नई दिल्ली,25 जनवरी (युआईटीवी)- भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) में राजनीतिक हस्तक्षेप को लेकर खेल की वैश्विक शासी संस्था यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग (यूडब्ल्यूडब्ल्यू) ने भारत को कड़ी चेतावनी दी है। यूडब्ल्यूडब्ल्यू के अध्यक्ष नेनाद लालोविक ने डब्ल्यूएफआई के अध्यक्ष संजय सिंह को लिखे एक पत्र में महासंघ की स्वायत्तता की महत्ता को रेखांकित करते हुए यह स्पष्ट किया कि इसके आंतरिक मामलों में कोई भी राजनीतिक या सार्वजनिक हस्तक्षेप ओलंपिक चार्टर और यूडब्ल्यूडब्ल्यू के संविधान का उल्लंघन है।
लालोविक ने पत्र में यह भी कहा कि राष्ट्रीय महासंघों की स्वतंत्रता उनके कार्य संचालन के लिए महत्वपूर्ण है,खासकर जब वे अंतर्राष्ट्रीय कुश्ती आयोजनों में प्रतिनिधित्व करते हैं। उन्होंने यह उल्लेख किया कि सरकार द्वारा किए गए सार्वजनिक अनुदानों पर निगरानी रखना स्वीकार्य है,लेकिन उससे परे कोई भी हस्तक्षेप महासंघ की स्वायत्तता और स्थिति को गंभीर खतरे में डाल सकता है।
यूडब्ल्यूडब्ल्यू ने चेतावनी दी कि अगर बाहरी हस्तक्षेप जारी रहा तो डब्ल्यूएफआई को निलंबित किया जा सकता है। डब्ल्यूएफआई के अध्यक्ष संजय सिंह ने इस घटनाक्रम की पुष्टि करते हुए बताया कि यूडब्ल्यूडब्ल्यू ने भारतीय कुश्ती महासंघ को निलंबित करने की धमकी दी है,यदि डब्ल्यूएफआई के आंतरिक मामलों में सार्वजनिक और राजनीतिक अधिकारियों द्वारा कोई हस्तक्षेप किया जाता है। सिंह ने यह भी कहा कि पत्र भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) के साथ संलग्न है और वे इसे अदालत में पेश करेंगे।
यह चेतावनी डब्ल्यूएफआई के भीतर हो रही उथल-पुथल के बीच आई है,खासकर दिसंबर 2023 में महासंघ के चुनावों के बाद। भारतीय युवा मामले और खेल मंत्रालय ने डब्ल्यूएफआई को निलंबित कर दिया था,जिससे कानूनी और प्रशासनिक जटिलताएँ उत्पन्न हो गई थीं। इस निलंबन के कारण भारतीय पहलवानों को विश्व चैंपियनशिप में अपनी भागीदारी लगभग खोनी पड़ी थी,लेकिन खेल मंत्रालय ने बाद में निलंबन की समीक्षा करने का निर्णय लिया। यह निर्णय अदालत के निर्देशों के बाद लिया गया था,जिसमें सरकार को अपनी स्थिति स्पष्ट करने और एक तदर्थ पैनल को बहाल करने का निर्देश दिया गया था। हालाँकि,इस फैसले का भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) ने विरोध किया था,जो इसके प्रारंभिक चरण में विवादास्पद था।
इसके बीच में,भारतीय सरकार ने डब्ल्यूएफआई के अधिकृत प्रतिनिधि के रूप में डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष संजय सिंह को बुलाया था। सरकार का उद्देश्य यूडब्ल्यूडब्ल्यू द्वारा उठाई गई चिंताओं को दूर करना और साथ ही घरेलू चुनौतियों को संतुलित करते हुए अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप कार्रवाई सुनिश्चित करना था।
यूडब्ल्यूडब्ल्यू की यह चेतावनी भारतीय कुश्ती पर गहरा असर डाल सकती है। यदि डब्ल्यूएफआई को निलंबित कर दिया जाता है,तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। सबसे बड़ा खतरा यह है कि भारतीय पहलवानों को राष्ट्रीय ध्वज के तहत अंतर्राष्ट्रीय आयोजनों में भाग लेने से रोक दिया जाएगा। इस स्थिति का भारतीय कुश्ती के लिए भविष्य में एक दीर्घकालिक नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है,जिससे भारतीय पहलवानों की अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भागीदारी पर प्रतिकूल असर पड़ेगा।
यह घटनाक्रम भारतीय कुश्ती के लिए एक कठिन समय को दर्शाता है,क्योंकि महासंघ की स्वायत्तता और सरकार की राजनीतिक भूमिका के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। इस मुद्दे का समाधान समय रहते किया जाना जरूरी है,ताकि भारतीय कुश्ती को वैश्विक मंच पर अपनी पहचान बनाए रखने में कोई रुकावट न आए। यूडब्ल्यूडब्ल्यू द्वारा की गई चेतावनी को गंभीरता से लिया जाना चाहिए,क्योंकि इससे न केवल भारतीय कुश्ती के भविष्य पर प्रभाव पड़ेगा,बल्कि यह भारतीय खेलों के विश्वसनीयता और प्रतिष्ठा को भी प्रभावित कर सकता है।
इस पूरे घटनाक्रम में डब्ल्यूएफआई और भारतीय सरकार के बीच संतुलन बनाने का कार्य महत्वपूर्ण है,ताकि भारतीय पहलवानों को अपने कड़े प्रयासों और समर्पण के साथ अपनी अंतर्राष्ट्रीय यात्रा जारी रखने का अवसर मिल सके। अगर राजनीतिक हस्तक्षेप से कुश्ती के संचालन में रुकावट आई,तो इससे भारतीय पहलवानों की मेहनत और भविष्य को बड़ा नुकसान हो सकता है, जिसे टाला जाना चाहिए।
