ग्लेन मैक्सवेल (तस्वीर क्रेडिट@Imdineshpurohit)

ग्लेन मैक्सवेल ने वनडे क्रिकेट को कहा अलविदा,2027 वर्ल्ड कप नहीं खेलेगा,टी20 विश्व कप के लिए उपलब्ध

नई दिल्ली,2 जून (युआईटीवी)- ऑस्ट्रेलिया के धाकड़ ऑलराउंडर और आईपीएल में पंजाब किंग्स के अहम सदस्य ग्लेन मैक्सवेल ने क्रिकेट के 50 ओवर प्रारूप यानी एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय से संन्यास की घोषणा कर दी है। इस खबर ने क्रिकेट प्रेमियों को एक भावनात्मक क्षण दे दिया,खासकर तब जब आईपीएल 2025 सीज़न अपने चरम पर है। अपने करियर में धुआंधार बल्लेबाज़ी,मैच जिताऊ गेंदबाज़ी और अति सक्रिय फील्डिंग से पहचान बनाने वाले मैक्सवेल अब वनडे मैचों में कंगारू जर्सी में नजर नहीं आएँगे। हालाँकि,उन्होंने स्पष्ट किया है कि वह टी20 अंतर्राष्ट्रीय और फ्रेंचाइजी क्रिकेट खेलना जारी रखेंगे।

ग्लेन मैक्सवेल का वनडे करियर केवल संख्याओं की बात नहीं है,यह कई यादगार पारियों,अविश्वसनीय पलटावों और वर्ल्ड कप की चमक से सजी कहानी है। उन्होंने 2015 और 2023 वर्ल्ड कप में ऑस्ट्रेलिया को चैंपियन बनाने में अहम भूमिका निभाई। खासकर 2023 वर्ल्ड कप में अफगानिस्तान के खिलाफ उनकी ऐतिहासिक *दोहरी शतकीय पारी (201)**,जो उन्होंने बेहद मुश्किल परिस्थितियों में खेली, क्रिकेट इतिहास की सबसे आकर्षक पारियों में शुमार की जाती है।

ग्लेन मैक्सवेल ने अपने वनडे करियर में 149 मैच खेले और 33.81 की औसत से 3990 रन बनाए,लेकिन असली कहानी उनके स्ट्राइक रेट 126.70 में छुपी है। ये आँकड़ा दर्शाता है कि उन्होंने हर बार बल्लेबाज़ी में आक्रमण की नीति अपनाई। उनके नाम 4 शतक और 23 अर्धशतक हैं। उन्होंने 382 चौके और 155 छक्के लगाए,यानी उनकी बल्लेबाज़ी शैली हमेशा मूल्यवान,मनोरंजक और विपक्षी टीम के लिए खतरा रही।

गेंदबाज़ी की बात करें तो मैक्सवेल ने वनडे में 77 विकेट भी अपने नाम किए। वह कभी फ्रंटलाइन गेंदबाज नहीं रहे,लेकिन उनकी ऑफ स्पिन ने अक्सर ब्रेकथ्रू दिलाया, खासकर धीमी पिचों पर।

ग्लेन मैक्सवेल ने अपने संन्यास की घोषणा एडम कॉलिन्स के साथ ‘द फाइनल वर्ड’ पॉडकास्ट में की। उन्होंने स्वीकार किया कि यह फैसला 2025 की चैंपियंस ट्रॉफी के दौरान लिया गया,जब उन्हें महसूस हुआ कि उनका शरीर अब वनडे क्रिकेट के शारीरिक दबाव को नहीं झेल पा रहा। उन्होंने कहा कि अब खुद को “पूर्व खिलाड़ी” कहे जाने पर अजीब लग रहा है,लेकिन यह निर्णय सोच-समझकर लिया गया है।

उन्होंने कहा, “मुझे ऑस्ट्रेलिया के लिए खेलना हमेशा गर्व की बात लगी। मेरी पहली सीरीज़ संयुक्त अरब अमीरात में पाकिस्तान के खिलाफ थी और वहाँ सीरीज़ जीतना एक खास पल था। मैंने कई उतार-चढ़ाव देखे,कई महान टीमों का हिस्सा रहा और कुछ यादगार वर्ल्ड कप खेले।”

