लंदन,2 जून (युआईटीवी)- भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता और सांसद रविशंकर प्रसाद के नेतृत्व में एक सर्वदलीय भारतीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल ने हाल ही में ब्रिटेन की यात्रा की,जहाँ उन्होंने न केवल भारत-ब्रिटेन द्विपक्षीय संबंधों को सुदृढ़ करने पर चर्चा की,बल्कि वैश्विक मंच पर आतंकवाद के विरुद्ध भारत की अटूट प्रतिबद्धता को भी जोरदार तरीके से सामने रखा। यह प्रतिनिधिमंडल 31 मई को लंदन पहुँचा और इसने ब्रिटेन की शैडो विदेश सचिव प्रीति पटेल सहित अनेक कूटनीतिक और सामाजिक प्रतिनिधियों से महत्वपूर्ण बैठकों में भाग लिया।
रविवार शाम को भारतीय दूतावास,लंदन ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर जानकारी दी कि प्रतिनिधिमंडल ने ब्रिटेन की शैडो विदेश सचिव प्रीति पटेल और उनकी टीम से मुलाकात की। इस दौरान भारत की ओर से सीमा पार आतंकवाद से निपटने में अपने दृढ़ संकल्प को साझा किया गया। एक अहम बिंदु के रूप में “ऑपरेशन सिंदूर” का उल्लेख किया गया,जो हाल ही में भारतीय सुरक्षा बलों द्वारा किए गए प्रमुख आतंकवाद-रोधी अभियानों में से एक है और भारत की नई नीति और ऑपरेशनल रणनीति की झलक देता है।
इस बैठक के माध्यम से यह संदेश दिया गया कि भारत अब आतंकवाद के विरुद्ध रक्षात्मक नहीं,बल्कि प्रोएक्टिव और निर्णायक रणनीति अपना रहा है। यह नई सोच सिर्फ सैन्य कार्रवाई तक सीमित नहीं है,बल्कि इसमें कूटनीति,जनसंपर्क और वैश्विक समर्थन की स्पष्ट भूमिका है।
लंदन स्थित भारतीय उच्चायुक्त विक्रम दोराईस्वामी ने रविवार सुबह भारतीय सांसदों के इस प्रतिनिधिमंडल को भारत-ब्रिटेन संबंधों और आतंकवाद से निपटने में दोनों देशों के संभावित सहयोग की जानकारी दी। इसके बाद प्रतिनिधिमंडल ने डॉ. बीआर अंबेडकर संग्रहालय का दौरा किया।
इस यात्रा का विशेष महत्व इसलिए भी है क्योंकि यह भारत में संविधान के लागू होने की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर हुई। प्रतिनिधिमंडल ने डॉ. अंबेडकर को श्रद्धांजलि दी और 26 नवंबर 1949 को संविधान को अंगीकार करने की ऐतिहासिक तिथि को याद किया। इस अवसर पर यह भी स्मरण किया गया कि 26/11 का मुंबई आतंकी हमला भी इसी दिन शुरू हुआ था एक ऐसा हमला जो पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद का सबसे वीभत्स चेहरा था।
प्रतिनिधिमंडल ने यह स्पष्ट किया कि भारत अपने संवैधानिक मूल्यों और लोकतांत्रिक ढाँचे की रक्षा करते हुए आतंकवाद के विरुद्ध सख्त रुख अपनाने के लिए प्रतिबद्ध है।
प्रतिनिधिमंडल ने टैविस्टॉक स्क्वायर गार्डन में स्थित महात्मा गांधी की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की। इस अवसर पर गांधीजी की विचारधारा और विशेष रूप से उनका यह मत दोहराया गया कि, “कोई भी हिंसा,चाहे उसका औचित्य कुछ भी हो, अनैतिक है। आतंकवाद को हर स्थिति में गलत ठहराया जाना चाहिए।”
