अजित डोभाल और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (तस्वीर क्रेडिट@rajmani05559330)

अजित डोभाल की मॉस्को यात्रा: रूस-भारत रणनीतिक साझेदारी को नई मजबूती,पुतिन की भारत यात्रा की तैयारी तेज

मॉस्को,8 अगस्त (युआईटीवी)- मॉस्को में भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोभाल की रूस के उच्चतम सुरक्षा नेतृत्व के साथ हुई बैठकों ने दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को और गहरा करने का मार्ग प्रशस्त किया है। डोभाल ने रूस की सुरक्षा परिषद के सचिव सर्गेई शोइगु से मुलाकात की,जिसमें द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने और आगामी शिखर सम्मेलन की तैयारियों पर विस्तार से चर्चा हुई। इस बैठक को दोनों पक्षों ने विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी को आगे बढ़ाने के लिहाज़ से अत्यंत महत्वपूर्ण बताया।

रूस स्थित भारतीय दूतावास के अनुसार,बैठक में इस साल के अंत में होने वाले भारत-रूस द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन की तैयारियों पर विशेष जोर दिया गया। यह सम्मेलन भारत और रूस के बीच वार्षिक नेतृत्व-स्तरीय वार्ता की उस परंपरा का हिस्सा है,जो दशकों से दोनों देशों के संबंधों की आधारशिला रही है। दोनों पक्षों ने यह भी स्वीकार किया कि मौजूदा वैश्विक और क्षेत्रीय परिदृश्य में घनिष्ठ परामर्श और संयुक्त प्रयासों की आवश्यकता पहले से कहीं अधिक बढ़ गई है।

बैठक में बहुपक्षीय मंचों पर सहयोग,वैश्विक सुरक्षा के अहम मुद्दे,क्षेत्रीय स्थिरता और रक्षा सहयोग के नए आयामों पर भी विचारों का आदान-प्रदान हुआ। यह मुलाकात ऐसे समय हुई है जब वैश्विक शक्ति संतुलन में लगातार बदलाव हो रहा है और दोनों देश अपने-अपने रणनीतिक हितों को सुरक्षित रखने के लिए साझेदारी को प्राथमिकता दे रहे हैं।

गुरुवार को एनएसए अजित डोभाल ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से क्रेमलिन में भेंट की। इस उच्च-स्तरीय मुलाकात में रूस के वरिष्ठ अधिकारी,जिनमें सुरक्षा परिषद के सचिव सर्गेई शोइगु और राष्ट्रपति के सहयोगी यूरी उशाकोव शामिल थे,मौजूद रहे। पुतिन के साथ यह बैठक भारत-रूस संबंधों में बढ़ते विश्वास और निरंतर संवाद की एक अहम कड़ी मानी जा रही है। क्रेमलिन ने इस वार्ता को रचनात्मक करार दिया और कहा कि वैश्विक परिदृश्य में बदलाव के बावजूद दोनों देशों के बीच संवाद की निरंतरता ही उनकी साझेदारी की मजबूती का प्रमाण है।

भारतीय पक्ष से इस वार्ता में रूस में भारत के राजदूत विनय कुमार भी उपस्थित थे। चर्चा के दौरान क्षेत्रीय सुरक्षा परिदृश्य,रक्षा उत्पादन में सहयोग,ऊर्जा साझेदारी और तकनीकी आदान-प्रदान जैसे विषयों पर भी गंभीर विचार-विमर्श हुआ। खासतौर पर,रक्षा क्षेत्र में संयुक्त उत्पादन और नई तकनीकों के आदान-प्रदान को भविष्य की साझेदारी का अहम स्तंभ माना गया।

रूस की सरकारी समाचार एजेंसी इंटरफैक्स के अनुसार,शोइगु के साथ बैठक में डोभाल ने कहा, “हमारे बीच अब बहुत अच्छे संबंध स्थापित हो चुके हैं,जिन्हें हम बहुत महत्व देते हैं। हमारे देशों के बीच एक सुदृढ़ रणनीतिक साझेदारी है,जिसे आगे और गहराई देना हमारी प्राथमिकता है।” डोभाल ने राष्ट्रपति पुतिन की अगस्त के अंत में होने वाली भारत यात्रा पर प्रसन्नता व्यक्त की और कहा कि यह यात्रा द्विपक्षीय संबंधों को नई ऊर्जा प्रदान करेगी।

राष्ट्रपति के सहयोगी यूरी उशाकोव ने पुष्टि की कि पुतिन की यह यात्रा वार्षिक शिखर सम्मेलनों की परंपरा के अनुरूप होगी। उन्होंने बताया कि भारत और रूस के बीच यह समझौता है कि दोनों देशों के शीर्ष नेता हर वर्ष एक-दूसरे से मुलाकात करेंगे और इस बार यह जिम्मेदारी भारत की है कि वह अपने मेहमान का स्वागत करे।

भारत और रूस के बीच विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी का दायरा ऊर्जा,रक्षा,विज्ञान और प्रौद्योगिकी,अंतरिक्ष और सांस्कृतिक आदान-प्रदान जैसे कई क्षेत्रों तक फैला हुआ है। यूक्रेन संकट के बाद वैश्विक स्तर पर बने नए समीकरणों में भी दोनों देशों ने अपने संबंधों को कायम रखा है और एक-दूसरे के रणनीतिक हितों का सम्मान किया है। भारत जहाँ रूस से ऊर्जा और रक्षा आपूर्ति पर निर्भर है,वहीं रूस के लिए भारत एशिया में एक स्थिर और भरोसेमंद साझेदार है।

हाल के वर्षों में दोनों देशों ने बहुपक्षीय मंचों जैसे ब्रिक्स,एससीओ और जी-20 में भी घनिष्ठ सहयोग बनाए रखा है। वैश्विक मुद्दों पर साझा दृष्टिकोण,पश्चिमी दबाव के बावजूद द्विपक्षीय व्यापार का विस्तार और रक्षा क्षेत्र में गहरी भागीदारी—ये सभी कारक इस साझेदारी को विशेष बनाते हैं।

अजित डोभाल की यह मॉस्को यात्रा न केवल आगामी शिखर सम्मेलन की तैयारियों का हिस्सा है,बल्कि यह दोनों देशों के बीच दीर्घकालिक रणनीतिक दृष्टिकोण को भी मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। डोभाल और शोइगु की बातचीत से स्पष्ट है कि भारत और रूस वर्तमान अंतर्राष्ट्रीय चुनौतियों का सामना मिलकर करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

अगस्त के अंत में राष्ट्रपति पुतिन की प्रस्तावित भारत यात्रा से उम्मीद है कि रक्षा, ऊर्जा और आर्थिक सहयोग के नए समझौते सामने आएँगे। साथ ही,यह मुलाकात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पुतिन के बीच व्यक्तिगत विश्वास और आपसी समझ को और मजबूत करेगी।

मॉस्को में हुई यह श्रृंखलाबद्ध उच्च-स्तरीय बैठकें भारत-रूस संबंधों की गहराई और उनकी रणनीतिक अहमियत का संकेत देती हैं। वैश्विक मंच पर बदलते समीकरणों के बीच,यह साझेदारी आने वाले वर्षों में और मजबूत होने की संभावना रखती है और पुतिन की आगामी भारत यात्रा इस दिशा में एक निर्णायक पड़ाव साबित हो सकती है।