नई दिल्ली,14 मई (युआईटीवी)- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आतंकवाद और सीमा उल्लंघन के मामलों में अपनाए गए कड़े और स्पष्ट रुख का असर अब पाकिस्तान पर भी दिखने लगा है। इसी कड़ी में एक बड़ा घटनाक्रम सामने आया है,जब पाकिस्तान ने गलती से उसकी सीमा में चले गए भारतीय सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के जवान कांस्टेबल पूर्णम कुमार शॉ को भारत को सौंप दिया।
यह घटना 23 अप्रैल 2025 की है,जब फिरोजपुर सेक्टर में ऑपरेशनल ड्यूटी के दौरान बीएसएफ की 182वीं बटालियन के कांस्टेबल पूर्णम कुमार शॉ गलती से पाकिस्तान की सीमा में प्रवेश कर गए थे। यह तब हुआ,जब वे रूटीन पेट्रोलिंग पर थे और अनजाने में अंतर्राष्ट्रीय सीमा पार कर गए। इसके तुरंत बाद पाकिस्तानी रेंजर्स ने उन्हें अपनी हिरासत में ले लिया।
लगभग 3 हफ्ते की हिरासत के बाद,14 मई 2025 की सुबह 10:30 बजे,पाकिस्तान ने पूर्णम शॉ को अटारी-वाघा सीमा पर भारत को सौंप दिया। सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि उन्होंने अपने जवान को सकुशल वापस ले लिया है।
जैसे ही पूर्णम शॉ ने वाघा बॉर्डर से भारतीय सीमा में प्रवेश किया,वहाँ तैनात अधिकारियों ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया। जवान की वापसी से ना केवल उनके परिवार ने राहत की सांस ली,बल्कि बीएसएफ के साथ-साथ पूरे देश में संतोष की भावना देखी गई।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह रिहाई भारत सरकार द्वारा हालिया दिनों में अपनाई गई कड़ी रणनीति और सख्त संदेश का ही परिणाम है। प्रधानमंत्री मोदी ने हाल ही में स्पष्ट कर दिया था कि भारत अपनी सीमा की रक्षा के लिए किसी भी स्तर तक जा सकता है और “आतंक और बातचीत एक साथ नहीं चल सकते” का सिद्धांत अब सिर्फ बयानबाजी नहीं,बल्कि कार्यनीति का हिस्सा है।
पिछले दिनों ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत ने पाकिस्तान और पीओके में स्थित 9 आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया था। साथ ही सीमा पर पाकिस्तान की गोलीबारी का कड़ा जवाब दिया गया था। ऐसे माहौल में पाकिस्तान पर अंतर्राष्ट्रीय दबाव भी बना है,जिससे उसे ऐसे मामलों में नरमी दिखानी पड़ी है।
बीएसएफ जवान पूर्णम कुमार शॉ की सुरक्षित वापसी सिर्फ एक मानवीय पहलू नहीं है,बल्कि यह भारत की बदली हुई सुरक्षा नीति और दृढ़ कूटनीति की भी मिसाल है।, जहाँ पहले ऐसे मामलों में लंबी कूटनीतिक प्रक्रिया लगती थी,अब भारत की तत्काल प्रतिक्रिया और वैश्विक दबाव के बीच परिणाम जल्द देखने को मिल रहे हैं। यह घटना साफ संकेत देती है कि भारत अब हर भारतीय की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता पर रखता है,चाहे वह सीमा पर तैनात सैनिक हो या सीमा पार फँसा कोई नागरिक।
