नई दिल्ली,5 अगस्त (युआईटीवी)- फिलीपींस के राष्ट्रपति फर्डिनेंड “बोंगबोंग” मार्कोस जूनियर इन दिनों भारत की पाँच दिवसीय राजकीय यात्रा पर हैं। यह यात्रा दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक और सभ्यतागत संबंधों को नई दिशा देने के प्रयास के रूप में देखी जा रही है। मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हैदराबाद हाउस में उनका गर्मजोशी से स्वागत किया। इसके पहले राष्ट्रपति भवन में उनका औपचारिक स्वागत किया गया,जहाँ उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर भी प्रदान किया गया।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने राष्ट्रपति मार्कोस की भारत यात्रा को “ऐतिहासिक” करार दिया और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर स्वागत की तस्वीर साझा करते हुए लिखा कि प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति मार्कोस का गर्मजोशी से हैदराबाद हाउस में स्वागत किया। उन्होंने यह भी बताया कि भारत और फिलीपींस के बीच संबंध केवल आधुनिक राजनीतिक समीकरणों तक सीमित नहीं हैं,बल्कि ये सभ्यतागत,सांस्कृतिक और ऐतिहासिक रूप से भी गहराई से जुड़े हुए हैं।
राष्ट्रपति भवन में हुए स्वागत समारोह के दौरान भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दोनों ने मिलकर राष्ट्रपति मार्कोस का स्वागत किया। वहाँ मौजूद भारतीय सेना की टुकड़ियों ने उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर भी दिया। यह स्वागत इसलिए भी विशेष था,क्योंकि यह राष्ट्रपति मार्कोस की भारत की पहली राजकीय यात्रा है। ऐसे समय में जब वैश्विक भू-राजनीतिक परिदृश्य तेजी से बदल रहा है,यह यात्रा भारत और फिलीपींस के बीच रणनीतिक साझेदारी को और मजबूती देने की दिशा में एक अहम कदम मानी जा रही है।
इस यात्रा के दौरान कई अहम मुद्दों पर चर्चा होने की उम्मीद है। प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति मार्कोस के बीच बातचीत में हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा,आर्थिक सहयोग, तकनीकी नवाचार,स्वास्थ्य और रक्षा क्षेत्र में साझेदारी जैसे विषय शामिल हैं। राष्ट्रपति मार्कोस ने पत्रकारों से बातचीत में इस बात को रेखांकित किया कि यह यात्रा भारत और फिलीपींस के बीच गठबंधन और सहयोग को फिर से पुष्ट करने का अवसर है। उन्होंने यह भी कहा कि हम अब “एशिया-प्रशांत” नहीं बल्कि “हिंद-प्रशांत” क्षेत्र के रूप में पहचाने जा रहे हैं,जो इस क्षेत्र की बढ़ती वैश्विक महत्ता का प्रतीक है।
राष्ट्रपति मार्कोस ने कहा कि उनकी यह यात्रा न केवल पहले से चले आ रहे संबंधों को मज़बूत करने के लिए है,बल्कि उन नई संभावनाओं को तलाशने के लिए भी है,जो हाल के वर्षों में तकनीकी विकास,वैश्विक अर्थव्यवस्था के बदलाव और क्षेत्रीय राजनीतिक समीकरणों से उत्पन्न हुई हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भारत जैसे बड़े और तेजी से विकसित हो रहे देश के साथ मिलकर फिलीपींस अपनी तकनीकी,आर्थिक और रणनीतिक क्षमताओं को और अधिक प्रभावशाली बनाना चाहता है।
भारत और फिलीपींस के संबंध पिछले कुछ वर्षों में काफी प्रगाढ़ हुए हैं। दोनों देशों ने आपसी रक्षा सहयोग,साइबर सुरक्षा,ब्लू इकॉनमी,जलवायु परिवर्तन और व्यापार जैसे क्षेत्रों में एक-दूसरे के साथ समझौतों को बल दिया है। भारत द्वारा ‘एक्ट ईस्ट’ नीति के तहत दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों के साथ सहयोग को प्राथमिकता दी गई है और फिलीपींस इस नीति का अहम भागीदार बनकर उभरा है।
इस यात्रा के दौरान भारत और फिलीपींस के बीच कई द्विपक्षीय समझौतों पर हस्ताक्षर होने की संभावना है। रक्षा क्षेत्र में तकनीकी सहयोग,संयुक्त सैन्य अभ्यास और सामरिक संवाद को बढ़ावा देने की दिशा में भी अहम निर्णय लिए जा सकते हैं। इसके अलावा,व्यापारिक क्षेत्र में भारत के स्टार्टअप्स और आईटी सेक्टर की भागीदारी को लेकर भी गंभीर बातचीत हो सकती है।
भारत और फिलीपींस दोनों ही लोकतांत्रिक मूल्यों में विश्वास रखते हैं और वैश्विक मंचों पर परस्पर सहयोग को प्राथमिकता देते हैं। ऐसे में राष्ट्रपति मार्कोस की यह यात्रा केवल कूटनीतिक दृष्टि से नहीं बल्कि रणनीतिक,आर्थिक और तकनीकी दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जा रही है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत की दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के साथ सहयोग नीति को यह यात्रा एक और ठोस आधार देगी।
भारत और फिलीपींस के संबंधों में यह एक नया अध्याय है,जहाँ दोनों देश न केवल पारंपरिक सहयोग को गहरा करेंगे,बल्कि भविष्य की वैश्विक चुनौतियों से एकजुट होकर निपटने की रणनीति भी विकसित करेंगे। राष्ट्रपति मार्कोस की यह यात्रा दोनों देशों के लिए सामरिक साझेदारी,विश्वास और सहयोग की नई संभावनाओं के द्वार खोलने वाली साबित हो सकती है।
