कनाडा की नई विदेश मंत्री अनीता आनंद (तस्वीर क्रेडिट@jpsin1)

अनीता आनंद बनीं कनाडा की नई विदेश मंत्री,भारत के साथ रिश्तों को सुधारना पहली प्राथमिकता

ओटावा,14 मई (युआईटीवी)- कनाडा की राजनीति में बड़ा बदलाव सामने आया है। नए प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने अनीता आनंद को देश की नई विदेश मंत्री नियुक्त किया है। अनीता आनंद को यह पद ऐसे समय में सौंपा गया है,जब भारत और कनाडा के संबंध बेहद तनावपूर्ण दौर से गुजर रहे हैं। प्रधानमंत्री कार्नी ने स्पष्ट किया है कि अनीता आनंद की सबसे बड़ी जिम्मेदारी भारत के साथ टूटी हुई कूटनीतिक डोर को फिर से जोड़ना और अमेरिका के साथ रिश्तों को और मजबूत बनाना होगी।

भारतीय मूल की अनीता आनंद इससे पहले कनाडा सरकार में रक्षा मंत्री और परिवहन मंत्री जैसे अहम मंत्रालयों की जिम्मेदारी निभा चुकी हैं। जनवरी 2025 में उन्होंने कहा था कि वे राजनीति से संन्यास लेकर शिक्षा के क्षेत्र में लौटना चाहती हैं, लेकिन हाल ही में हुए चुनावों में वे दोबारा निर्वाचित हुईं और प्रधानमंत्री कार्नी ने उन्हें एक बार फिर कैबिनेट में शामिल कर लिया है। इस बार उन्हें विदेश मंत्रालय जैसे अत्यंत महत्वपूर्ण पद की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

प्रधानमंत्री कार्नी ने अनीता आनंद को विदेश मंत्री नियुक्त करते हुए स्पष्ट शब्दों में कहा कि उनका मुख्य मिशन भारत के साथ लगभग टूट चुके संबंधों को फिर से स्थापित करना होगा। साथ ही अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ तालमेल बढ़ाकर द्विपक्षीय रिश्तों को मजबूत करना भी उनकी प्राथमिकताओं में रहेगा।

भारत-कनाडा संबंधों में पिछले कुछ वर्षों में काफी गिरावट आई है,खासतौर पर जब जस्टिन ट्रूडो प्रधानमंत्री थे। वर्ष 2015 में ट्रूडो के सत्ता में आने के बाद से भारत के साथ संबंध लगातार बिगड़ते गए। इसके पीछे खालिस्तान समर्थकों को लेकर ट्रूडो सरकार का नरम रुख एक बड़ी वजह रहा। कनाडा में खालिस्तान समर्थकों को खुली छूट मिलने और भारतीय राजनयिकों पर उँगली उठाने जैसे घटनाक्रमों ने दोनों देशों के रिश्तों में गहरी खाई पैदा कर दी।

नए प्रधानमंत्री मार्क कार्नी को जस्टिन ट्रूडो की विरासत में एक तनावपूर्ण विदेश नीति मिली है,लेकिन कार्नी अब इस दिशा में बदलाव की पहल कर रहे हैं। उन्होंने चुनाव में लिबरल पार्टी को जीत दिलाकर सत्ता में वापसी की है और अब अपनी अलग पहचान बनाने में जुटे हैं। उन्होंने पुराने मंत्रिमंडल में बड़े फेरबदल किए हैं,जहाँ ट्रूडो की कैबिनेट में 39 मंत्री थे,वहीं कार्नी ने 28 मंत्रियों की छोटी,लेकिन चुस्त टीम बनाई है। उन्होंने सभी मंत्रियों से अपेक्षा की है कि वे नए विचार,स्पष्ट फोकस और निर्णायक फैसले लेकर काम करें।

नए मंत्रिमंडल में भारतीय मूल के नेताओं की संख्या में गिरावट देखने को मिली है। पिछली सरकार में शामिल तीन प्रमुख भारतीय मूल के नेताओं को इस बार कैबिनेट में जगह नहीं दी गई। हालाँकि,कुछ भारतीय मूल के नेता अब भी सरकार में शामिल हैं,लेकिन अपेक्षाकृत छोटे पदों पर। मनिंदर सिद्धू को अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मंत्री बनाया गया है,जबकि रूबी सहोता और रणदीप सराय जैसे नेताओं को राज्य सचिव (जूनियर मंत्री) के पद दिए गए हैं। रूबी सहोता अब अपराध से निपटने के लिए जिम्मेदार होंगी,जबकि रणदीप सराय अंतर्राष्ट्रीय विकास के क्षेत्र में काम करेंगे।

अनीता आनंद ने मेलानी जोली की जगह ली है,जिन्हें अब परिवहन और आंतरिक व्यापार मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई है। मेलानी जोली उस समय विवादों में आ गई थीं,जब उन्होंने छह भारतीय राजनयिकों को निष्कासित कर दिया था और हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के संदर्भ में उन्हें “पर्सन ऑफ इंट्रेस्ट” बताया था। भारत ने इस मामले में किसी भी तरह की संलिप्तता से इनकार किया है और बदले में कनाडा के राजनयिकों को निष्कासित कर दिया गया था। इस घटनाक्रम ने दोनों देशों के बीच पहले से ही तनावपूर्ण माहौल को और बिगाड़ दिया था।

प्रधानमंत्री कार्नी ने अपनी नई टीम में कई अहम बदलाव किए हैं। अमेरिका के साथ टैरिफ युद्ध के बीच डोमिनिक लेब्लांक को कनाडा-अमेरिका व्यापार मामलों का मंत्री बनाया गया है। वहीं,क्रिस्टिया फ्रीलैंड,जो पहले उप प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री थीं,अब पार्टी नेतृत्व और उद्योग मंत्रालय को लेकर कार्नी को चुनौती देती नजर आई हैं। पूर्व रक्षा मंत्री हरजीत सिंह सज्जन ने इस बार चुनाव नहीं लड़ा और वे राजनीति से बाहर हो गए हैं।

इसके अलावा आरिफ विरानी,जो पहले न्याय मंत्री और अटॉर्नी जनरल थे और कमल खेड़ा,जो विकलांग व्यक्तियों के लिए समावेशन विभाग संभाल रहे थे,दोनों को कार्नी ने मंत्रिमंडल से हटा दिया है।

अनीता आनंद की विदेश मंत्री के रूप में नियुक्ति,कनाडा की विदेश नीति में एक नए अध्याय की शुरुआत मानी जा रही है। प्रधानमंत्री कार्नी ने उन्हें जिस स्पष्ट उद्देश्य के साथ यह जिम्मेदारी सौंपी है,उससे यह संकेत मिलता है कि कनाडा अब भारत के साथ अपने बिगड़े रिश्तों को सुधारने के लिए गंभीर है। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि अनीता आनंद अपनी कूटनीतिक कौशल से इस जटिल चुनौती को कैसे सुलझाती हैं और कनाडा को वैश्विक मंच पर किस तरह से स्थापित करती हैं।

भारत और कनाडा के बीच आपसी विश्वास की बहाली,व्यापारिक सहयोग और राजनयिक संवाद अब अनीता आनंद के नेतृत्व में एक नई दिशा की ओर बढ़ सकता है। अगर यह पहल सफल होती है,तो यह न केवल कनाडा के लिए बल्कि भारत और वैश्विक राजनीति के लिए भी एक सकारात्मक संकेत होगा।