रियो डी जेनेरियो,7 अगस्त (युआईटीवी)- अमेरिका की आक्रामक व्यापार नीति ने एक और अंतर्राष्ट्रीय साझेदारी को संकट में डाल दिया है। इस बार टकराव अमेरिका और ब्राजील के बीच हुआ है।अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा ब्राजील पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाए जाने के बाद दोनों देशों के बीच संबंधों में खटास आ गई है। ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला डी सिल्वा ने इस टैरिफ को अन्यायपूर्ण बताते हुए अमेरिकी प्रस्ताव को सिरे से खारिज कर दिया है।
डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में लूला को ऑफर दिया था कि वे कभी भी कॉल करके टैरिफ से संबंधित मुद्दों पर चर्चा कर सकते हैं,लेकिन राष्ट्रपति लूला ने इस प्रस्ताव को बेहद ठंडी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि अगर उन्हें किसी से बात करनी होगी,तो वह अमेरिका के बजाय भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से संपर्क करना पसंद करेंगे। लूला का यह बयान अमेरिका को एक स्पष्ट संदेश था कि ब्राजील अब बहुपक्षीय मंचों और वैकल्पिक साझेदारियों की ओर तेजी से बढ़ रहा है।
ब्राजील के राष्ट्रपति ने यह भी स्पष्ट किया कि उनका देश अमेरिकी टैरिफ के खिलाफ विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में अपनी शिकायत दर्ज कराएगा और हरसंभव कूटनीतिक व कानूनी उपायों का सहारा लेगा। उन्होंने कहा कि 2025 में उनकी सरकार डब्ल्यूटीओ सहित सभी अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर ब्राजील के हितों की रक्षा के लिए कदम उठाएगी। यह बयान ब्राजील की उस नीति को दर्शाता है,जिसमें वह अब एकपक्षीय अमेरिकी दबाव को स्वीकार करने के बजाय वैश्विक सहयोग को प्राथमिकता दे रहा है।
ब्रासीलिया में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान लूला ने कहा कि ब्राजील पहले से ही ब्रिक्स भागीदारों और अन्य देशों के साथ मिलकर अपने विदेशी व्यापार को मजबूत करने की दिशा में कार्य कर रहा है। उनके मुताबिक,अमेरिका की यह टैरिफ नीति ब्राजील की आर्थिक स्वायत्तता और रणनीतिक साझेदारियों पर हमला है,जिसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इसी कार्यक्रम में उन्होंने यह भी कहा कि ब्राजील ऐसे किसी भी ब्लॉक का समर्थन नहीं करेगा,जो केवल शक्ति प्रदर्शन के उद्देश्य से कार्य कर रहा हो।
इस बीच ट्रंप ने ब्रिक्स के विस्तार और उसके वैश्विक प्रभाव को देखते हुए एक और धमकी दी है। उन्होंने कहा है कि जो देश ब्रिक्स नीतियों का समर्थन करेंगे,उन पर 10 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगाया जाएगा। ट्रंप की यह धमकी अमेरिका के ट्रेड प्रोटेक्शनिज्म की उस नीति की झलक है,जो दुनिया के कई देशों को परेशान कर रही है। इससे यह भी स्पष्ट हो गया है कि ट्रंप प्रशासन बहुपक्षीय वैश्विक समीकरणों को चुनौती देने की दिशा में बढ़ रहा है।
हालाँकि,अमेरिका के भीतर से भी ट्रंप की इस नीति की आलोचना शुरू हो गई है। रिपब्लिकन पार्टी की वरिष्ठ भारतवंशी नेता निक्की हेली ने ट्रंप को एक कड़ी नसीहत दी है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा कि भारत जैसे मजबूत और विश्वसनीय सहयोगी के साथ अमेरिका को अपने रिश्ते खराब नहीं करने चाहिए। निक्की हेली ने यह भी कहा कि भारत को रूस से तेल खरीदना नहीं चाहिए,लेकिन चीन को टैरिफ से राहत देना भी तर्कसंगत नहीं है। उन्होंने ट्रंप पर दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगाया,खासकर तब जब चीन अमेरिका का सबसे बड़ा भू-राजनीतिक प्रतिद्वंदी है और रूस तथा ईरान से तेल खरीदने वाला सबसे बड़ा देश भी।
हेली के इस बयान से यह साफ हो गया है कि रिपब्लिकन पार्टी के भीतर भी ट्रंप की आक्रामक व्यापार नीति को लेकर असहमति है। यह भी पहली बार नहीं है,जब निक्की हेली ने ट्रंप के अंतर्राष्ट्रीय रुख पर सवाल उठाए हों। भारत को लेकर उनकी संवेदनशीलता और चीन के प्रति सख्त रुख उनकी रणनीतिक सोच को दर्शाता है।
कुल मिलाकर अमेरिका की व्यापार नीतियों ने एक बार फिर वैश्विक सहयोग और बहुपक्षीय कूटनीति के समक्ष चुनौती खड़ी कर दी है। ब्राजील के साथ बढ़ता तनाव, भारत पर टैरिफ और चीन को दी गई छूट,ये सभी कदम ट्रंप प्रशासन की असंतुलित और अवसरवादी रणनीति की ओर संकेत करते हैं। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या ब्रिक्स देश इस अमेरिकी दबाव के विरुद्ध एकजुट होकर कोई ठोस रणनीति अपनाते हैं या फिर यह विवाद और लंबा खिंचता है। अमेरिका और ब्राजील के इस टैरिफ विवाद ने विश्व व्यापार में एक नई दरार पैदा कर दी है, जिसका असर वैश्विक अर्थव्यवस्था पर पड़ना तय है।