आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा (तस्वीर क्रेडिट@DDBanglaNews)

आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिए घटाया महँगाई अनुमान,अच्छे मानसून और खरीफ बुवाई से राहत की उम्मीद

मुंबई,6 अगस्त (युआईटीवी)- भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने चालू वित्त वर्ष 2025-26 के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित महँगाई दर के अपने अनुमान में बड़ी कटौती की है। आरबीआई ने 2025 के लिए महँगाई दर का अनुमान घटाकर 3.7% से 3.1% कर दिया है। महँगाई दर में यह कमी देश में मानसून की अच्छी प्रगति,खरीफ फसलों की बेहतर बुवाई,जलाशयों में पर्याप्त जल स्तर और खाद्यान्नों के मजबूत भंडार जैसे अनुकूल कारकों के कारण संभव हो सकी है।

आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बताया कि महँगाई का नया अनुमान जून 2025 में की गई उम्मीदों की तुलना में अधिक अनुकूल है। उन्होंने कहा कि दक्षिण-पश्चिम मानसून की स्थिर प्रगति और खरीफ सीजन में फसलों की मजबूत बुवाई से कृषि उत्पादन में सुधार की उम्मीद है। इसके अतिरिक्त,देश भर में जलाशयों की स्थिति भी संतोषजनक बनी हुई है,जिससे सिंचाई की संभावनाएँ मजबूत हुई हैं और खाद्य आपूर्ति पर दबाव कम हुआ है। सरकार के पास पर्याप्त मात्रा में खाद्यान्नों का बफर स्टॉक भी मौजूद है,जिससे आपूर्ति शृंखला में स्थिरता बनी हुई है।

मल्होत्रा ने कहा कि इन सकारात्मक कारकों के साथ-साथ महँगाई के मोर्चे पर राहत देने वाला एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि पिछले वर्ष की तुलना में महँगाई के आँकड़ें अब एक अनुकूल आधार पर खड़े हैं। इसका मतलब है कि पिछले वर्ष के उच्च आँकड़ों के कारण इस वर्ष की महँगाई अपेक्षाकृत कम दिख रही है। उन्होंने आगाह किया कि वर्ष की आखिरी तिमाही में महँगाई दर में एक बार फिर बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है। आरबीआई को आशंका है कि चौथी तिमाही और 2026-27 की पहली तिमाही में सीपीआई महँगाई 4 प्रतिशत से ऊपर जा सकती है।

वित्त वर्ष 2025-26 के लिए आरबीआई ने महँगाई दर का अनुमान दूसरी तिमाही में 2.1%, तीसरी में 3.1% और चौथी में 4.4% जताया है। 2026-27 की पहली तिमाही में यह दर 4.9% तक पहुँच सकती है। हालाँकि,आरबीआई का कहना है कि महँगाई के मोर्चे पर कुल जोखिम संतुलित हैं और निकट भविष्य में किसी बड़े संकट की आशंका नहीं है,जिससे मौद्रिक नीति में स्थिरता बनी रह सकती है।

आरबीआई गवर्नर ने यह भी संकेत दिया कि यदि इनपुट कीमतों में कोई अप्रत्याशित उछाल नहीं आता है,तो वर्ष भर मुख्य महँगाई दर 4 प्रतिशत से थोड़ा ऊपर रह सकती है। यह स्थिति नीति निर्माताओं के लिए काफी संतोषजनक मानी जा सकती है,क्योंकि यह दर आरबीआई के 4 प्रतिशत के लक्ष्य के आसपास ही बनी रहेगी।

गौरतलब है कि खुदरा महँगाई दर में बीते आठ महीनों से लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है। जून 2025 में खुदरा महँगाई दर घटकर 2.1 प्रतिशत पर आ गई थी,जो सालाना आधार पर एक बड़ी राहत मानी गई। इस गिरावट के पीछे सबसे अहम वजह खाद्य महँगाई दर का अत्यंत निम्न स्तर पर पहुँचना है। जून में खाद्य महँगाई दर केवल 0.2 प्रतिशत रही,जो फरवरी 2019 के बाद सबसे कम है।

खाद्य महँगाई दर में यह गिरावट मुख्य रूप से सब्जियों,दालों और अनाज की कीमतों में आई स्थिरता के कारण आई है। अच्छी फसल,आयात में बढ़ोतरी और सरकारी हस्तक्षेप से खाद्य आपूर्ति संतुलित रही है,जिससे आम जनता को राहत मिली है। सरकार द्वारा समय-समय पर उठाए गए नीतिगत कदमों ने भी इस स्थिति को नियंत्रित रखने में मदद की है।

हालाँकि,आरबीआई ने यह भी चेतावनी दी है कि मौसम से जुड़ी अनिश्चितताएँ महँगाई के परिदृश्य को प्रभावित कर सकती हैं। यदि मानसून में कोई बड़ी गड़बड़ी आती है या खरीफ फसलों की पैदावार उम्मीद से कम होती है,तो महँगाई एक बार फिर से चिंता का विषय बन सकती है। इसके अलावा वैश्विक आपूर्ति शृंखलाओं में किसी भी तरह की बाधा और अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव भी महँगाई पर असर डाल सकते हैं।

भारतीय रिजर्व बैंक का ताजा अनुमान महँगाई पर नियंत्रण की दिशा में एक सकारात्मक संकेत है। यदि मौसम और अन्य आर्थिक कारक अनुकूल बने रहते हैं, तो आने वाले महीनों में उपभोक्ताओं को महँगाई के मोर्चे पर और राहत मिल सकती है। इससे न केवल आम आदमी को राहत मिलेगी,बल्कि आर्थिक नीतियों के संचालन में भी स्थिरता और लचीलापन बना रहेगा।