निमिषा प्रिया (तस्वीर क्रेडिट@journsuresh)

केरल की नर्स निमिषा प्रिया की फाँसी पर लगी रोक,भारत सरकार के प्रयासों से यमन ने सजा स्थगित की,यमन में अंतिम प्रयास जारी

नई दिल्ली,16 जुलाई (युआईटीवी)- 16 जुलाई,2025 को यमन के स्थानीय अधिकारियों ने केरल की नर्स निमिषा प्रिया की निर्धारित फाँसी की सजा को स्थगित कर दिया। यह फैसला भारत सरकार के लगातार कूटनीतिक और मानवीय प्रयासों का परिणाम है। भारत सरकार शुरुआत से ही इस मामले में सक्रिय रही है और उसने निमिषा प्रिया के परिवार को यमन के दूसरे पक्ष के साथ आपसी सहमति से समझौता करने के लिए समय दिलाने के प्रयास किए।

भारतीय अधिकारियों ने इस पूरे मामले की संवेदनशीलता को समझते हुए यमन के स्थानीय जेल अधिकारियों और अभियोजन कार्यालय के साथ नियमित संपर्क बनाए रखा। सूत्रों के अनुसार,भारत सरकार की इस सतत कोशिश और कूटनीतिक दबाव के कारण ही यमन की ओर से फाँसी स्थगित करने का निर्णय लिया गया।

भारत सरकार ने हाल ही में यमन के अभियोजन महानिदेशक से औपचारिक अपील की थी कि निमिषा प्रिया की फाँसी को स्थगित किया जाए। भारत का रुख साफ था कि मानवीय आधार पर निमिषा प्रिया को दूसरा मौका मिलना चाहिए और उनके परिवार को आपसी समाधान के लिए थोड़ा और समय दिया जाना चाहिए।

केरल के पलक्कड़ की रहने वाली निमिषा प्रिया एक प्रशिक्षित नर्स हैं। वह 2012 में बेहतर करियर की तलाश में यमन चली गई थीं। उनके पति टॉमी और बेटी भी शुरू में उनके साथ यमन में रहते थे। यमन में उन्होंने एक स्थानीय नागरिक तलाल अब्दो महदी के साथ मिलकर एक क्लिनिक शुरू किया था।

हालाँकि,यमन में युद्ध की स्थिति बिगड़ने लगी और निमिषा के पति और बेटी को भारत लौटना पड़ा,लेकिन निमिषा यमन में फँस गईं और इसी दौरान उनकी जिंदगी में कई त्रासद घटनाएँ घटीं।

जानकारी के मुताबिक,निमिषा प्रिया उस यमनी नागरिक तलाल के जाल में फँस गईं। तलाल ने न केवल निमिषा बल्कि एक अन्य यमनी महिला का भी शारीरिक और मानसिक शोषण किया। इतना ही नहीं,उसने दोनों के पासपोर्ट भी जब्त कर लिए, जिससे वे देश छोड़कर भाग नहीं सकीं।

हताश और निराश निमिषा ने उस यमनी महिला के साथ मिलकर अपनी आज़ादी वापस पाने की योजना बनाई। उन्होंने तलाल को एक इंजेक्शन देकर बेहोश कर दिया और अपने पासपोर्ट छीनकर भागने की कोशिश की,लेकिन पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया और जेल में डाल दिया।

मामले ने तब गंभीर रूप ले लिया,जब तलाल का शव उनके क्लिनिक में मिला। पुलिस ने निमिषा पर हत्या का आरोप लगाया और मुकदमा चलाया गया। यमन की निचली अदालत में वह अपनी बेगुनाही साबित नहीं कर सकीं और उन्हें मौत की सजा सुनाई गई।

इसी मामले में शामिल उस यमनी महिला को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। निमिषा प्रिया ने इस फैसले के खिलाफ यमन के सुप्रीम कोर्ट में अपील की, लेकिन वहाँ भी उनकी याचिका खारिज कर दी गई।

भारत सरकार ने इसे मानवीय दृष्टिकोण से देखते हुए अंतिम समय तक प्रयास जारी रखे। भारत सरकार ने न केवल कूटनीतिक दबाव बनाया,बल्कि निमिषा प्रिया के परिवार को भी प्रोत्साहित किया कि वे तलाल के परिवार के साथ ‘ब्लड मनी’ यानी हत्या के बदले वित्तीय मुआवजा के सिद्धांत पर बातचीत कर समाधान निकालने की कोशिश करें।

यमन के कानून के मुताबिक,हत्या के मामलों में पीड़ित के परिवार के साथ मुआवजे और आपसी समझौते के आधार पर फाँसी की सजा माफ की जा सकती है। भारत सरकार का उद्देश्य यही था कि समझौते की प्रक्रिया के लिए पर्याप्त समय मिल सके।

फिलहाल निमिषा प्रिया की फाँसी स्थगित कर दी गई है,जो उनके परिवार और भारत सरकार के लिए राहत की बड़ी खबर है। हालाँकि,यह स्थगन अस्थायी है और भविष्य में इस मामले का अंतिम नतीजा यमन की अदालतों और तलाल के परिवार के साथ संभावित समझौते पर निर्भर करेगा।

भारत सरकार लगातार यमन के अधिकारियों से संवाद बनाए हुए है और निमिषा प्रिया के परिवार को कूटनीतिक और कानूनी सहायता प्रदान कर रही है।

निमिषा प्रिया का मामला न केवल एक व्यक्तिगत त्रासदी है,बल्कि यमन जैसे युद्धग्रस्त देशों में काम कर रहीं भारतीय महिलाओं की सुरक्षा को लेकर भी सवाल खड़े करता है। निमिषा प्रिया का यमन जाना उनके बेहतर भविष्य की चाह थी, लेकिन युद्ध और सामाजिक अस्थिरता ने उनकी जिंदगी को पूरी तरह से बदल दिया।