पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ (तस्वीर क्रेडिट@Shashank_8880)

पहलगाम हमले पर पाकिस्तान की प्रतिक्रिया: शहबाज शरीफ ने की निष्पक्ष जाँच की पेशकश,भारत ने उठाए कड़े कदम

इस्लामाबाद,26 अप्रैल (युआईटीवी)- 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल पहलगाम की बैसरन घाटी में हुए आतंकी हमले में कम-से-कम 26 लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हुए। हमले के वक्त अधिकतर पीड़ित पर्यटक थे, जिन पर आतंकियों ने अंधाधुंध गोलियाँ बरसा दीं। इस वीभत्स हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर पहुँच गया है।

घटना के बाद भारत ने सीधे तौर पर पाकिस्तान की ओर इशारा किया और इस हमले में उसकी भूमिका पर सवाल उठाए। इसके जवाब में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने शनिवार को बयान जारी कर कहा कि उनका देश किसी भी निष्पक्ष,पारदर्शी और विश्वसनीय जाँच के लिए तैयार है।

काकुल स्थित पाकिस्तान मिलिट्री अकादमी में पासिंग आउट परेड को संबोधित करते हुए शहबाज शरीफ ने भारत के आरोपों को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि भारत बिना किसी साक्ष्य के पाकिस्तान पर झूठे और आधारहीन आरोप लगा रहा है। शरीफ ने दोहराया कि पाकिस्तान एक जिम्मेदार देश है और आतंकवाद के सभी रूपों की हमेशा आलोचना करता रहा है।

प्रधानमंत्री शरीफ ने यह भी कहा कि पाकिस्तान खुद आतंकवाद का शिकार रहा है और पिछले कुछ दशकों में उसे भारी नुकसान हुआ है। उन्होंने दावा किया कि पाकिस्तान ने आतंकवाद के कारण अब तक 90,000 जानें गंवाई हैं और देश को 600 अरब डॉलर से अधिक की आर्थिक क्षति हुई है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक संघर्ष में अग्रणी भूमिका निभाने का अनुभव है।

शहबाज शरीफ ने अपने भाषण में एक बार फिर कश्मीर का मुद्दा उठाया और कहा कि यह पाकिस्तान के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना का हवाला देते हुए कहा कि “कश्मीर पाकिस्तान की गर्दन की नस है।” यह बयान भारत को स्पष्ट संकेत देता है कि पाकिस्तान कश्मीर को लेकर अपने पुराने रुख पर अब भी कायम है।

भारत ने इस हमले को लेकर बेहद सख्त रुख अपनाया है। नई दिल्ली ने पाकिस्तान के खिलाफ कई कूटनीतिक और रणनीतिक कदम उठाए हैं। इनमें 1960 के सिंधु जल समझौते को निलंबित करना,अटारी इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट को बंद करना और पाकिस्तानी नागरिकों के लिए वीजा सेवाएँ निलंबित करना शामिल हैं। ये सभी फैसले भारत की ओर से पाकिस्तान को कड़ा संदेश देने के रूप में देखे जा रहे हैं।

भारत के इन फैसलों के बाद पाकिस्तान ने भी कुछ कड़े कदम उठाए हैं। इनमें शिमला समझौते को स्थगित करना और भारतीय विमानों के लिए अपने हवाई क्षेत्र को बंद करने जैसे निर्णय शामिल हैं। यह साफ है कि दोनों देशों के बीच तनावपूर्ण संबंध अब एक बार फिर गहराते जा रहे हैं।

पहलगाम हमला न केवल मानवीय दृष्टि से त्रासदी है,बल्कि यह भारत-पाकिस्तान संबंधों के लिए एक और बड़ा झटका साबित हुआ है। पाकिस्तान की ओर से जाँच में सहयोग की पेशकश के बावजूद भारत का विश्वास बहाल होता नहीं दिख रहा। दोनों देशों के बीच संवाद के रास्ते फिर से बंद होते जा रहे हैं,जिससे क्षेत्रीय स्थिरता पर खतरे के बादल मंडराने लगे हैं।

जब तक इस हमले की निष्पक्ष और गहन जाँच नहीं होती और जिम्मेदारों को सज़ा नहीं मिलती,तब तक दक्षिण एशिया में शांति की उम्मीद धुंधली ही रहेगी।