अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (तस्वीर क्रेडिट@Arya909050)

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने विदेशी फिल्मों को ‘राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा’ बता लगाया 100 प्रतिशत टैरिफ

वाशिंगटन,5 मई (युआईटीवी)- अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बड़ा और विवादास्पद कदम उठाते हुए विदेशी फिल्मों पर 100 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा की है। ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर इस फैसले की जानकारी देते हुए कहा कि अमेरिका में फिल्म उद्योग का पतन हो रहा है,जो केवल आर्थिक नहीं,बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा का भी मुद्दा बन चुका है।

ट्रंप ने कहा कि अन्य देश अमेरिका के फिल्म निर्माताओं और स्टूडियो को लुभावने टैक्स प्रोत्साहनों और सब्सिडी के जरिए अमेरिका से बाहर ले जा रहे हैं। उनके अनुसार,यह केवल आर्थिक प्रतिस्पर्धा नहीं,बल्कि एक सुनियोजित रणनीति है,जिससे अमेरिकी फिल्म उद्योग को कमजोर किया जा रहा है। उन्होंने इसे “प्रचार और संदेश” का भी मुद्दा बताया,जो राष्ट्र की मानसिकता और विचारधारा को प्रभावित कर सकता है।

उनका कहना है कि विदेशी फिल्मों का बढ़ता प्रभाव अमेरिकी संस्कृति और मूल्यों के लिए खतरा बनता जा रहा है। ट्रंप ने अमेरिका के वाणिज्य विभाग और व्यापार प्रतिनिधि कार्यालय (यूएसटीआर) को निर्देश दिया है कि वे विदेशों में बनी फिल्मों पर 100 प्रतिशत टैरिफ लगाने की प्रक्रिया तुरंत शुरू करें।

ट्रंप ने अमेरिका में फिल्म निर्माण में आई गिरावट के लिए सीधे तौर पर कैलिफोर्निया के गवर्नर गेविन न्यूजॉम को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने आरोप लगाया कि गवर्नर की गलत नीतियों और उच्च टैक्स दरों के कारण फिल्म स्टूडियो अन्य देशों की ओर पलायन कर रहे हैं। ट्रंप का मानना है कि यह गिरावट केवल नीतिगत असफलता नहीं,बल्कि अमेरिका के रचनात्मक और आर्थिक नेतृत्व पर सीधा प्रहार है।

पिछले कुछ वर्षों में अमेरिकी फिल्म उद्योग को कई आर्थिक झटकों का सामना करना पड़ा है। कोविड-19 महामारी के दौरान सिनेमाघरों का बंद होना,हॉलीवुड मजदूर हड़ताल और स्टूडियो में लागत में वृद्धि के कारणों ने उद्योग को कमजोर किया है। इसके साथ ही,कनाडा,ऑस्ट्रेलिया,ब्रिटेन और भारत जैसे देशों ने अपने यहाँ फिल्म निर्माण के लिए भारी टैक्स इंसेंटिव और अनुकूल माहौल दिया है,जिससे अमेरिका में फिल्मों की शूटिंग कम हो गई है।

जनवरी में ट्रंप ने तीन हॉलीवुड दिग्गज -जॉन वॉइट,मेल गिब्सन और सिल्वेस्टर स्टेलोन को विशेष दूत के रूप में नियुक्त किया था। इनका कार्य अमेरिकी फिल्म उद्योग को पुनर्जीवित करना और व्यापार के अवसर बढ़ाना है। ट्रंप का मानना है कि हॉलीवुड का व्यापार वापस अमेरिका में लाना जरूरी है,ताकि देश की आर्थिक और सांस्कृतिक स्थिति मजबूत हो सके।

हालाँकि,ट्रंप की घोषणा ने राजनीतिक और आर्थिक हलकों में हलचल मचा दी है, लेकिन विशेषज्ञ इस पर सवाल भी उठा रहे हैं। विदेशी फिल्मों पर टैरिफ लगाने से अमेरिकी दर्शकों को महंगी टिकटें खरीदनी पड़ सकती हैं,जिससे मल्टीप्लेक्स बाजार पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा। साथ ही,वैश्विक व्यापार नियमों के तहत यह निर्णय विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में चुनौती का सामना कर सकता है।

डेमोक्रेटिक नेताओं ने इस कदम को “राष्ट्रवाद की आड़ में आर्थिक अलगाववाद” करार दिया है। वहीं ट्रंप समर्थक इसे “अमेरिका फर्स्ट” नीति का हिस्सा मान रहे हैं। फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े कई लोगों ने आशंका जताई है कि इससे रचनात्मक सहयोग और अंतर्राष्ट्रीय साझेदारी को नुकसान पहुंचेगा।

डोनाल्ड ट्रंप का यह फैसला चुनावी साल के दौरान आया है,जिससे इसके राजनीतिक मकसद पर भी चर्चा हो रही है। जहाँ एक ओर ट्रंप इसे अमेरिकी उद्योग को बचाने की कोशिश बता रहे हैं,वहीं आलोचकों का मानना है कि यह वैश्विक सिनेमा के खुलेपन के खिलाफ एक संरक्षणवादी कदम है।

यह देखना दिलचस्प होगा कि ट्रंप का यह निर्णय कितनी दूर तक जाता है। क्या यह केवल एक चुनावी वादा रहेगा या वास्तव में नीति का रूप लेगा? लेकिन इतना तय है कि इससे अमेरिकी फिल्म उद्योग,वैश्विक सिनेमा और अमेरिका के व्यापारिक संबंधों पर गहरा असर पड़ेगा।