आईसीआईसीआई बैंक

आईसीआईसीआई बैंक ने सेविंग अकाउंट में न्यूनतम औसत बैलेंस सीमा में पाँच गुना बढ़ोतरी की,ग्राहकों पर बढ़ेगा बोझ

नई दिल्ली,9 अगस्त (युआईटीवी)- निजी क्षेत्र के प्रमुख बैंक आईसीआईसीआई बैंक ने अपने सेविंग अकाउंट धारकों के लिए न्यूनतम औसत मासिक बैलेंस (एमएबी) की सीमा में बड़ी बढ़ोतरी कर दी है। बैंक ने यह बदलाव मेट्रो,शहरी,अर्ध-शहरी और ग्रामीण सभी क्षेत्रों के ग्राहकों के लिए लागू किया है। नई सीमा एक अगस्त से पूरे देश में प्रभावी हो गई है,जिसके बाद ग्राहकों को अपने खातों में पहले के मुकाबले कहीं अधिक राशि बनाए रखनी होगी।

आईसीआईसीआई बैंक की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार,मेट्रो और शहरी क्षेत्रों में रहने वाले ग्राहकों को अब अपने सेविंग अकाउंट में महीने के दौरान औसतन न्यूनतम 50,000 रुपये रखना अनिवार्य होगा। पहले यह सीमा केवल 10,000 रुपये थी। यानी,बैंक ने इसमें पाँच गुना तक की बढ़ोतरी कर दी है। यह बदलाव बैंक को देश में सबसे अधिक न्यूनतम औसत बैलेंस सीमा रखने वाले घरेलू बैंकों की श्रेणी में ला खड़ा करता है।

इसी तरह अर्ध-शहरी क्षेत्रों के ग्राहकों के लिए भी नियम सख्त किए गए हैं। पहले इन क्षेत्रों में सेविंग अकाउंट के लिए न्यूनतम औसत बैलेंस सीमा 5,000 रुपये थी,जिसे अब बढ़ाकर 25,000 रुपये कर दिया गया है। वहीं,ग्रामीण क्षेत्रों के ग्राहकों के लिए यह सीमा 2,500 रुपये से बढ़ाकर 10,000 रुपये कर दी गई है। इसका अर्थ यह है कि अब छोटे कस्बों और गाँवों के खाताधारकों को भी पहले से चार गुना अधिक राशि अपने खातों में बनाए रखनी होगी।

बैंक का कहना है कि यह बदलाव सभी शाखाओं में लागू कर दिया गया है और इसका उद्देश्य खातों में सक्रिय बैलेंस बनाए रखना है। हालाँकि,ग्राहकों के लिए यह अतिरिक्त वित्तीय दबाव का कारण बन सकता है,खासकर उन लोगों के लिए जिनकी मासिक आय कम है या जो पहले से ही सीमित संसाधनों में अपनी जरूरतें पूरी करते हैं। बैंक ने यह भी स्पष्ट किया है कि जो ग्राहक 1 अगस्त से लागू नई सीमा के अनुसार अपने खातों में औसत बैलेंस बनाए रखने में विफल रहेंगे,उन्हें पेनल्टी शुल्क का भुगतान करना पड़ेगा। यह शुल्क अपडेटेड टैरिफ शेड्यूल के अनुसार वसूला जाएगा।

इस बदलाव के साथ ही आईसीआईसीआई बैंक अब उन चुनिंदा बैंकों में शामिल हो गया है,जिनके खातों के लिए न्यूनतम औसत बैलेंस की सीमा काफी ऊँची है। मेट्रो शहरों में 50,000 रुपये की यह अनिवार्यता अधिकांश निजी बैंकों की तुलना में कहीं अधिक है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह निर्णय बैंक के उच्च आय वर्ग के ग्राहकों को ध्यान में रखकर लिया गया है,लेकिन इसका असर उन मध्यमवर्गीय और निम्न-मध्यमवर्गीय ग्राहकों पर नकारात्मक पड़ सकता है,जिनकी वित्तीय क्षमता सीमित है।

