नई दिल्ली,16 जुलाई (युआईटीवी)- ओडिशा के बालासोर जिले के फकीर मोहन ऑटोनॉमस कॉलेज की छात्रा की मौत ने देशभर में आक्रोश पैदा कर दिया है। यौन उत्पीड़न के खिलाफ आवाज उठाने के बावजूद न्याय न मिलने और लगातार अपमान व प्रताड़ना से तंग आकर इस छात्रा ने आत्मदाह कर लिया,जिसके बाद इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। इस घटना ने एक बार फिर से महिलाओं की सुरक्षा और न्याय व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
कांग्रेस महासचिव और सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने इस घटना पर गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से तीखा सवाल किया। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा,“ओडिशा में एक और बेटी न्याय के लिए लड़ते हुए हार गई। अपने साथ हुए अत्याचार को लेकर उसने आवाज उठाई,लेकिन न्याय मिलने की जगह उसे अपमान और प्रताड़ना मिला। पीड़िता को इस दोहरे अत्याचार ने खुदकुशी करने के लिए मजबूर कर दिया। उन्होंने प्रधानमंत्री से सवाल किया कि दिल्ली से लेकर यूपी तक,मणिपुर से लेकर ओडिशा तक क्या भाजपा का एक ही कायदा है-आरोपी के साथ खड़े होकर पीड़िता को ही प्रताड़ित करना और न्याय को बाधित कर देना? प्रधानमंत्री जी,क्या अब देश की आधी आबादी को न्याय की कोई भी उम्मीद छोड़ देनी चाहिए?”
प्रियंका गांधी ने इस घटना को महिला सुरक्षा और न्याय व्यवस्था की विफलता का उदाहरण बताते हुए सीधे प्रधानमंत्री की जवाबदेही पर सवाल उठाए।
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने भी बालासोर की इस घटना की कड़ी निंदा की। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “ओडिशा में इंसाफ के लिए लड़ती एक बेटी की मौत सीधे-सीधे भाजपा के सिस्टम द्वारा की गई हत्या है। उस बहादुर छात्रा ने यौन शोषण के खिलाफ आवाज उठाई,लेकिन न्याय देने के बजाय, उसे धमकाया गया,प्रताड़ित किया गया,बार-बार अपमानित किया गया। जिन्हें उसकी रक्षा करनी थी,वही उसे तोड़ते रहे। हर बार की तरह भाजपा का सिस्टम आरोपियों को बचाता रहा और एक मासूम बेटी को खुद को आग लगाने पर मजबूर कर दिया। ये आत्महत्या नहीं,सिस्टम द्वारा संगठित हत्या है।”
उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी की चुप्पी पर भी सवाल उठाते हुए कहा, “मोदी जी,ओडिशा हो या मणिपुर- देश की बेटियाँ जल रही हैं,टूट रही हैं,दम तोड़ रही हैं। और आप? खामोश बने बैठे हैं। देश को आपकी चुप्पी नहीं,जवाब चाहिए। भारत की बेटियों को सुरक्षा और इंसाफ चाहिए।”
इस 20 वर्षीय छात्रा ने कॉलेज के एचओडी समीर साहू पर लंबे समय तक यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। उसने कॉलेज प्रशासन और प्रिंसिपल से न्याय की गुहार लगाई, लेकिन उसकी शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। उल्टा, उसे अपमान और प्रताड़ना का सामना करना पड़ा। न्याय न मिलने से निराश होकर उसने 12 जुलाई को कॉलेज परिसर में ही आत्मदाह कर लिया।
वह 90% तक झुलस गई और उसे पहले बालासोर जिला मुख्यालय अस्पताल,फिर हालत बिगड़ने पर एम्स भुवनेश्वर रेफर किया गया,जहाँ इलाज के दौरान 14 जुलाई की रात उसकी मौत हो गई।
एम्स ने बयान जारी कर कहा था कि छात्रा को बर्न्स सेंटर आईसीयू में भर्ती किया गया था और उसे बचाने के लिए हर संभव चिकित्सीय प्रयास किए गए,लेकिन गंभीर चोटों के चलते उसे बचाया नहीं जा सका।
घटना के बाद ओडिशा पुलिस ने आरोपी एचओडी समीर साहू और कॉलेज के निलंबित प्रिंसिपल दिलीप घोष को गिरफ्तार किया। कोर्ट ने दोनों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा है।
इस घटना से लोगों में गहरा आक्रोश है। छात्र संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने सख्त कार्रवाई और कॉलेज प्रशासन की जवाबदेही तय करने की माँग की है।
इस घटना को लेकर विपक्षी दलों के साथ-साथ कई महिला संगठनों ने भी केंद्र और राज्य सरकार की निष्क्रियता पर सवाल उठाए हैं।
ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने छात्रा की मौत पर दुख व्यक्त किया और उसके परिवार को आश्वासन दिया कि दोषियों को सख्त सजा दी जाएगी।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने भी छात्रा के निधन पर शोक जताया।
बीजू जनता दल (बीजेडी) के कार्यकर्ताओं ने इस घटना के बाद एम्स भुवनेश्वर के बाहर न्याय की माँग करते हुए विरोध प्रदर्शन किया।
बालासोर की यह घटना केवल ओडिशा ही नहीं,बल्कि पूरे देश में महिला सुरक्षा और न्याय व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करती है। विपक्ष का आरोप है कि भाजपा शासित राज्यों में महिलाओं के खिलाफ अपराधों में बढ़ोतरी हो रही है और सिस्टम आरोपियों को बचाने का काम कर रहा है।