इस कदम से भारत ने यह संकेत दिया कि आतंकवाद से निपटने की उसकी नीति केवल जवाबी हमले तक सीमित नहीं,बल्कि एक नैतिक और वैचारिक आधार पर भी टिकी है।
शाम को इंडिया हाउस में आयोजित कार्यक्रम में प्रतिनिधिमंडल ने भारतीय प्रवासी समुदाय के विविध वर्गों से सीधी बातचीत की। इस दौरान भारत की नीति स्पष्ट रूप से साझा की गई कि देश हर प्रकार के आतंकवाद का निर्णायक ढंग से मुकाबला करेगा और किसी भी आतंकी कृत्य को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
भारत की ‘जीरो टॉलरेंस’ पॉलिसी को रेखांकित करते हुए प्रतिनिधियों ने यह भी कहा कि भारत सिर्फ अपने लिए नहीं,बल्कि वैश्विक शांति और स्थिरता के लिए आतंकवाद के खिलाफ लड़ रहा है।
इस प्रतिनिधिमंडल में विभिन्न दलों के नेता और विशेषज्ञ शामिल थे,जो भारत के लोकतंत्र की बहुलता और उसकी एकजुट राय को दर्शाता है,जिसमें रविशंकर प्रसाद (भाजपा) – प्रतिनिधिमंडल के प्रमुख,दग्गुबाती पुरंदेश्वरी (भाजपा),समिक भट्टाचार्य (भाजपा),प्रियंका चतुर्वेदी (शिवसेना-यूबीटी),गुलाम अली खटाना (भाजपा),अमर सिंह (कांग्रेस),एमजे अकबर (पूर्व केंद्रीय मंत्री),एम.थंबीदुरई (एआईएडीएमके),पंकज सरन (पूर्व राजदूत) शामिल थे।
इन नेताओं ने अपने अपने अनुभवों और दृष्टिकोण के आधार पर आतंकवाद पर वैश्विक सहयोग की आवश्यकता को रेखांकित किया।
रविशंकर प्रसाद ने अंबेडकर संग्रहालय की यात्रा के बाद कहा, “यह गर्व की बात है कि भारत सरकार ने अंबेडकर जी के इस ऐतिहासिक आवास को संरक्षित किया है। हमने इस महान सुधारक को श्रद्धांजलि दी और आतंकवाद के विरुद्ध भारत की लोकतांत्रिक प्रतिबद्धता को दोहराया।”
गुलाम अली खटाना ने कहा,“डॉ. अंबेडकर को उनकी 75वीं वर्षगांठ पर श्रद्धांजलि देना एक प्रेरणादायक अनुभव था। न्याय,समानता और लोकतंत्र की उनकी विरासत हमारे लोकतंत्र की आधारशिला है।”
समिक भट्टाचार्य ने आईएएनएस को बताया,“बाबासाहेब अंबेडकर एक ऐसे दूरदर्शी व्यक्ति थे,जिन्होंने जातिवाद जैसी सामाजिक कुरीतियों को चुनौती दी और धर्म से ऊपर उठकर प्रत्येक नागरिक को उसके अधिकार दिलाने के लिए संघर्ष किया।”
इस दौरे के माध्यम से भारत ने न केवल ब्रिटेन के साथ अपने द्विपक्षीय संबंधों को और सुदृढ़ किया,बल्कि एक वैश्विक नैरेटिव भी स्थापित किया कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई कोई सीमित राजनीतिक या सैन्य संघर्ष नहीं है,बल्कि यह एक वैश्विक नैतिक और रणनीतिक आवश्यकता है।
प्रतिनिधिमंडल की उपस्थिति ने यह संकेत भी दिया कि भारत अब आतंकवाद के मुद्दे पर वैश्विक स्तर पर सक्रिय कूटनीतिक नेतृत्व निभाने को तैयार है। भारत की नीति स्पष्ट है कि आतंकवाद चाहे किसी भी स्वरूप में हो,उसकी कोई वैधता नहीं हो सकती और उसे हर हाल में निर्णायक रूप से पराजित करना ही होगा।