अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (तस्वीर क्रेडिट@BhugolPark)

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने टिकटॉक पर 75 दिनों के लिए प्रतिबंध टालने के लिए कार्यकारी आदेश पर किए हस्ताक्षर

वाशिंगटन,21 जनवरी (युआईटीवी)- अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को टिकटॉक पर 75 दिनों के लिए प्रतिबंध टालने के लिए कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए। ट्रंप के हस्ताक्षर के बाद टिकटॉक पर अमेरिकी प्रतिबंध को 75 दिनों के लिए टाल दिया गया है। इस कदम से यह संकेत मिलता है कि ट्रंप प्रशासन टिकटॉक को लेकर अपनी स्थिति पर पुनर्विचार कर रहा है और इसे तुरंत लागू करने के बजाय कुछ और समय तक स्थिति स्पष्ट करने का अवसर दे रहा है। इस आदेश में यह भी उल्लेख किया गया है कि ट्रंप ने अपने अटॉर्नी जनरल को निर्देश दिया है कि वे टिकटॉक को चलाने में मदद कर रहे ऐप स्टोर्स और सेवा प्रदाताओं पर जुर्माना न लगाएँ। इसके साथ ही ट्रंप ने यह भी सुनिश्चित किया कि इन ऐप स्टोर्स और सेवा प्रदाताओं के खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की जाएगी और उन्हें किसी भी आचरण के लिए दायित्व का सामना नहीं करना पड़ेगा।

ट्रंप का यह आदेश टिकटॉक को लेकर उनके प्रशासन की नीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ का प्रतीक है। टिकटॉक,जो कि चीनी कंपनी बाइटडांस का स्वामित्व है,पर अमेरिका में राष्ट्रीय सुरक्षा के खतरे के रूप में देखा जा रहा था। ट्रंप प्रशासन ने पहले टिकटॉक को अमेरिकी बाजार से हटाने की धमकी दी थी,यह आरोप लगाते हुए कि टिकटॉक द्वारा एकत्रित डेटा का उपयोग चीनी सरकार द्वारा किया जा सकता है, जिससे अमेरिकी नागरिकों की सुरक्षा को खतरा हो सकता है। हालाँकि,सोमवार को दिया गया आदेश टिकटॉक पर तुरंत प्रतिबंध लगाने से बचने और इसके भविष्य को लेकर बातचीत जारी रखने की संभावना को उजागर करता है।

हालाँकि,इस आदेश को लेकर कई कानूनी और राजनीतिक विवाद उत्पन्न हो गए हैं। कुछ विशेषज्ञ और रिपब्लिकन नेता इस कदम को कानूनी दृष्टि से संदिग्ध मानते हैं। उनका कहना है कि यह कदम राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरे से निपटने के बजाय व्यापारिक हितों को प्राथमिकता देता है। चीन के खिलाफ कड़े कदम उठाने के पक्षधर रिपब्लिकन नेता मानते हैं कि टिकटॉक जैसी चीनी कंपनी अमेरिका की सुरक्षा के लिए खतरा हो सकती है और इसे प्रतिबंधित किया जाना चाहिए। इस संदर्भ में ट्रंप का यह कदम उनके प्रशासन के पहले दिन के फैसलों में एक महत्वपूर्ण और विवादास्पद कदम बन गया।

इस बीच, सोमवार को टिकटॉक के सीईओ शू च्यू ने ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह में भाग लिया, जो एक दिलचस्प घटनाक्रम था। वह इस अवसर पर तुलसी गबार्ड के बगल में बैठे थे,जिन्हें राष्ट्रीय खुफिया निदेशक के रूप में सेवा देने के लिए नामित किया गया था। इस दौरान टिकटॉक ने वाशिंगटन में एक पार्टी भी आयोजित की थी, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि टिकटॉक अमेरिकी प्रशासन के साथ अपने रिश्ते को बनाए रखने के लिए सक्रिय रूप से प्रयास कर रहा था।

इस पूरे घटनाक्रम ने अमेरिकी न्यायिक प्रणाली और टिकटॉक के भविष्य को लेकर एक नई जटिलता पैदा कर दी है। शुक्रवार को अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने एक निर्णय दिया था,जिसमें ‘बेचो या प्रतिबंधित करो’ कानून को बरकरार रखा गया था,जिसके तहत टिकटॉक को अमेरिकी बाजार से बाहर करने की धमकी दी गई थी। इस निर्णय के बाद,टिकटॉक ने अपनी सेवा शनिवार को बंद कर दी,हालाँकि यह कदम अनिवार्य नहीं था। फिर,रविवार को ट्रंप ने आदेश देने का वादा किया और इसके बाद टिकटॉक ने अपनी सेवा फिर से शुरू कर दी।

ट्रंप ने इस पूरे मामले में टिकटॉक को बचाने का वादा किया था और इस संबंध में उन्होंने एक “संयुक्त उद्यम” का प्रस्ताव दिया था,जिसमें अमेरिका को टिकटॉक का 50 प्रतिशत हिस्सा मिल सकता था। सोमवार को उन्होंने इस विचार को फिर से दोहराया और कहा, “यदि मैं यह सौदा करता हूँ,तो अमेरिका को आधा हिस्सा मिलना चाहिए।” यह बयान ट्रंप के अपने देश की सुरक्षा के प्रति चिंता को दर्शाता है,साथ ही यह संकेत देता है कि वे इस विवाद को व्यापारिक दृष्टिकोण से भी देख रहे हैं।

ट्रंप के आदेश में अमेरिकी न्याय विभाग को यह भी निर्देश दिया गया कि वे उन कानूनों को लागू न करें,जो विदेशी विरोधियों द्वारा संचालित ऐप्स पर प्रतिबंध लगाते हैं। पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडन ने इस कानून पर अप्रैल में साइन किया था और इसके अनुसार,टिकटॉक को 19 जनवरी से अमेरिका में प्रतिबंधित किया जाना था,जब तक कि यह अमेरिका या उसके किसी सहयोगी को न बेचा जाए। इस कानून के तहत राष्ट्रपति को प्रतिबंध लागू करने के तरीके पर व्यापक विवेक दिया गया था,जिससे ट्रंप को अपनी प्रशासनिक नीति में लचीलापन प्राप्त था।

अमेरिका में टिकटॉक का भविष्य अब भी अनिश्चित बना हुआ है। यह स्पष्ट नहीं है कि टिकटॉक का चीनी मालिक बाइटडांस,अमेरिका के किसी खरीदार को अपना ऐप बेचेगा या नहीं,खासकर जब ट्रंप ने इसे लेकर एक व्यापारिक सौदे का प्रस्ताव रखा है। इस मामले में कई कानूनी और राजनीतिक जटिलताएँ हैं,जो इस बात पर निर्भर करेंगी कि ट्रंप प्रशासन इस विवाद को किस दिशा में ले जाता है।

इस प्रकार, ट्रंप का यह आदेश टिकटॉक के भविष्य के बारे में कई सवाल खड़े करता है और यह सवाल भी उठाता है कि क्या अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक तनाव के चलते ऐप्स जैसे टिकटॉक का भविष्य सुरक्षित रहेगा या नहीं।