थाईलैंड-कंबोडिया के बीच तनाव के बाद शांति की ओर कदम (तस्वीर क्रेडिट@airnews_hyd)

थाईलैंड-कंबोडिया के बीच तनाव के बाद शांति की ओर कदम,संघर्षविराम को औपचारिक रूप देने पर हुआ समझौता

कुआलालंपुर,8 अगस्त (युआईटीवी)- कंबोडिया और थाईलैंड के बीच हालिया सीमा तनाव के बीच गुरुवार को दोनों देशों ने एक महत्वपूर्ण समझौते पर हस्ताक्षर करते हुए संघर्षविराम व्यवस्था को औपचारिक रूप देने का निर्णय लिया। यह समझौता मलेशिया की राजधानी कुआलालंपुर में आयोजित विशेष जनरल बॉर्डर कमेटी (जीबीसी) बैठक के दौरान हुआ। दोनों देशों के प्रतिनिधियों ने इस बैठक में बैठकर न केवल बीते झड़पों की घटनाओं की समीक्षा की,बल्कि भविष्य में ऐसे टकरावों से बचने के लिए एक मजबूत और पारदर्शी तंत्र विकसित करने पर भी सहमति जताई।

कंबोडिया के रक्षा मंत्रालय की ओर से जारी बयान में बताया गया कि यह समझौता संघर्षविराम की प्रकिया को कानूनी और औपचारिक स्वरूप प्रदान करता है, जिससे सीमा क्षेत्रों में शांति और स्थिरता बनाए रखने में मदद मिलेगी। कंबोडियाई पक्ष ने बताया कि बैठक में एक क्षेत्रीय निगरानी तंत्र स्थापित करने,आपसी विश्वास बहाली के उपायों को अपनाने और दोनों देशों के सैनिकों के बीच संवाद बढ़ाने पर सहमति बनी। साथ ही,यदि कोई सैनिक पकड़ा जाता है,तो उसके साथ अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानूनों के तहत व्यवहार सुनिश्चित करने की भी बात कही गई।

थाईलैंड की ओर से भी बैठक को सकारात्मक और शांति-स्थापना की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बताया गया। थाई प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि दोनों पक्षों ने यह स्वीकार किया कि संवाद ही एकमात्र ऐसा माध्यम है,जिससे सीमा विवाद को हल किया जा सकता है। इसी के तहत द्विपक्षीय तंत्र के माध्यम से बातचीत जारी रखने और भविष्य में किसी भी प्रकार की स्थिति के लिए त्वरित प्रतिक्रिया तंत्र विकसित करने पर भी सहमति जताई गई। एक और अहम बात यह रही कि थाईलैंड और कंबोडिया ने आसियान सदस्य देशों को इस संघर्षविराम की निगरानी करने की अनुमति देने का भी निर्णय लिया,जिससे इस पूरे प्रयास को क्षेत्रीय सहयोग और पारदर्शिता का आधार मिल सके।

बैठक के अंत में यह भी तय किया गया कि अगली विशेष जीबीसी बैठक एक महीने के भीतर आयोजित की जाएगी,जिसमें अब तक की प्रगति की समीक्षा और बाकी बचे मुद्दों पर समाधान के प्रयास जारी रहेंगे। इस पहल को दोनों देशों के रक्षा और विदेश मंत्रालयों ने भविष्य के द्विपक्षीय संबंधों के लिए एक नई शुरुआत बताया है।

हालाँकि,इस समझौते की पृष्ठभूमि में कंबोडियाई विदेश मंत्रालय की तीखी प्रतिक्रिया भी सामने आई। दरअसल,6 अगस्त को कंबोडिया के विदेश मंत्रालय ने थाईलैंड की ओर से लगाए गए उन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया,जिसमें कहा गया था कि कंबोडिया ने सैन्य बल और हथियारों के जरिए थाईलैंड की संप्रभुता का उल्लंघन किया है। थाईलैंड की ओर से यह आरोप झड़पों के दौरान लगाए गए थे और इसके आधार पर कुछ कानूनी कार्रवाई की बात भी कही गई थी।

कंबोडिया के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता चुम सौनरी ने थाईलैंड की इन कानूनी कार्रवाइयों को पूरी तरह से निराधार,झूठा और राजनीतिक रूप से प्रेरित बताया। उन्होंने कहा कि थाईलैंड इस प्रकार के आरोप लगाकर न केवल घरेलू असंतोष से ध्यान भटकाना चाहता है,बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी कंबोडिया की छवि को नुकसान पहुँचाने का प्रयास कर रहा है। सौनरी ने जोर देकर कहा कि कंबोडिया ने कभी भी झड़प की शुरुआत नहीं की और वह शांति,स्थिरता और आसियान की एकता के प्रति प्रतिबद्ध है।

प्रवक्ता ने आगे कहा कि कंबोडिया लगातार थाईलैंड की उकसाने वाली कार्रवाइयों का संयमपूर्वक जवाब देता रहा है और उसने संघर्षविराम समझौते का पूरी ईमानदारी से पालन किया है। उन्होंने यह अपील भी की कि थाईलैंड को झूठे प्रचार और शत्रुतापूर्ण गतिविधियों को बंद कर देना चाहिए और एक बार फिर शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व और क्षेत्रीय सहयोग की भावना के साथ संवाद की ओर लौटना चाहिए।

गौरतलब है कि 24 जुलाई को थाईलैंड और कंबोडिया के सैनिकों के बीच सीमा के विवादित क्षेत्र में झड़प हुई थी,जिसके चलते दोनों देशों के बीच तनाव तेजी से बढ़ गया था। हालाँकि,कुछ ही दिनों बाद 28 जुलाई को दोनों पक्षों ने संघर्षविराम पर मौखिक सहमति जताई थी,जो उसी दिन मध्यरात्रि से प्रभावी हो गया था। अब, इस संघर्षविराम को औपचारिक रूप मिलने से यह उम्मीद जगी है कि दोनों देशों के बीच शांति कायम रहेगी और सीमा विवाद को बातचीत से सुलझाने की दिशा में ठोस पहल होगी।