फिलीपींस के राष्ट्रपति मार्कोस जूनियर और विदेश मंत्री जयशंकर (तस्वीर क्रेडिट@NM_DisciplineX)

भारत-फिलीपींस संबंधों में नई ऊर्जा: फिलीपींस के राष्ट्रपति मार्कोस जूनियर से विदेश मंत्री जयशंकर ने की मुलाकात

नई दिल्ली,5 अगस्त (युआईटीवी)- भारत और फिलीपींस के बीच रणनीतिक, राजनयिक और रक्षा सहयोग को नई दिशा देने के उद्देश्य से फिलीपींस के राष्ट्रपति फर्डिनेंड आर.मार्कोस जूनियर इस समय भारत के पाँच दिवसीय दौरे पर हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विशेष निमंत्रण पर वे सोमवार की शाम नई दिल्ली पहुँचे। यह उनकी भारत की पहली राजकीय यात्रा है और ऐसे समय पर हो रही है,जब दोनों देश कूटनीतिक संबंधों की 75वीं वर्षगांठ मना रहे हैं। उनकी इस यात्रा को दोनों देशों के रिश्तों में एक मील का पत्थर माना जा रहा है।

राष्ट्रपति मार्कोस के साथ उनकी पत्नी और फर्स्ट लेडी लुईस अरणेटा मार्कोस भी भारत आई हैं। सोमवार की रात भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने राष्ट्रपति मार्कोस से मुलाकात की और द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाने को लेकर चर्चा की। जयशंकर ने इस मुलाकात के बाद ‘एक्स’ पर साझा करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति मार्कोस के बीच मंगलवार को होने वाली वार्ता भारत-फिलीपींस साझेदारी को और गहराई देगी। उन्होंने इस भेंट को ‘सार्थक और सकारात्मक’ बताया।

राष्ट्रपति मार्कोस के स्वागत के लिए विदेश राज्य मंत्री पबित्रा मार्गेरिटा हवाई अड्डे पर उपस्थित रहे। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने उनके आगमन पर खुशी जताते हुए कहा कि यह यात्रा दोनों देशों के संबंधों को नई ऊँचाई तक पहुँचाएगी। उन्होंने ‘एक्स’ पर लिखा, “माबुहाय,राष्ट्रपति फर्डिनेंड आर. मार्कोस जूनियर! वे अपनी पहली राजकीय यात्रा पर नई दिल्ली पहुँचे हैं। भारत और फिलीपींस इस वर्ष अपने कूटनीतिक संबंधों की 75वीं वर्षगांठ मना रहे हैं। यह यात्रा हमारे द्विपक्षीय संबंधों को सुदृढ़ करने का एक ऐतिहासिक अवसर है।”

मंगलवार को राष्ट्रपति मार्कोस का भारत में औपचारिक स्वागत किया गया। राष्ट्रपति भवन में उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया और फिर उन्होंने राजघाट जाकर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित की। इसके पश्चात उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी,राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा से भी मुलाकात की। इन बैठकों में व्यापार,रक्षा,स्वास्थ्य,फार्मा,डिजिटल टेक्नोलॉजी और समुद्री सहयोग जैसे क्षेत्रों में साझेदारी को और सशक्त करने पर विचार-विमर्श हुआ।

भारत और फिलीपींस के बीच ऐतिहासिक रूप से संबंध गहरे और बहुपक्षीय रहे हैं। दोनों देशों ने नवंबर 1949 में कूटनीतिक संबंध स्थापित किए थे और तब से व्यापार,निवेश,रक्षा,समुद्री सुरक्षा,शिक्षा,कृषि और तकनीक जैसे क्षेत्रों में सहयोग निरंतर प्रगाढ़ हुआ है। दोनों देश भारत-आसियान व्यापक रणनीतिक साझेदारी के अंतर्गत भी घनिष्ठ रूप से जुड़े हुए हैं।

