रिलायंस ग्रुप (आरएएजीए कंपनियों) के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर अनिल अंबानी (तस्वीर क्रेडिट@kkjourno)

17,000 करोड़ के बैंक लोन घोटाले मामले में अनिल अंबानी ईडी के सामने पेश हुए,मनी लॉन्ड्रिंग जाँच में नए खुलासे

मुंबई,6 अगस्त (युआईटीवी)- नई दिल्ली में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के मुख्यालय में मंगलवार को कारोबारी अनिल अंबानी पेश हुए। यह पेशी 17,000 करोड़ रुपये के कथित बैंक लोन घोटाले की मनी लॉन्ड्रिंग जाँच से जुड़ी है,जो अंबानी के रिलायंस समूह की कंपनियों (आरएएजीए ग्रुप) से संबंधित है। सुबह-सुबह अनिल अंबानी दिल्ली स्थित अपने निवास से निकलकर सीधे ईडी कार्यालय पहुँचे। इससे पहले उन्हें 5 अगस्त को समन जारी कर पेश होने के निर्देश दिए गए थे।

ईडी की यह कार्रवाई मनी लॉन्ड्रिंग की गंभीर जाँच का हिस्सा है,जो पिछले कुछ समय से रिलायंस समूह की कंपनियों और उनसे जुड़े लोगों के खिलाफ की जा रही है। जाँच एजेंसी ने हाल ही में मुंबई और दिल्ली के कई परिसरों पर छापेमारी की थी,जो पिछले हफ्ते जाकर समाप्त हुई। इन छापों के दौरान अधिकारियों ने कई अहम दस्तावेज,हार्ड ड्राइव और डिजिटल रिकॉर्ड जब्त किए।

यह जाँच मूल रूप से यस बैंक लोन धोखाधड़ी मामले से जुड़ी है,जिसकी शुरुआत केंद्रीय जाँच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दर्ज एक प्राथमिकी (एफआईआर) के आधार पर हुई थी। इस एफआईआर में आरोप था कि रिलायंस समूह की कंपनियों ने बैंकिंग प्रणाली का दुरुपयोग करते हुए करोड़ों रुपये के ऋण हासिल किए और उन्हें फर्जी कंपनियों के माध्यम से अन्य जगह डायवर्ट किया गया।

प्रवर्तन निदेशालय ने इस शिकायत के आधार पर धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत मामला दर्ज कर जाँच शुरू की। प्रारंभिक जाँच में सामने आया है कि यह केवल एक वित्तीय अनियमितता नहीं,बल्कि एक सुव्यवस्थित और योजनाबद्ध साजिश थी,जिसमें बैंकों,निवेशकों,शेयरधारकों और आम जनता को गुमराह कर उनके पैसों का गलत उपयोग किया गया।

ईडी को संदेह है कि बैंकों से जो लोन लिए गए थे,उन्हें सीधे कंपनियों की वैध जरूरतों के बजाय फर्जी संस्थाओं में ट्रांसफर किया गया और फिर उनका दुरुपयोग अलग-अलग उद्देश्यों के लिए किया गया। इस प्रक्रिया में बैंक अधिकारियों की मिलीभगत की आशंका भी जताई गई है। जाँच एजेंसी इस बात की भी पड़ताल कर रही है कि लोन मंजूरी के ठीक पहले बैंक के प्रमोटरों या अधिकारियों को किसी प्रकार की रिश्वत दी गई थी या नहीं।

एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार,ईडी को ऐसे साक्ष्य मिले हैं,जो यह संकेत देते हैं कि यस बैंक से 2017 से 2019 के बीच करीब 3,000 करोड़ रुपये के लोन ऐसे जारी किए गए,जो बाद में अन्य फर्जी इकाइयों में ट्रांसफर कर दिए गए। इस लोन के बदले, कथित रूप से,यस बैंक के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों को लाभ भी पहुँचाया गया।

ईडी की इस जाँच का दायरा केवल अनिल अंबानी और उनके समूह तक ही सीमित नहीं है,बल्कि यह उन तमाम बैंक अधिकारियों,दलालों और मध्यस्थों तक भी पहुँच सकता है,जिन्होंने इस पूरी धोखाधड़ी को अंजाम देने में कोई भूमिका निभाई हो।

ईडी के एक अधिकारी ने बताया कि यह घोटाला केवल बैंकिंग तंत्र की विफलता नहीं,बल्कि जानबूझकर बनाई गई एक चुपचाप चलने वाली धोखाधड़ी की योजना थी,जिसमें कई स्तरों पर मिलीभगत दिखाई देती है। दस्तावेजी सबूतों और डिजिटल रिकॉर्ड्स की जाँच के बाद,ईडी अगले कुछ हफ्तों में कई और लोगों को पूछताछ के लिए समन भेज सकता है।

इस पूरे मामले में अनिल अंबानी की भूमिका को लेकर जाँच एजेंसी विशेष सतर्कता बरत रही है। अंबानी से पूछताछ में कई अहम सवालों के जवाब माँगें गए,जैसे कि लोन लेने की प्रक्रिया,उसे ट्रांसफर करने की योजना और किन लोगों के निर्देश पर यह फंड डायवर्जन किया गया। ईडी इस बात की भी जाँच कर रही है कि क्या विदेशों में भी कोई संपत्ति या कंपनी इस फंड डायवर्जन से लाभान्वित हुई है।

गौरतलब है कि अनिल अंबानी पहले भी वित्तीय संकटों और कानूनी मामलों से घिरे रहे हैं। इस बार उनके खिलाफ दर्ज मामला और भी गंभीर है,क्योंकि इसमें बैंकों के सार्वजनिक धन के दुरुपयोग और मनी लॉन्ड्रिंग जैसे आरोप शामिल हैं,जिनकी सजा कठोर हो सकती है।

फिलहाल ईडी की पूछताछ और जाँच प्रक्रिया जारी है और आने वाले समय में इस मामले में और बड़े खुलासे होने की संभावना है। यदि आरोप सिद्ध होते हैं,तो यह भारत के कॉरपोरेट इतिहास का एक बड़ा आर्थिक घोटाला माना जाएगा,जिसका प्रभाव व्यापक और दूरगामी हो सकता है।