अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (तस्वीर क्रेडिट@Arya909050)

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 1 अगस्त तक ज्यादातर देशों संग व्यापार समझौते पूरे होने की बात कही

वाशिंगटन,26 जुलाई (युआईटीवी)- अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में घोषणा की है कि उनकी सरकार 1 अगस्त तक अधिकांश देशों के साथ व्यापार समझौतों को अंतिम रूप देने की दिशा में काम कर रही है। ट्रंप ने कहा कि उनकी प्रशासनिक टीम तेजी से उन व्यापारिक साझेदारों के साथ समझौते कर रही है,जो अमेरिकी प्रतिस्पर्धी टैरिफ दरों को कम करने के लिए बातचीत में जुटे हुए हैं। इस सूची में दक्षिण कोरिया एक प्रमुख देश के रूप में शामिल है,जो अमेरिका के साथ 25 प्रतिशत प्रतिस्पर्धी टैरिफ और ऑटोमोबाइल व स्टील जैसे प्रमुख क्षेत्रों पर अलग-अलग शुल्कों को टालने या कम करने के लिए लगातार वार्ता कर रहा है। ट्रंप के इस बयान ने वैश्विक व्यापार जगत में हलचल पैदा कर दी है,क्योंकि इससे कई देशों की अर्थव्यवस्था पर प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ने की संभावना है।

व्हाइट हाउस में मीडिया से बातचीत करते हुए राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि उनकी सरकार लगभग 200 देशों को टैरिफ दरों के संबंध में एक औपचारिक पत्र भेजने की योजना बना रही है। ट्रंप ने साफ तौर पर कहा कि यह पत्र इस बात का संकेत होगा कि इन देशों के साथ व्यापार समझौता हो चुका है। उनके शब्दों में, “वे टैरिफ का भुगतान करते हैं और वही समझौता होता है।” आगे उन्होंने कहा कि, “1 अगस्त आ रहा है और तब तक हमारे ज्यादातर व्यापार समझौते पूरे हो जाएँगे। जब ये पत्र भेजे जाएँगे,तो इसका मतलब होगा कि समझौता हो चुका है।” ट्रंप के इस बयान से यह स्पष्ट हो गया है कि अमेरिका अपनी आर्थिक नीतियों को लेकर बेहद आक्रामक रुख अपनाए हुए है और वह अपने व्यापारिक हितों को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रहा है।

दक्षिण कोरिया अमेरिका के उन प्रमुख साझेदारों में शामिल है,जिनके लिए यह स्थिति विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। दक्षिण कोरिया की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से निर्यात पर आधारित है और अमेरिकी टैरिफ नीतियाँ उसके लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो सकती हैं। अमेरिका द्वारा लगाए गए 25 प्रतिशत प्रतिस्पर्धी टैरिफ और ऑटोमोबाइल व स्टील जैसे क्षेत्रों पर अलग-अलग शुल्क उसके उद्योगों को भारी नुकसान पहुँचा सकते हैं। इस कारण दक्षिण कोरिया अमेरिकी सरकार के साथ समझौते की कोशिश में काफी सक्रिय है। वह चाहता है कि अमेरिका इन टैरिफों को टाले या कम करे, ताकि उसके निर्यात आधारित उद्योगों पर कोई प्रतिकूल असर न पड़े।

व्हाइट हाउस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मीडिया को बताया कि अमेरिका और दक्षिण कोरिया के बीच व्यापार वार्ताओं में सकारात्मक और उत्पादक प्रगति हो रही है। अधिकारी के अनुसार,दोनों देश अनुचित व्यापार बाधाओं को कम करने और अमेरिकी कंपनियों के लिए दक्षिण कोरियाई बाजार तक अधिक पहुँच सुनिश्चित करने की दिशा में काम कर रहे हैं। यह संकेत देता है कि अमेरिका केवल टैरिफ कम करने की बात नहीं कर रहा,बल्कि वह अपने उद्योगों के लिए अधिकतम लाभ सुनिश्चित करना चाहता है।

दक्षिण कोरिया ने भी अमेरिकी व्यापारिक अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए कई रणनीतिक प्रस्ताव दिए हैं। रिपोर्टों के अनुसार,दक्षिण कोरिया ने जहाज निर्माण, सेमीकंडक्टर और बैटरी जैसे क्षेत्रों में सहयोग को मजबूत करने की पेशकश की है। ये सभी क्षेत्र अमेरिका की तकनीकी और औद्योगिक प्रतिस्पर्धा को बढ़ाने में अहम भूमिका निभा सकते हैं।

इसी क्रम में गुरुवार को दक्षिण कोरिया के उद्योग मंत्री किम जुंग-क्वान और व्यापार मंत्री यो हान-कू ने वॉशिंगटन में अमेरिकी वाणिज्य सचिव हावर्ड लटनिक के साथ मुलाकात की। इस बैठक में दोनों पक्षों ने टैरिफ दरों में संभावित बदलाव और व्यापारिक सहयोग को लेकर विस्तार से चर्चा की। कूटनीतिक सूत्रों का कहना है कि यह बैठक दोनों देशों के लिए महत्वपूर्ण रही,क्योंकि इससे व्यापारिक साझेदारी को मजबूत करने की दिशा में ठोस कदम उठाए गए।

इसके अलावा,दक्षिण कोरिया के वित्त मंत्री कू यून-चोल और ट्रेड मंत्री यो हान-कू की योजना शुक्रवार को अमेरिका के ट्रेजरी सचिव स्कॉट बेसेंट और अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि जेमीसन ग्रीर के साथ 2 प्लस 2 बैठक करने की थी। हालाँकि,ट्रेजरी सचिव स्कॉट बेसेंट की व्यस्तता के कारण यह बैठक स्थगित कर दी गई। उम्मीद है कि यह बैठक जल्द ही किसी नई तारीख पर आयोजित की जाएगी।

ट्रंप प्रशासन की इस रणनीति को लेकर विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका अपने आर्थिक हितों को सुरक्षित करने के लिए वैश्विक व्यापार पर अपना दबदबा बनाए रखना चाहता है। ट्रंप के बयानों से यह भी साफ हो रहा है कि वह टैरिफ को एक प्रमुख कूटनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं। दक्षिण कोरिया जैसे निर्यात-निर्भर देशों के लिए यह स्थिति चिंता का विषय है,क्योंकि टैरिफ का बोझ उनकी अर्थव्यवस्था पर सीधा असर डाल सकता है।

अब सभी की नजरें 1 अगस्त पर टिकी हैं,जब ट्रंप के अनुसार,अधिकांश व्यापार समझौते पूरे हो जाएँगे। यदि यह होता है,तो वैश्विक व्यापार संतुलन पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है और कई देशों को अपनी आर्थिक नीतियों में बड़े बदलाव करने पड़ सकते हैं। दक्षिण कोरिया और अमेरिका के बीच चल रही इन वार्ताओं का परिणाम न केवल दोनों देशों के लिए,बल्कि एशियाई और वैश्विक बाजारों के लिए भी निर्णायक साबित हो सकता है।