संयुक्त राष्ट्र,31 मई (युआईटीवी)- संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने दक्षिण सूडान की सुरक्षा स्थिति और राजनीतिक सुधारों की धीमी प्रगति को देखते हुए 31 मई 2026 तक उसके खिलाफ हथियारों पर प्रतिबंध को एक साल के लिए और बढ़ाने का फैसला किया है। यह फैसला परिषद में पारित प्रस्ताव संख्या 2781 के तहत लिया गया,जिसे 9 वोटों के समर्थन और 6 देशों के बहिष्कार के बाद मंजूरी दी गई।
सिन्हुआ समाचार एजेंसी के अनुसार,इस प्रस्ताव में न केवल हथियार प्रतिबंध को एक साल के लिए बढ़ाया गया है,बल्कि इसमें व्यक्तियों और संस्थाओं के खिलाफ लक्षित प्रतिबंध जैसे कि यात्रा प्रतिबंध और संपत्ति की जब्ती को भी शामिल किया गया है। इसके अलावा,प्रतिबंधों की निगरानी और रिपोर्टिंग के लिए गठित विशेषज्ञों के पैनल का कार्यकाल भी 1 जुलाई 2026 तक बढ़ा दिया गया है।
यह पैनल सुरक्षा परिषद की दक्षिण सूडान प्रतिबंध समिति को तकनीकी सहयोग और जानकारी उपलब्ध कराता है,ताकि प्रतिबंधों के क्रियान्वयन और उल्लंघनों पर निगरानी रखी जा सके।
इस प्रस्ताव के पक्ष में कुल 9 देशों ने मतदान किया,जबकि 6 देशों ने मतदान से परहेज किया। सबसे अहम बात यह रही कि सुरक्षा परिषद के तीन अफ्रीकी सदस्य अल्जीरिया, सिएरा लियोन और सोमालिया ने चीन,पाकिस्तान और रूस के साथ मिलकर मतदान से दूरी बनाई। इन देशों का यह रुख बताता है कि दक्षिण सूडान पर प्रतिबंधों को लेकर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में एकरूपता नहीं है।
इस प्रस्ताव की एक उल्लेखनीय बात यह है कि इसमें यह स्पष्ट किया गया है कि यदि दक्षिण सूडान 2021 में पारित प्रस्ताव 2577 के तहत तय किए गए मुख्य लक्ष्यों पर ठोस प्रगति करता है,तो इन प्रतिबंधों की समीक्षा की जा सकती है। सुरक्षा परिषद ने संकेत दिया है कि इन प्रतिबंधों को संशोधित,निलंबित,धीरे-धीरे हटाया या आवश्यकता अनुसार और कड़ा किया जा सकता है।
इसमें यह भी कहा गया है कि सुरक्षा परिषद प्रतिबंधों को नियमित रूप से समीक्षा करती रहेगी और दक्षिण सूडान की आंतरिक सुरक्षा,मानवाधिकारों की स्थिति और राजनीतिक सुधारों के अनुसार आवश्यक निर्णय लेगी।
प्रस्ताव में संयुक्त राष्ट्र महासचिव से भी अनुरोध किया गया है कि वे दक्षिण सूडान में मौजूद संयुक्त राष्ट्र मिशन और विशेषज्ञों के पैनल के साथ मिलकर 15 अप्रैल 2026 तक यह मूल्यांकन करें कि दक्षिण सूडान ने किन मानदंडों पर कितनी प्रगति की है।
इसके साथ ही,दक्षिण सूडान की सरकार से भी कहा गया है कि वे उसी तारीख तक अपनी ओर से की गई प्रगति की विस्तृत रिपोर्ट संकट समिति को प्रस्तुत करें।
दक्षिण सूडान में 2013 में शुरू हुआ गृहयुद्ध,लाखों लोगों की जान और घर उजाड़ चुका है। इसके चलते देश में व्यापक पैमाने पर हिंसा,मानवाधिकारों का उल्लंघन और राजनैतिक अस्थिरता फैली। इसी पृष्ठभूमि में 2018 में शांति समझौते की शुरुआत हुई,लेकिन उसका क्रियान्वयन बेहद धीमा रहा।
संयुक्त राष्ट्र ने 2018 में दक्षिण सूडान पर हथियार प्रतिबंध लगाए थे,ताकि हथियारों की आपूर्ति पर रोक लगाकर हिंसा को रोका जा सके और राजनीतिक समाधान को प्राथमिकता दी जा सके। इसके बावजूद अभी तक शांति प्रक्रिया पूरी तरह सफल नहीं हो पाई है।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का यह फैसला दक्षिण सूडान की मौजूदा स्थिति को लेकर उसकी गहरी चिंता को दर्शाता है। यह प्रतिबंध न केवल एक सख्त चेतावनी है,बल्कि साथ ही एक मौका भी है,जिसमें दक्षिण सूडान को यह संकेत दिया गया है कि अगर वह राजनीतिक सुधारों,हिंसा पर नियंत्रण और नागरिक अधिकारों के संरक्षण में वास्तविक प्रगति करता है,तो इन प्रतिबंधों को हटाया भी जा सकता है।
अब यह दक्षिण सूडान की सरकार पर निर्भर है कि वह इस अवसर को किस तरह से लेती है। एक सुधार का मौका या अंतर्राष्ट्रीय अलगाव का रास्ता। 2026 की रिपोर्टिंग और मूल्यांकन इस दिशा में अगला निर्णायक कदम होगा।
