प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (तस्वीर क्रेडिट@shauryabjym)

भारत-रूस रणनीतिक साझेदारी को नई ऊँचाई: एल्युमीनियम,रेलवे और खनन टेक्नोलॉजी में सहयोग बढ़ाने पर सहमति

नई दिल्ली,7 अगस्त (युआईटीवी)- भारत और रूस के बीच ऐतिहासिक मित्रता और रणनीतिक साझेदारी एक और मजबूत पड़ाव पर पहुँच गई है। हाल ही में आयोजित भारत-रूस आधुनिकीकरण और औद्योगिक सहयोग पर वर्किंग ग्रुप के 11वें सत्र में दोनों देशों ने एक प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर करते हुए एल्युमीनियम,उर्वरक,रेलवे और खनन टेक्नोलॉजी जैसे अहम क्षेत्रों में सहयोग को गहरा करने पर सहमति जताई है। इस समझौते को भारत-रूस के दीर्घकालिक रणनीतिक संबंधों को नई ऊर्जा देने वाला कदम माना जा रहा है।

यह महत्वपूर्ण बैठक भारत-रूस इंटरगवर्नमेंटल कमीशन के व्यापार,आर्थिक, वैज्ञानिक,तकनीकी और सांस्कृतिक सहयोग के व्यापक ढाँचे के अंतर्गत आयोजित की गई थी। भारत की ओर से इस सत्र की सह-अध्यक्षता उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के सचिव अमरदीप सिंह भाटिया ने की,जबकि रूस का प्रतिनिधित्व रूसी संघ के उद्योग एवं व्यापार उप मंत्री एलेक्सी ग्रुजदेव ने किया। बैठक में दोनों देशों के लगभग 80 प्रतिनिधियों ने भाग लिया,जिनमें वरिष्ठ सरकारी अधिकारी,तकनीकी विशेषज्ञ और उद्योग जगत के प्रमुख प्रतिनिधि शामिल थे।

सत्र के दौरान 10वें संस्करण के बाद से हुई प्रगति की समीक्षा की गई और नए संभावित क्षेत्रों में सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए दोनों पक्षों के बीच विस्तृत चर्चा हुई। भारत और रूस ने एल्युमीनियम,उर्वरक और रेलवे परिवहन के क्षेत्र में हुई साझेदारी का स्वागत किया और इसके साथ ही खनन उद्योग से जुड़ी गतिविधियों में तकनीकी सहयोग,उपकरणों की आपूर्ति,अन्वेषण तथा औद्योगिक और घरेलू अपशिष्ट प्रबंधन में क्षमता निर्माण की दिशा में कदम आगे बढ़ाने पर सहमति जताई।

बैठक में उभरते क्षेत्रों में सहयोग को लेकर भी सकारात्मक दृष्टिकोण सामने आया। विशेष रूप से एयरोस्पेस विज्ञान और तकनीक में संयुक्त प्रयासों की योजना तैयार की गई है। इसमें आधुनिक विंड टनल की स्थापना,छोटे विमान पिस्टन इंजनों का घरेलू उत्पादन,एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग,3डी प्रिंटिंग और कार्बन फाइबर टेक्नोलॉजी जैसे क्षेत्रों में साझा विकास की संभावनाएँ तलाशी गईं। यह क्षेत्र भारत की आत्मनिर्भरता के प्रयासों को गति देने के साथ-साथ दोनों देशों की तकनीकी क्षमताओं को मजबूत करने का माध्यम बन सकते हैं।

खनिज संसाधनों के क्षेत्र में भी चर्चा काफी केंद्रित रही। भारत और रूस ने रेयर अर्थ और क्रिटिकल मिनरल्स के निष्कर्षण में सहयोग के अवसरों का गहन विश्लेषण किया। भूमिगत कोयला गैसीकरण तकनीक,खनन उपकरणों की आपूर्ति और आधुनिक औद्योगिक इन्फ्रास्ट्रक्चर के निर्माण जैसे क्षेत्रों में भी सहयोग की संभावनाएँ तलाशी गईं। इन क्षेत्रों में सहयोग न केवल दोनों देशों की आंतरिक जरूरतों को पूरा करेगा,बल्कि वैश्विक स्तर पर आपूर्ति श्रृंखला को संतुलित करने में भी योगदान देगा।

रेलवे के क्षेत्र में सहयोग को लेकर भी दोनों पक्षों ने विशेष रुचि दिखाई। रेलवे परिवहन तकनीक,गाड़ियों के आधुनिकीकरण,सुरक्षा मानकों में सुधार और स्मार्ट रेलवे समाधानों को विकसित करने के लिए साझेदारी को और गहरा करने पर सहमति बनी। भारत के लिए यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है,क्योंकि देश अपने रेलवे नेटवर्क के आधुनिकीकरण की दिशा में बड़ी परियोजनाओं पर कार्य कर रहा है।

सत्र के अंत में दोनों सह-अध्यक्षों ने 11वें सत्र के प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किए,जिसमें भारत और रूस की रणनीतिक साझेदारी को नई ऊँचाइयों पर ले जाने और औद्योगिक तथा आर्थिक सहयोग को मजबूत करने की साझा प्रतिबद्धता को दोहराया गया। इस समझौते के माध्यम से दोनों देशों ने यह स्पष्ट संकेत दिया कि वे न केवल पारंपरिक मित्र हैं,बल्कि भविष्य की आर्थिक और तकनीकी चुनौतियों का समाधान मिलकर तलाशने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की ओर से जारी बयान में बताया गया कि यह सत्र दोनों देशों के बीच व्यावसायिक संवाद को सुदृढ़ करने,निवेश को बढ़ावा देने और तकनीकी सहयोग को विस्तार देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा। भारत और रूस के बीच बढ़ता यह सहयोग वैश्विक भू-राजनीतिक संदर्भों में भी महत्व रखता है,जहाँ दो बड़े देशों के बीच विश्वास और पारस्परिक लाभ पर आधारित साझेदारी विश्व व्यापार और सुरक्षा के संतुलन को प्रभावित कर सकती है।

इस प्रकार,भारत-रूस वर्किंग ग्रुप का यह 11वां सत्र दोनों देशों के बीच बहुआयामी सहयोग को एक नई दिशा देने वाला साबित हुआ है,जो आने वाले वर्षों में औद्योगिक, तकनीकी और रणनीतिक संबंधों की और अधिक मजबूती का मार्ग प्रशस्त करेगा।