दिलचस्प बात यह है कि जहाँ एक ओर आईसीआईसीआई जैसे निजी बैंक न्यूनतम औसत बैलेंस की सीमा बढ़ा रहे हैं,वहीं दूसरी ओर कई सरकारी बैंक इस अनिवार्यता को पूरी तरह समाप्त कर रहे हैं। पिछले कुछ महीनों में भारतीय स्टेट बैंक,केनरा बैंक,बैंक ऑफ बड़ौदा और पंजाब नेशनल बैंक जैसे बड़े सरकारी बैंकों ने सेविंग अकाउंट में न्यूनतम बैलेंस बनाए रखने की शर्त को खत्म कर दिया है। इन बैंकों का तर्क है कि यह कदम वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देगा और उन ग्राहकों को राहत देगा,जो न्यूनतम बैलेंस की शर्त पूरी नहीं कर पाते।

सरकारी बैंकों की यह नीति विशेषकर ग्रामीण और निम्न-आय वर्ग के ग्राहकों के लिए लाभकारी मानी जा रही है,क्योंकि उनके लिए मासिक औसत बैलेंस बनाए रखना एक चुनौती होती है। इसके विपरीत,निजी बैंकों में न्यूनतम औसत बैलेंस की ऊँची सीमा और पेनल्टी शुल्क की सख्ती से यह वर्ग अक्सर निजी बैंकिंग सेवाओं से दूर हो जाता है।

आईसीआईसीआई बैंक के इस फैसले को लेकर ग्राहकों के बीच मिश्रित प्रतिक्रियाएँ सामने आ रही हैं। कुछ ग्राहक इसे बैंक की सेवा गुणवत्ता बनाए रखने और वित्तीय अनुशासन बढ़ाने के दृष्टिकोण से सही ठहरा रहे हैं,जबकि अधिकतर लोग इसे अतिरिक्त वित्तीय बोझ मान रहे हैं। खासकर ग्रामीण और अर्ध-शहरी इलाकों में रहने वाले खाताधारक चिंतित हैं कि बढ़ी हुई सीमा के कारण उन्हें पेनल्टी से बचने के लिए अनावश्यक रूप से अपनी रकम खाते में फँसा कर रखनी पड़ेगी,जिसे वे अन्य जरूरी खर्चों में उपयोग कर सकते थे।

वित्तीय विशेषज्ञों का कहना है कि निजी और सरकारी बैंकों की नीतियों में यह अंतर धीरे-धीरे ग्राहक आधार को भी प्रभावित कर सकता है। सरकारी बैंक जहाँ न्यूनतम बैलेंस की शर्त खत्म कर अधिक से अधिक ग्राहकों को जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं,वहीं निजी बैंक उच्च बैलेंस की शर्त रखकर संभवतः अपनी सेवाओं को प्रीमियम श्रेणी में स्थापित करने की रणनीति अपना रहे हैं।

अगले कुछ महीनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि आईसीआईसीआई बैंक के इस फैसले का ग्राहकों की संख्या और उनके बैंकिंग व्यवहार पर क्या असर पड़ता है। फिलहाल इतना तय है कि नए नियमों के बाद बैंक के मेट्रो और शहरी क्षेत्र के ग्राहकों को अपने सेविंग अकाउंट में 50,000 रुपये,अर्ध-शहरी ग्राहकों को 25,000 रुपये और ग्रामीण ग्राहकों को 10,000 रुपये का औसत मासिक बैलेंस बनाए रखना ही होगा,वरना उन्हें पेनल्टी का सामना करना पड़ेगा। यह बदलाव बैंकिंग सेक्टर में निजी और सरकारी संस्थानों की अलग-अलग नीतियों को और स्पष्ट रूप से सामने लाता है,जहाँ एक ओर कुछ बैंक ग्राहकों के लिए शर्तें आसान बना रहे हैं,तो दूसरी ओर कुछ संस्थान इन्हें और कड़ा कर रहे हैं।