वाशिंगटन/यरुशलम,30 जून (युआईटीवी)- इज़रायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों से जूझते हुए एक बड़ी कानूनी राहत मिली है। यरुशलम की जिला अदालत ने उनके खिलाफ चल रही भ्रष्टाचार की सुनवाई को स्थगित कर दिया है। यह फैसला उस वक्त आया,जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया पर नेतन्याहू के समर्थन में खुलकर बयान दिया और इस मुकदमे को राजनीतिक साजिश बताया।
यह मामला नेतन्याहू के लिए पिछले चार वर्षों से एक कानूनी और राजनीतिक संकट बना हुआ था। उन पर तीन अलग-अलग मामलों में घूस,धोखाधड़ी और विश्वासघात जैसे गंभीर आरोप लगाए गए हैं,लेकिन अब अदालत ने उन्हें अस्थायी रूप से गवाही देने से राहत दी है,जिससे उन्हें फिलहाल थोड़ी राहत जरूर मिली है।
डोनाल्ड ट्रंप,जो खुद अमेरिका में कानूनी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं,ने इज़रायल के प्रधानमंत्री के समर्थन में सोशल मीडिया मंच ट्रुथ सोशल पर बयान जारी किया। उन्होंने लिखा, “इज़रायल में नेतन्याहू के साथ जो किया जा रहा है,वह बेहद शर्मनाक और अनुचित है। वह एक युद्ध नायक हैं,जिन्होंने ईरान जैसे परमाणु खतरे को रोकने में अमेरिका के साथ मिलकर अहम भूमिका निभाई है।”
ट्रंप ने यह भी कहा कि अमेरिका हर साल अरबों डॉलर खर्च करता है,ताकि इज़रायल की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। ऐसे में अगर नेतन्याहू को राजनीतिक रूप से कमजोर किया जा रहा है,तो अमेरिका इसे बर्दाश्त नहीं करेगा।
उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि इस मुकदमे के कारण नेतन्याहू की गाजा युद्धविराम और बंधकों की रिहाई के प्रयासों पर असर पड़ेगा। साथ ही,ईरान के साथ चल रहे संवेदनशील संघर्ष विराम में भी बाधा आ सकती है।
यरुशलम की जिला अदालत ने अपने आदेश में कहा कि प्रधानमंत्री नेतन्याहू को अगले दो सप्ताह तक गवाही से छूट दी गई है। इसका कारण राजनयिक जिम्मेदारियाँ और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी चिंताएँ बताया गया है।
इससे पहले अदालत ने नेतन्याहू की सुनवाई टालने की याचिका को बार-बार खारिज कर दिया था,लेकिन ट्रंप के बयान के बाद अचानक यह फैसला आना कई सवाल खड़े कर रहा है। यह निर्णय ऐसे समय पर आया है,जब नेतन्याहू की सरकार गाजा और ईरान के मुद्दे पर अंतर्राष्ट्रीय दबाव झेल रही है।
कुछ आलोचकों का मानना है कि ट्रंप की ओर से खुले समर्थन के बाद अदालत पर राजनीतिक दबाव बना होगा,जिससे यह निर्णय प्रभावित हो सकता है। हालाँकि, आधिकारिक तौर पर अदालत ने अपने फैसले को राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी मजबूरी बताया है।
प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने डोनाल्ड ट्रंप के बयान पर आभार जताते हुए प्रतिक्रिया दी। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा,”एक बार फिर धन्यवाद,डोनाल्ड ट्रंप। हम सब मिलकर मिडिल ईस्ट को फिर से महान बनाएँगे।”
नेतन्याहू का यह बयान दर्शाता है कि वह ट्रंप के साथ मजबूत राजनयिक संबंध बनाए रखने की रणनीति पर काम कर रहे हैं। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि उनका भविष्य की राजनीतिक योजना में ट्रंप की भूमिका महत्वपूर्ण रह सकती है।
नेतन्याहू के खिलाफ चल रहे तीन मामलों में आरोप है कि उन्होंने धनबल और प्रभाव के जरिए मीडिया को अपने पक्ष में करने की कोशिश की,व्यापारियों से महँगे तोहफे लिए और अपने पद का दुरुपयोग किया। इन मामलों की जाँच इज़रायल की भ्रष्टाचार निरोधक एजेंसियों द्वारा की जा रही थी और नेतन्याहू को 2020 से नियमित रूप से अदालत में पेश होना पड़ रहा था।
हालाँकि,नेतन्याहू ने हमेशा इन आरोपों को राजनीतिक साजिश बताया है और खुद को निर्दोष बताया है। उनका कहना है कि उन्हें सत्ता से हटाने के लिए विपक्ष और कुछ मीडिया घरानों ने मिलकर यह जाल रचा है।
नेतन्याहू के मामले में सुनवाई स्थगन का ट्रंप के बयान से जुड़ना इस बात की ओर इशारा करता है कि कैसे अंतर्राष्ट्रीय राजनीति का असर किसी देश की न्यायिक प्रक्रिया पर भी पड़ सकता है। इस फैसले से नेतन्याहू को जहाँ राहत मिली है,वहीं आलोचक इसे न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर खतरा भी मान रहे हैं।
ट्रंप और नेतन्याहू के बीच बनी यह राजनीतिक मित्रता केवल दोनों देशों की रणनीतिक नीतियों तक सीमित नहीं रह गई है,अब यह न्याय और लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों को भी चुनौती दे रही है। आने वाले हफ्तों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह राहत स्थायी साबित होती है या फिर न्यायपालिका इस पर पुनर्विचार करती है।
बहरहाल, नेतन्याहू को मिली यह राहत फिलहाल उनके लिए एक राजनीतिक संजीवनी बन सकती है,खासकर ऐसे समय में जब वे अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर कई मोर्चों पर घिरे हुए हैं।