भारत की ‘एक्ट ईस्ट नीति’ और ‘सागर दृष्टिकोण’ के तहत फिलीपींस एक महत्वपूर्ण भागीदार रहा है। विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि राष्ट्रपति मार्कोस की यह यात्रा, भारत-फिलीपींस संबंधों को एक नई दिशा देने और भविष्य की साझेदारी की रूपरेखा तय करने के लिए एक अहम अवसर है। यह यात्रा न केवल द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा के लिए,बल्कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सामरिक संतुलन बनाए रखने की रणनीति को भी मजबूती प्रदान करेगी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति मार्कोस की यह मुलाकात उनकी पहले की बैठकों का विस्तार है। दोनों नेता पहले 2024 में लाओस में आयोजित 21वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन और 19वें ईस्ट एशिया समिट में मिल चुके हैं। इसके अलावा 2023 में जकार्ता में हुए 20वें आसियान-भारत सम्मेलन में भी दोनों नेताओं ने साझा मंच साझा किया था। प्रधानमंत्री मोदी स्वयं भी 2017 में फिलीपींस की राजकीय यात्रा पर जा चुके हैं,जिससे दोनों देशों के रिश्ते और मजबूत हुए हैं।

रक्षा और सामरिक सहयोग के क्षेत्र में भी भारत और फिलीपींस के रिश्ते दिनोंदिन गहरे होते जा रहे हैं। हाल ही में 30 जुलाई को भारतीय नौसेना के तीन युद्धपोत—आईएनएस मैसूर,आईएनएस किल्टन और आईएनएस शक्ति फिलीपींस के दौरे पर पहुँचे। फिलीपींस की सेना ने पुष्टि की कि इन युद्धपोतों ने पहली बार फिलीपीन नौसेना के साथ विवादित दक्षिण चीन सागर में संयुक्त गश्त शुरू की है। यह कदम क्षेत्रीय सुरक्षा और समुद्री संप्रभुता को बनाए रखने के भारत के रुख को दर्शाता है। दक्षिण चीन सागर में चीन के आक्रामक रवैये के कारण फिलीपींस ने बीते वर्ष अपने कई सहयोगी देशों के साथ रक्षा सहयोग को बढ़ाया है,जिसमें भारत एक महत्वपूर्ण भागीदार के रूप में उभरा है।

दक्षिण चीन सागर पर चीन की दावेदारी को लेकर अंतर्राष्ट्रीय न्यायाधिकरण पहले ही यह स्पष्ट कर चुका है कि बीजिंग का दावा अवैध और आधारहीन है,लेकिन इसके बावजूद चीन लगातार इस क्षेत्र में सैन्य उपस्थिति बढ़ा रहा है। ऐसे में फिलीपींस के लिए भारत जैसे लोकतांत्रिक और समुद्री कानूनों का सम्मान करने वाले सहयोगियों के साथ मजबूत रक्षा साझेदारी आवश्यक बन जाती है। राष्ट्रपति मार्कोस ने भी 2024 में सिंगापुर में शांगरी-ला संवाद के दौरान अपने भाषण में इस बात पर जोर दिया था कि फिलीपींस अपने रक्षा और आर्थिक सहयोग को भारत जैसे देशों के साथ और अधिक सशक्त बनाना चाहता है।

राष्ट्रपति मार्कोस की इस यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच कुछ महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर की भी संभावना है,विशेषकर रक्षा उपकरणों की आपूर्ति,संयुक्त सैन्य अभ्यास,हेल्थकेयर सहयोग और डिजिटल प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में। फिलीपींस भारत से अत्याधुनिक रक्षा तकनीक जैसे ब्रह्मोस मिसाइल सिस्टम खरीदने की दिशा में पहले ही कदम बढ़ा चुका है।

भारत और फिलीपींस दोनों ही देश वैश्विक मंचों पर भी एक-दूसरे के सहयोगी रहे हैं। जलवायु परिवर्तन,आतंकवाद से लड़ाई,समुद्री सुरक्षा और मुक्त एवं समावेशी इंडो-पैसिफिक क्षेत्र जैसे मुद्दों पर दोनों देशों की सोच काफी हद तक मेल खाती है।

राष्ट्रपति मार्कोस बुधवार को दिल्ली में अन्य सांस्कृतिक और औद्योगिक कार्यक्रमों में भाग लेंगे और गुरुवार को बेंगलुरु की यात्रा पर जाएँगे। वहाँ वे भारत के तकनीकी और स्टार्टअप इकोसिस्टम को नजदीक से देखेंगे। इसके बाद वे अपनी यात्रा समाप्त कर फिलीपींस लौट जाएँगे।

यह राजकीय यात्रा भारत और फिलीपींस के बीच पुराने रिश्तों को नई ऊर्जा देने का माध्यम बन रही है। बढ़ते वैश्विक तनाव और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सामरिक संतुलन की आवश्यकता को देखते हुए दोनों लोकतांत्रिक देशों की यह साझेदारी आने वाले समय में और भी अधिक महत्वपूर्ण हो सकती है।