वाशिंगटन,16 जुलाई (युआईटीवी)- अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने संकेत दिया है कि उनकी सरकार इस महीने के अंत तक फार्मास्यूटिकल्स (दवाइयों) के आयात पर टैरिफ लगाना शुरू कर सकती है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सेमीकंडक्टर्स पर भी इसी तरह की समयसीमा में टैरिफ लागू किया जा सकता है। ट्रंप प्रशासन का तर्क है कि विदेशी आयात की बाढ़ अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बन रही है और इसीलिए इन क्षेत्रों में कदम उठाना जरूरी है।
दक्षिण कोरियाई समाचार एजेंसी योनहाप की रिपोर्ट के अनुसार,ट्रंप ने कहा कि फार्मास्यूटिकल्स पर टैरिफ को धीरे-धीरे लागू किया जाएगा। ऐसा इसलिए ताकि विदेशी दवा कंपनियों को अमेरिका में अपनी उत्पादन इकाइयाँ स्थापित करने के लिए पर्याप्त समय मिल सके।
पिट्सबर्ग में एक सार्वजनिक कार्यक्रम से लौटने के बाद प्रेस से बातचीत करते हुए ट्रंप ने कहा,”संभवतः महीने भर में हम कम टैरिफ से शुरुआत करेंगे और फार्मास्यूटिकल कंपनियों को लगभग एक साल का समय देंगे,ताकि वे अमेरिका में अपने निर्माण संयंत्र स्थापित कर सकें। इसके बाद हम इस पर बहुत ज्यादा टैरिफ लगाएँगे।”
ट्रंप ने स्पष्ट किया कि शुरुआत में टैरिफ कम होंगे,लेकिन एक साल बाद इन टैरिफ में भारी बढ़ोतरी की जाएगी। उनके मुताबिक,फार्मास्यूटिकल्स पर टैरिफ में 200 प्रतिशत तक का इजाफा किया जा सकता है।
ट्रंप ने सेमीकंडक्टर्स पर भी इसी तरह की रणनीति अपनाने के संकेत दिए। उनके अनुसार,चिप्स पर टैरिफ लगाना फार्मास्यूटिकल्स की तुलना में कम जटिल है। उन्होंने कहा, “सेमीकंडक्टर्स पर टैरिफ लगाने की समय सीमा मिलती-जुलती है और इस पर काम शुरू हो चुका है।”
ट्रंप प्रशासन का मानना है कि सेमीकंडक्टर उद्योग पर विदेशी आयात की निर्भरता अमेरिका की सुरक्षा और तकनीकी संप्रभुता के लिए खतरा है।
पिछले हफ्ते वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक ने कहा था कि ट्रंप प्रशासन इस महीने के अंत तक फार्मास्यूटिकल्स और सेमीकंडक्टर आयात की राष्ट्रीय सुरक्षा जाँच पूरी कर लेगा। इसका संकेत है कि टैरिफ की घोषणा बहुत जल्द की जा सकती है।
लुटनिक ने अप्रैल में 1962 के ट्रेड एक्सपेंशन एक्ट की धारा 232 के तहत इस जाँच की शुरुआत की थी। इस कानून के मुताबिक,अगर राष्ट्रपति यह तय करते हैं कि किसी आयात से राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा है,तो उन्हें उस आयात पर नियंत्रण लगाने या टैरिफ लगाने का अधिकार है।
ट्रंप पहले ही धारा 232 के तहत ड्रग्स पर जाँच की घोषणा कर चुके हैं। उनका कहना है कि विदेशी दवाइयों और मेडिकल उत्पादों के आयात की बाढ़ अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है। उनका तर्क है कि अमेरिका की दवा आपूर्ति का एक बड़ा हिस्सा विदेशी कंपनियों पर निर्भर है,जिससे संकट की स्थिति में देश को दिक्कत हो सकती है।
इस महीने की शुरुआत में कैबिनेट बैठक के दौरान ट्रंप ने कहा था कि उनकी सरकार आने वाले हफ्तों में कॉपर पर भी 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने की योजना बना रही है। उनका मकसद अमेरिकी कंपनियों को अपनी मैन्युफैक्चरिंग अमेरिका वापस लाने के लिए प्रोत्साहित करना है।
फार्मास्यूटिकल्स के मामले में भी ट्रंप ने स्पष्ट किया कि कंपनियों को एक साल का समय दिया जाएगा,ताकि वे उत्पादन अमेरिका में ला सकें। इसके बाद टैरिफ को धीरे-धीरे 200 प्रतिशत तक बढ़ाया जाएगा।
ट्रंप प्रशासन की यह पूरी नीति अमेरिका फर्स्ट एजेंडा का हिस्सा मानी जा रही है। उनका उद्देश्य अमेरिकी उद्योगों को मजबूत करना और विदेशी निर्भरता को खत्म करना है। फार्मास्यूटिकल्स और सेमीकंडक्टर जैसे रणनीतिक क्षेत्रों में घरेलू उत्पादन बढ़ाना इस नीति का अहम हिस्सा है।
हालाँकि,कई आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे टैरिफ से शुरू में दवाइयों और इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों की कीमतें बढ़ सकती हैं,लेकिन ट्रंप प्रशासन का दावा है कि लंबी अवधि में यह नीति अमेरिका को आत्मनिर्भर बनाने में मदद करेगी और राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करेगी।