉट्सऐप बल्कि अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर भी असर पड़ेगा।

मेटा का कहना है कि यह मामला केवल एक कंपनी का नहीं बल्कि पूरे डिजिटल क्षेत्र के लिए अहम है,क्योंकि डेटा सुरक्षा और उसके उपयोग के नियमों पर विभिन्न देशों में विवाद चल रहे हैं। इसलिए,मेटा ने एनसीएलएटी से इस मामले में जल्द सुनवाई की अपील की है।