उत्तरकाशी में बाढ़ (तस्वीर क्रेडिट@UttarkashiPol)

उत्तरकाशी में बाढ़ के बाद हरिद्वार में गंगा का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर,प्रशासन ने जारी किया हाई अलर्ट

हरिद्वार,6 अगस्त (युआईटीवी)- उत्तराखंड में लगातार हो रही भारी बारिश के चलते एक बार फिर प्राकृतिक आपदा का खतरा मंडराने लगा है। उत्तरकाशी जिले में हाल ही में बादल फटने और अचानक आई बाढ़ की घटनाओं ने जहाँ लोगों को दहशत में डाल दिया,वहीं अब हरिद्वार में भी गंगा नदी के जलस्तर के खतरे के निशान को पार कर जाने के बाद प्रशासन ने पूरे जिले में हाई अलर्ट घोषित कर दिया है। गंगा का प्रवाह बेहद तेज़ हो गया है और जलस्तर के और अधिक बढ़ने की आशंका जताई जा रही है।

हरिद्वार प्रशासन ने एहतियातन गंगा घाटों और नदी किनारे जाने पर प्रतिबंध लगा दिया है। श्रद्धालुओं,स्थानीय लोगों और पर्यटकों से अपील की गई है कि वे घाटों पर स्नान करने या गंगा के किनारे जाने से बचें। प्रशासन ने आपात स्थिति में राहत और बचाव के लिए एनडीआरएफ और एसडीआरएफ समेत अन्य एजेंसियों को सतर्क कर दिया है।

राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के ड्यूटी ऑफिसर दिनेश कुमार पुनेठा ने हरिद्वार के जिलाधिकारी को पत्र लिखकर स्थिति की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए विशेष सतर्कता बरतने के निर्देश दिए हैं। पत्र में स्पष्ट किया गया है कि किसी भी संभावित आपदा या दुर्घटना की स्थिति में त्वरित स्थलीय कार्रवाई सुनिश्चित की जाए और सूचनाओं का तत्काल आदान-प्रदान हो।

प्रशासनिक स्तर पर भी व्यापक तैयारियाँ की गई हैं। सभी संबंधित विभागों के नोडल अधिकारियों और आपदा प्रबंधन आईएआरएस प्रणाली के तहत नामित कर्मचारियों को हाई अलर्ट पर रखा गया है। राजस्व उपनिरीक्षक,ग्राम विकास अधिकारी और ग्राम पंचायत अधिकारी को अपने-अपने क्षेत्रों में अनिवार्य रूप से उपस्थित रहने के निर्देश दिए गए हैं,ताकि किसी भी आपात स्थिति से तुरंत निपटा जा सके।

पुलिस प्रशासन ने भी सभी चौकियों और थानों को आपदा प्रबंधन उपकरणों और वायरलेस सेट के साथ तैयार रहने को कहा है। अधिकारियों और कर्मचारियों को निर्देशित किया गया है कि वे हर समय मोबाइल फोन चालू रखें और किसी भी स्थिति में नेटवर्क से बाहर न हों। साथ ही,अपने वाहनों में बरसाती कपड़े,छाते,टॉर्च,हेलमेट और अन्य आवश्यक उपकरण रखने के निर्देश भी दिए गए हैं।

बाढ़ संभावित क्षेत्रों में फँसे लोगों के लिए खाद्य सामग्री,दवाइयों और अन्य आवश्यक राहत सुविधाओं की व्यवस्था की जा रही है। भारी बारिश और असामान्य मौसम की चेतावनियों के बीच उच्च हिमालयी क्षेत्रों में पर्यटकों की आवाजाही को फिलहाल प्रतिबंधित किया गया है। यह निर्णय उनकी सुरक्षा को देखते हुए लिया गया है।

नगर और कस्बाई क्षेत्रों में जल निकासी की स्थिति सुधारने के लिए नालियों,पुलियों और कल्वर्टों से अवरोधों को हटाने का काम तेज़ी से किया जा रहा है,ताकि बारिश का पानी रुक न सके और जलभराव की स्थिति न बने।

जिला सूचना अधिकारी को निर्देशित किया गया है कि दृश्य और प्रिंट मीडिया के माध्यम से जनसामान्य को निरंतर जानकारी दी जाए। केंद्रीय जल आयोग की वेबसाइट के माध्यम से गंगा के जलस्तर की स्थिति की लगातार निगरानी की जा रही है,ताकि किसी भी परिवर्तन पर तत्काल प्रतिक्रिया दी जा सके।

हरिद्वार पुलिस की ओर से भी लगातार अलर्ट जारी किए जा रहे हैं। पुलिस ने लोगों से आग्रह किया है कि वे अपने मवेशियों को गंगा नदी के पास न ले जाएँ। इसके अलावा जिन स्थानों पर अचानक पानी बढ़ने की संभावना है,वहाँ से अपने वाहन हटाकर सुरक्षित स्थानों पर खड़ा करें।

पुलिस ने यह भी सलाह दी है कि लोग अनावश्यक यात्रा न करें और जब तक मौसम सामान्य न हो जाए,तब तक घरों में ही सुरक्षित रहें। सोशल मीडिया के माध्यम से भी पुलिस और प्रशासन लगातार बाढ़ की स्थिति और गंगा के जलस्तर को लेकर जानकारी साझा कर रहे हैं,ताकि लोग किसी प्रकार की अफवाहों से प्रभावित न हों और सटीक जानकारी के आधार पर ही निर्णय लें।

उत्तराखंड के लिए यह मानसून एक बार फिर चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है। मौसम विभाग ने आगामी दिनों में और अधिक बारिश की संभावना जताई है। ऐसे में प्रशासन की सक्रियता और आम जनता की सतर्कता ही इस आपदा को संभालने में सबसे बड़ी भूमिका निभा सकती है।