मनीष सिसोदिया और अरविंद केजरीवाल (तस्वीर क्रेडिट@epanchjanya)

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में केजरीवाल और सिसोदिया के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए ईडी को दी मंजूरी

नई दिल्ली,15 जनवरी (युआईटीवी)- केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आम आदमी पार्टी (आप) के दो शीर्ष नेता अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए ईडी को मंजूरी दे दी है। दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियों के बीच गृह मंत्रालय के इस आदेश ने अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया के मुश्किलें को बढ़ा दी है। अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया के खिलाफ कई गंभीर आरोप लग रहे हैं,जिनसे उनकी राजनीतिक मुश्किलें बढ़ती दिखाई दे रही हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने हाल ही में इन दोनों नेताओं के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले में मुकदमा चलाने की मंजूरी दी है। यह मामला 2021-22 के शराब घोटाले से संबंधित है, जिसमें कथित तौर पर इन नेताओं की संलिप्तता का आरोप है। केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत मुकदमा चलाने की अनुमति देने के बाद दोनों नेताओं के खिलाफ जांच और मुकदमा चलाने की प्रक्रिया तेज हो गई है।

यह मामला 2021-22 के शराब घोटाले से जुड़ा हुआ है,जब दिल्ली सरकार ने एक नई शराब नीति लागू की थी। इस नीति के तहत शराब की बिक्री और वितरण को लेकर कई बदलाव किए गए थे। आरोप है कि आप सरकार ने इस नीति का इस्तेमाल शराब व्यापारियों को फायदा पहुंचाने के लिए किया,जिनसे कथित तौर पर रिश्वत ली गई। विशेष रूप से, साउथ ग्रुप नामक एक कार्टेल पर यह आरोप लगाया गया है कि उसने इस नीति का फायदा उठाकर दिल्ली में शराब के कारोबार को नियंत्रित किया और इससे जुड़े कुछ नेताओं को रिश्वत दी।

ईडी ने इस घोटाले के संबंध में मनी लॉन्ड्रिंग की जाँच शुरू की और यह दावा किया कि केजरीवाल और मनीष सिसोदिया इस घोटाले के मुख्य आरोपी थे। ईडी ने केजरीवाल पर आरोप लगाया कि उन्होंने गोवा चुनाव में अपने पार्टी के प्रचार अभियान के लिए कुछ शराब व्यापारियों से रिश्वत ली। इसके अलावा, जाँच एजेंसी ने कहा कि केजरीवाल राष्ट्रीय संयोजक के रूप में आप की कार्यकारिणी का हिस्सा होने के नाते इस मनी लॉन्ड्रिंग के लिए जिम्मेदार थे।

इस मामले में एक महत्वपूर्ण कानूनी पहलू यह था कि जाँच एजेंसियों को पहले केंद्रीय गृह मंत्रालय से मंजूरी प्राप्त करनी होती है,ताकि वे किसी प्रमुख सार्वजनिक व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर सकें। नवंबर 2024 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले के बाद, ईडी को भी इस मामले में दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 197(1) के तहत अनुमति प्राप्त करनी पड़ी। यह प्रावधान सीबीआई के मामले में पहले से ही लागू था,जिसमें कहा गया था कि किसी भी मंत्री या उच्च पदस्थ व्यक्ति के खिलाफ अभियोजन शुरू करने से पहले मंजूरी जरूरी होती है।

दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने पिछले महीने अरविंद केजरीवाल पर मुकदमा चलाने के लिए मंजूरी दी थी। इसके बाद,भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत सीबीआई ने इस मामले में चार्जशीट दाखिल की,जिसमें केजरीवाल और सिसोदिया का नाम दर्ज किया गया था।

अरविंद केजरीवाल को पहले ईडी द्वारा गिरफ्तार किया गया था,लेकिन बाद में उन्हें जमानत मिल गई। चार्जशीट में आरोप लगाया गया कि केजरीवाल और उनके सहयोगियों ने शराब व्यापारियों को सरकारी नीतियों के अनुसार फायदा पहुँचाया और इसके बदले में रिश्वत ली। जाँच एजेंसी ने दावा किया कि इस तरह से गोवा चुनाव के दौरान चुनावी अभियान के लिए धन जुटाया गया।

आरोपों के बावजूद,अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया दोनों ने इन आरोपों का खंडन किया है और आरोप लगाया है कि यह पूरी प्रक्रिया राजनीतिक द्वेष का परिणाम है। दोनों नेताओं का कहना है कि भाजपा अपने राजनीतिक विरोधियों को फँसाने के लिए जाँच एजेंसियों का इस्तेमाल कर रही है।

दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियों के मद्देनजर,अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया ने अपने खिलाफ लगे आरोपों के बावजूद दिल्ली में प्रचार अभियान जारी रखा है। अरविंद केजरीवाल ने पहले ही घोषणा की है कि वह 5 फरवरी को दिल्ली के नई दिल्ली निर्वाचन क्षेत्र से अपना नामांकन दाखिल करेंगे। चुनावी माहौल में उनके खिलाफ चल रही जाँच और आरोपों के बावजूद,वह अपनी पार्टी के लिए समर्थन जुटाने में लगे हुए हैं।

केजरीवाल और सिसोदिया दोनों ने इस राजनीतिक संकट को अपनी पार्टी के लिए एक संघर्ष के रूप में लिया है। उनका कहना है कि भाजपा और अन्य विरोधी दल उनकी लोकप्रियता को रोकने के लिए इन आरोपों का सहारा ले रहे हैं। इसके बावजूद, दोनों नेता दिल्ली के मतदाताओं से समर्थन माँग रहे हैं और यह दावा कर रहे हैं कि उनकी सरकार ने दिल्ली के विकास के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।

अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग और शराब घोटाले के आरोपों ने दिल्ली की राजनीति को और अधिक जटिल बना दिया है। इन आरोपों के बावजूद,केजरीवाल और सिसोदिया अपनी पार्टी के लिए चुनावी प्रचार कर रहे हैं और उन्हें उम्मीद है कि दिल्ली के लोग उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों से परे जाकर उन्हें वोट देंगे। हालाँकि, यह मामला आने वाले चुनावों और दिल्ली की राजनीति पर गहरा प्रभाव डाल सकता है। विशेष रूप से,यह देखना होगा कि क्या इन आरोपों का उनकी राजनीतिक छवि पर कोई असर पड़ता है और क्या वे आगामी चुनावों में जीतने में सफल हो पाते हैं।