डोनाल्ड ट्रंप और व्लादिमीर पुतिन (तस्वीर क्रेडिट@AkshayPratap94)

यूक्रेन युद्ध पर संभावित शांति वार्ता: ट्रंप-पुतिन की 15 अगस्त को अलास्का में ऐतिहासिक मुलाकात

न्यूयॉर्क,9 अगस्त (युआईटीवी)- यूक्रेन युद्ध में संभावित युद्ध विराम की उम्मीदों के बीच,अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में एक अहम घटनाक्रम सामने आया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ अगले शुक्रवार,15 अगस्त 2025 को अमेरिका के अलास्का राज्य में एक महत्वपूर्ण बैठक करने की घोषणा की है। यह बैठक ऐसे समय में तय हुई है,जब अमेरिका ने भारत पर रूस से तेल खरीदने के कारण 25 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क लगाने की घोषणा की है,जिससे वैश्विक कूटनीतिक हलकों में हलचल तेज हो गई है।

ट्रंप ने शुक्रवार को अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर लिखा, “मेरी और पुतिन की लंबे समय से प्रतीक्षित बैठक अगले शुक्रवार को अलास्का में होगी। आगे की जानकारी जल्द साझा की जाएगी।” यह ऐलान इसलिए भी चौंकाने वाला था क्योंकि इससे ठीक एक दिन पहले,गुरुवार को,ट्रंप ने पत्रकारों से बातचीत में पुतिन के प्रति नाराजगी जताते हुए कहा था कि वे “बहुत निराश” हैं। हालाँकि,उसी बातचीत में उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि यूक्रेन मुद्दे पर कुछ प्रगति हुई है और बातचीत सही दिशा में आगे बढ़ रही है। ट्रंप का मानना है कि पुतिन अब शांति चाहते हैं और यूक्रेन के राष्ट्रपति भी इस दिशा में झुकाव दिखा रहे हैं।

अमेरिकी राष्ट्रपति की यह घोषणा ऐसे समय आई है,जब अमेरिका-भारत संबंधों में व्यापारिक तनाव बढ़ा है। बुधवार को ट्रंप ने भारत का नाम लेते हुए कहा था कि रूस से तेल खरीदने के कारण भारत पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क लगाया जाएगा। यह कदम रूस पर आर्थिक दबाव डालने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है,ताकि मास्को की तेल बिक्री से होने वाली कमाई को सीमित किया जा सके। हालाँकि,भारत ने रूस से ऊर्जा आयात को अपने राष्ट्रीय हित और ऊर्जा सुरक्षा से जोड़ा है और इस पर कोई सीधी टिप्पणी नहीं की है।

इसी बीच,बैठक की तैयारी के सिलसिले में रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फोन कर यूक्रेन संकट पर हुई नवीनतम कूटनीतिक गतिविधियों की जानकारी दी। क्रेमलिन की ओर से जारी बयान में कहा गया कि भारत और रूस के विशेष व भरोसेमंद संबंधों को देखते हुए पुतिन ने अमेरिकी राष्ट्रपति के विशेष दूत स्टीवन विटकॉफ से हुई मुलाकात के मुख्य बिंदु प्रधानमंत्री मोदी के साथ साझा किए।

भारतीय विदेश मंत्रालय के अनुसार,प्रधानमंत्री मोदी ने पुतिन का धन्यवाद करते हुए भारत की पुरानी और स्पष्ट राय दोहराई कि किसी भी विवाद का समाधान केवल शांतिपूर्ण और संवाद के माध्यम से ही संभव है। भारत लंबे समय से यूक्रेन संकट में युद्धविराम और वार्ता को सर्वोत्तम रास्ता मानता आया है और इस विषय पर उसने संयुक्त राष्ट्र तथा अन्य अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भी यही रुख अपनाया है।

अंतर्राष्ट्रीय विश्लेषकों का मानना है कि 15 अगस्त की यह बैठक कई दृष्टियों से ऐतिहासिक हो सकती है। पहला,यह बैठक ऐसे समय हो रही है,जब यूक्रेन युद्ध ने न केवल यूरोप बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था और ऊर्जा बाजारों पर गहरा असर डाला है। दूसरा,अमेरिका और रूस के बीच सीधी बातचीत से यह संकेत मिल सकता है कि दोनों देश अब लंबे खींचे इस संघर्ष के अंत के लिए कोई ठोस ढाँचा तैयार करना चाहते हैं। तीसरा,भारत का इस वार्ता से अप्रत्यक्ष रूप से जुड़ना,उसके बढ़ते वैश्विक प्रभाव को भी दर्शाता है।

फिर भी, इस बैठक के परिणाम को लेकर संदेह भी कम नहीं हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि पुतिन और ट्रंप की व्यक्तिगत समझौते की इच्छा के बावजूद,दोनों देशों की सुरक्षा और रणनीतिक नीतियाँ अभी भी एक-दूसरे से टकराती हैं। यूक्रेन की क्षेत्रीय अखंडता,नाटो की भूमिका और रूस पर लगे पश्चिमी प्रतिबंध जैसे मुद्दे आसानी से हल होने वाले नहीं हैं।

इसके अलावा,भारत पर लगाए गए अमेरिकी शुल्क से एक नई जटिलता पैदा हो गई है। अमेरिका,भारत को अपने रणनीतिक साझेदार के रूप में देखता है,लेकिन रूस से भारत के ऊर्जा संबंधों को लेकर वाशिंगटन की चिंताएँ लंबे समय से बनी हुई हैं। यह शुल्क भारत के लिए आर्थिक दबाव का कारण बन सकता है,जबकि रूस के लिए यह एक कूटनीतिक अवसर है कि वह भारत के साथ अपने संबंधों को और मजबूत करे।

अब वैश्विक निगाहें 15 अगस्त को अलास्का में होने वाली इस मुलाकात पर टिकी हैं। क्या यह बैठक वास्तव में यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने की दिशा में निर्णायक मोड़ साबित होगी या यह केवल कूटनीतिक बयानबाजी तक सीमित रह जाएगी,यह आने वाला समय ही बताएगा। फिलहाल इतना तय है कि यह वार्ता न केवल अमेरिका और रूस के रिश्तों के लिए,बल्कि यूरोप,एशिया और वैश्विक ऊर्जा बाजार के लिए भी दूरगामी प्रभाव डाल सकती है।