मैक्सवेल ने 4 मार्च 2025 को भारत के खिलाफ चैंपियंस ट्रॉफी के सेमीफाइनल में आखिरी वनडे मैच खेला। ऑस्ट्रेलिया इस मुकाबले में हार गया और फाइनल में भारत ने न्यूजीलैंड को हराकर टूर्नामेंट जीत लिया। इस मुकाबले के बाद ही उनके संन्यास की चर्चाएँ शुरू हो गई थीं,लेकिन उन्होंने अब इसे औपचारिक रूप से घोषित किया है।

मैक्सवेल इस समय पंजाब किंग्स के सदस्य हैं। उन्हें टीम ने ₹3.2 करोड़ में खरीदा था,लेकिन चोट के कारण वह सीज़न के बीच में ही बाहर हो गए। इसके पहले वे 7 मैचों में केवल 48 रन ही बना सके,उनका औसत सिर्फ 8.00 और स्ट्राइक रेट 97.96 रहा,जो उनके करियर मानकों से काफी नीचे है। गेंदबाजी में भी वह केवल 4 विकेट ले सके।

हालाँकि,उनका आईपीएल करियर कुल मिलाकर प्रभावशाली रहा है। उन्होंने 141 मैचों में 2819 रन बनाए,औसत 23.89 और स्ट्राइक रेट 155.15 रहा। गेंदबाज़ी में उन्होंने कुल 41 विकेट लिए हैं। वे टी20 प्रारूप में एक मैच विनर रहे हैं और फ्रेंचाइज़ी क्रिकेट में उनकी माँग अभी भी बनी रहेगी।

मैक्सवेल ने स्पष्ट कर दिया है कि वह टी20 इंटरनेशनल और फ्रेंचाइजी क्रिकेट में खेलना जारी रखेंगे। उनके शब्दों में, “मैं अब भी मैदान पर रहूँगा और टी20 में अपनी उपयोगिता साबित करता रहूँगा। मैं अपने देश और फ्रेंचाइज़ी के लिए जो कर सकता हूँ, वह करता रहूँगा।”

उनके इस बयान से संकेत मिलता है कि वह अभी टी-20 वर्ल्ड कप 2026 और बिग बैश लीग,आईपीएल,टी10 लीग जैसे अन्य टूर्नामेंटों में सक्रिय रहेंगे।

ग्लेन मैक्सवेल का वनडे करियर परंपरागत आँकड़ों से नहीं,बल्कि “मैच के रुख को पलट देने की काबिलियत” से परखा जाएगा। वह ऐसे खिलाड़ी रहे,जो अकेले दम पर गेम का फ्लो बदल सकते थे,चाहे वो 100 रन के लक्ष्य को 50 बॉल में पूरा करना हो या एक ही ओवर में दो विकेट निकालना।

उनके जैसे खिलाड़ियों की तुलना अक्सर केवल संख्याओं से नहीं की जाती। उनकी आकर्षकता,आक्रामकता और मानसिक मजबूती उन्हें खास बनाती है। वह एक क्रिकेट एंटरटेनर हैं,जो दर्शकों को स्क्रीन से बाँधे रखते हैं।

ग्लेन मैक्सवेल ने वनडे क्रिकेट को अलविदा कहकर एक युग का समापन किया है,लेकिन क्रिकेट के सबसे छोटे प्रारूप में उनकी मौजूदगी अभी भी बनी रहेगी। उनका नाम क्रिकेट इतिहास में हमेशा उस खिलाड़ी के रूप में लिया जाएगा,जिसने अपने खेल से रोमांच,विस्फोट और अप्रत्याशितता को एक नया अर्थ दिया।

अब देखना होगा कि वह टी20 वर्ल्ड कप में कंगारू टीम को फिर से चैंपियन बनाने में क्या भूमिका निभाते हैं,लेकिन वनडे में उनकी गैरमौजूदगी निश्चित ही महसूस की जाएगी। खासकर तब,जब कोई टीम 270/5 के स्कोर पर 150 रन 10 ओवर में चाहिए और क्रीज़ पर एक “मैड मैक्स” नहीं है।