नई दिल्ली,29 जून (युआईटीवी)- बांग्लादेश के कुमिल्ला जिले के मुरादनगर क्षेत्र से एक बेहद दर्दनाक और शर्मनाक घटना सामने आई है,जिसने पूरे समाज को झकझोर कर रख दिया है। एक 25 वर्षीय हिंदू विवाहित महिला के साथ बलात्कार की घटना ने न केवल इलाके में तनाव पैदा कर दिया,बल्कि देशभर में इस घटना की कड़ी निंदा भी हो रही है। पुलिस ने मुख्य आरोपी के साथ-साथ चार अन्य लोगों को भी गिरफ्तार किया है,जिन्होंने पीड़िता का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल किया था। यह मामला बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदाय,खासकर हिंदू महिलाओं की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े करता है।
पुलिस अधीक्षक नजीर अहमद खान ने रविवार सुबह एक प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से इस जघन्य अपराध की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि मुख्य आरोपी फज्र अली को ढाका के सईदाबाद इलाके से रविवार तड़के करीब 5 बजे गिरफ्तार किया गया। उसे गिरफ्तार करने के बाद कानूनी प्रक्रिया के तहत कुमिल्ला वापस लाया गया है।
पीड़िता ने पुलिस को बताया कि वह पिछले 15 दिनों से अपने बच्चों के साथ अपने पिता के घर पर रह रही थी,क्योंकि उसका पति दुबई में काम करता है। गुरुवार रात करीब 10 बजे फज्र अली नामक व्यक्ति उसके घर आया और दरवाजा खोलने की माँग करने लगा। महिला के मना करने पर,वह जबरन घर में घुस आया और उसके साथ बलात्कार किया।
घटना के वक्त आसपास रथ यात्रा की तैयारियाँ चल रही थीं। एक पड़ोसी ने घर से अजीब आवाजें सुनकर दरवाजे की ओर दौड़ लगाई। उसने दरवाजा टूटा हुआ देखा और कुछ अन्य लोगों के साथ मिलकर घर में घुसा। उन्होंने आरोपी फज्र अली को मौके पर ही पकड़ लिया और उसकी जमकर पिटाई की। हालाँकि,वह किसी तरह भागने में कामयाब रहा।
पीड़िता की हालत बिगड़ने पर स्थानीय लोग उसे तत्काल अस्पताल ले गए। इस बीच, कुछ लोगों ने मौके पर पीड़िता का वीडियो बना लिया और उसे सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। यह कृत्य न केवल संवेदनहीनता की पराकाष्ठा है,बल्कि पीड़िता की गरिमा के साथ भी घोर अन्याय है।
कुमिल्ला पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए न केवल मुख्य आरोपी फज्र अली को गिरफ्तार किया,बल्कि वीडियो वायरल करने वाले चार अन्य लोगों को भी गिरफ्तार किया है। पुलिस अधीक्षक नजीर अहमद ने बताया कि सभी पाँच आरोपियों को हिरासत में लेकर आगे की कानूनी प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
पुलिस का कहना है कि वे यह सुनिश्चित करेंगे कि पीड़िता को न्याय मिले और आरोपी किसी भी सूरत में बच न पाएँ। वीडियो वायरल करने वालों पर भी साइबर क्राइम एक्ट और महिला उत्पीड़न से संबंधित धाराओं में मामला दर्ज किया गया है।
घटना के बाद मुरादनगर और आस-पास के इलाकों में भारी तनाव फैल गया है। अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय में डर और असुरक्षा की भावना गहराती जा रही है। सोशल मीडिया पर लोगों ने इस घिनौनी घटना की कड़ी आलोचना की है और सरकार से त्वरित न्याय की मांग की है।
बांग्लादेश यूनिवर्सिटी के छात्रों ने भी इस घटना के खिलाफ कड़ा विरोध जताया। ढाका विश्वविद्यालय के जगन्नाथ हॉल में छात्रों ने विरोध मार्च निकाला और ‘मेरे सोनार बांग्ला में बलात्कारियों की कोई जगह नहीं’ जैसे नारे लगाए। प्रदर्शनकारियों ने सरकार से यह माँग की कि बलात्कारियों को सख्त सज़ा दी जाए और अल्पसंख्यक समुदाय की महिलाओं की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाए।
यह पहली बार नहीं है,जब बांग्लादेश में हिंदू महिलाओं के खिलाफ ऐसे अपराध हुए हों। पिछले कुछ वर्षों में ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिनमें अल्पसंख्यक समुदाय की महिलाओं को निशाना बनाया गया है। ये घटनाएँ बांग्लादेश के धर्मनिरपेक्ष चरित्र और सामाजिक समरसता पर गंभीर चोट करती हैं।
मानवाधिकार संगठनों और अल्पसंख्यक अधिकार कार्यकर्ताओं ने बार-बार यह माँग की है कि सरकार को ऐसे मामलों पर ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति अपनानी चाहिए और दोषियों को सार्वजनिक उदाहरण बनाना चाहिए,ताकि कोई और ऐसी हरकत करने की हिम्मत न कर सके।
कुमिल्ला जिले में घटी यह घटना न केवल एक महिला के साथ हुए भयानक अन्याय की कहानी है,बल्कि यह पूरे समाज को आत्ममंथन करने पर मजबूर करती है। समाज के हर वर्ग को यह समझना होगा कि महिलाओं की सुरक्षा केवल कानून का नहीं,बल्कि सामाजिक जिम्मेदारी का विषय है। साथ ही,सरकार और प्रशासन को यह सुनिश्चित करना होगा कि पीड़ित को न सिर्फ न्याय मिले,बल्कि वह और उसके परिवार को सामाजिक और मानसिक सहयोग भी मिल सके।
इस मामले में हुई त्वरित पुलिस कार्रवाई सराहनीय है,लेकिन यह शुरुआत भर है। जब तक ऐसे अपराधों के खिलाफ कठोर सज़ा और सामाजिक चेतना दोनों नहीं बढ़ेंगी,तब तक यह दाग मिटाना मुश्किल होगा। समाज को यह तय करना होगा कि वह पीड़िता के साथ खड़ा होगा या अपराधियों की चुप्पी में भागीदार बनेगा।

