डोनाल्ड ट्रंप

ईरान पर संभावित अमेरिकी हमला,डोनाल्ड ट्रंप के फैसले से पहले कूटनीतिक हलचल तेज

न्यूयॉर्क,20 जून (युआईटीवी)- बीते कुछ हफ्तों से इजरायल और ईरान के बीच चल रहे टकराव ने वैश्विक राजनीति को एक बार फिर अस्थिर कर दिया है। इसी संदर्भ में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एक संभावित निर्णय को लेकर पूरी दुनिया की नजरें वॉशिंगटन पर टिकी हुई हैं। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने गुरुवार को एक अहम प्रेस ब्रीफिंग में जानकारी दी कि राष्ट्रपति ट्रंप अगले दो हफ्तों में यह निर्णय लेंगे कि क्या अमेरिका ईरान पर हमला करेगा या नहीं।

प्रेस ब्रीफिंग के दौरान कैरोलिन लेविट ने राष्ट्रपति ट्रंप का एक लिखित बयान पढ़ा, जिसमें इस बात की पुष्टि की गई कि ईरान और इजरायल के बीच बढ़ते तनाव को देखते हुए अमेरिका स्थिति का गंभीरता से आकलन कर रहा है। ट्रंप ने कहा है कि उनका प्रशासन कूटनीतिक समाधान को प्राथमिकता दे रहा है,लेकिन अगर ईरान परमाणु हथियारों की दिशा में कदम उठाता है,तो अमेरिका किसी भी स्तर की कार्रवाई के लिए तैयार है।

लेविट ने यह भी जानकारी दी कि अमेरिका और ईरान के बीच पर्दे के पीछे बातचीत चल रही है। अमेरिकी विशेष दूत स्टीव विटकॉफ और ईरानी विदेश मंत्री अब्बास अराघची के बीच कई बार टेलीफोन पर संवाद हुआ है। दोनों पक्ष इस प्रयास में लगे हैं कि किसी तरह इस संकट का राजनयिक हल निकाला जा सके और सैन्य टकराव की नौबत न आए।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार,अमेरिका ने एक प्रस्ताव रखा है,जिसमें सुझाव दिया गया कि ईरान का यूरेनियम संवर्धन किसी तटस्थ क्षेत्रीय समूह की निगरानी में ईरान के बाहर किया जाए,लेकिन ईरान ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। ईरानी पक्ष का कहना है कि यह उनकी संप्रभुता के खिलाफ है और इस प्रकार का कोई भी समझौता तभी संभव होगा,जब इजरायल की ओर से हमले पूरी तरह बंद कर दिए जाएँ।

ईरानी विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने स्पष्ट किया है कि जब तक इजरायल ईरानी ठिकानों पर हमले बंद नहीं करता,तब तक ईरान किसी भी प्रकार की परमाणु वार्ता में भाग नहीं लेगा। उन्होंने अमेरिकी दूत से कहा कि यदि अमेरिका वास्तव में तनाव को कम करना चाहता है,तो उसे सबसे पहले इजरायल पर युद्ध समाप्त करने के लिए दबाव बनाना होगा।

स्थानीय मीडिया के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार,ट्रंप प्रशासन ने आंतरिक स्तर पर ईरान पर हमले की एक प्रारंभिक योजना को मंजूरी दे दी थी,लेकिन जैसे ही ईरान ने अपने परमाणु कार्यक्रम पर पुनर्विचार का संकेत दिया,ट्रंप ने अंतिम निर्णय को कुछ समय के लिए टाल दिया है। उनका मानना है कि यदि कूटनीति से हल निकल सकता है,तो सैन्य कार्रवाई से बचा जाना चाहिए।

ईरान और इजरायल के बीच तनाव का बढ़ना न केवल पश्चिम एशिया के लिए,बल्कि पूरी दुनिया के लिए चिंता का विषय है। अमेरिका यदि इस संघर्ष में सीधे शामिल होता है,तो यह एक व्यापक युद्ध में बदल सकता है। इससे न केवल तेल की वैश्विक आपूर्ति प्रभावित हो सकती है,बल्कि अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में अस्थिरता भी बढ़ सकती है।

राष्ट्रपति ट्रंप की अगुवाई में अमेरिका के सामने दो रास्ते हैं, या तो वह ईरान पर सैन्य कार्रवाई करे और संघर्ष को और बढ़ाए या फिर कूटनीति के रास्ते से संकट का समाधान निकाले। मौजूदा संकेत यही बता रहे हैं कि अमेरिका अभी भी बातचीत की टेबल को प्राथमिकता दे रहा है,लेकिन यदि ईरान ने अपने परमाणु कार्यक्रम को लेकर रुख नहीं बदला,तो ट्रंप अगले दो हफ्तों में कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं, जिससे पूरे मध्य पूर्व की राजनीतिक तस्वीर बदल सकती है।

यह स्थिति न केवल ट्रंप की विदेश नीति की परीक्षा है,बल्कि अमेरिका की वैश्विक नेतृत्व क्षमता और संयम का भी परीक्षण है। आने वाले दिनों में अमेरिका का रुख तय करेगा कि पश्चिम एशिया शांति की ओर बढ़ेगा या युद्ध के नए दौर में प्रवेश करेगा।