उज्जैन,21 अप्रैल (युआईटीवी)- साउथ फिल्म इंडस्ट्री के सुपरस्टार और ‘केजीएफ’ फेम अभिनेता यश सोमवार को मध्य प्रदेश के उज्जैन स्थित महाकालेश्वर मंदिर पहुँचे। यहाँ उन्होंने महाकाल के दर्शन और पूजन किया तथा विश्वप्रसिद्ध भस्म आरती में भी भाग लिया। यश ने अपने इस अनुभव को “अविश्वसनीय” बताया और कहा कि उन्हें महाकाल के दर्शन करके अत्यंत शांति और ऊर्जा की अनुभूति हुई।
यश ने तड़के महाकाल की प्रसिद्ध भस्म आरती में भाग लिया,जो कि भारत की सबसे पौराणिक और विशेष आरतियों में से एक मानी जाती है। आरती के बाद यश ने चाँदी द्वार से भगवान महाकाल का विधिवत पूजन किया और मंदिर में माथा टेककर आशीर्वाद लिया। पूजन की विधि आकाश पुजारी द्वारा सम्पन्न करवाई गई।
आरती और पूजन के पश्चात यश मंदिर के नंदी हॉल में ध्यान मुद्रा में बैठे नजर आए, जहाँ उन्होंने कुछ समय शिव साधना में बिताया। इस दौरान वे पूरी तरह धार्मिक वेशभूषा में दिखाई दिए। यश ने रेशमी धोती,पटका,रुद्राक्ष की माला और माथे पर अष्टगंध लगाई हुई थी,जो उनके भक्ति भाव को दर्शा रहा था।
अभिनेता यश मंदिर की व्यवस्थाओं से काफी प्रभावित हुए और उन्होंने दर्शन के बाद मीडिया से बातचीत में कहा, “महाकाल का दर्शन करके बहुत अच्छा लग रहा है। यह अनुभव मेरे लिए अविश्वसनीय था। यहाँ की व्यवस्था देखकर मन बहुत प्रसन्न हुआ। श्रद्धालुओं की आस्था देखकर आत्मा तक आनंदित हो उठी।”
यश को मंदिर प्रशासन की ओर से ‘महाकाल’ नाम का छपा हुआ लाल रंग का पटका प्रसाद रूप में भेंट किया गया,जिसे उन्होंने बड़े श्रद्धा भाव से स्वीकार किया।
वर्कफ्रंट की बात करें तो यश जल्द ही निर्देशक नितेश तिवारी की बहुप्रतीक्षित फिल्म ‘रामायण’ में लंका नरेश रावण की भूमिका निभाते नजर आएँगे। इस फिल्म में उनके साथ रणबीर कपूर श्रीराम और साई पल्लवी सीता के किरदार में दिखाई देंगी। फिल्म को लेकर दर्शकों में जबरदस्त उत्साह है और यश का इस पौराणिक भूमिका में दिखना एक नया अनुभव होगा।
महाकालेश्वर मंदिर में तड़के होने वाली भस्म आरती का बहुत ही खास और पौराणिक महत्व है। इसमें भगवान शिव का श्रृंगार श्मशान की चिता की भस्म से किया जाता है। इस भस्म में गौरी,पीपल,पलाश,शमी और बेल की लकड़ियों की राख भी मिलाई जाती है। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है और इसे महाकाल के तांडव और श्मशान वास के प्रतीक रूप में देखा जाता है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार,भस्म आरती के दौरान महाकालेश्वर निराकार स्वरूप में होते हैं,इसलिए इस दौरान महिलाएँ सिर पर घूँघट या ओढ़नी डालती हैं। कुछ परंपराओं में महिलाओं को आरती देखने की अनुमति नहीं होती।
यश की महाकालेश्वर यात्रा न केवल उनकी आध्यात्मिक आस्था को दर्शाती है,बल्कि यह भी दिखाती है कि आधुनिक फिल्म सितारे भी अपनी सांस्कृतिक जड़ों और धार्मिक भावनाओं से जुड़े रहते हैं। महाकाल के दर पर यश का यह अनुभव उनके जीवन का एक अविस्मरणीय क्षण बन गया है।