तेल अवीव/नई दिल्ली,11 अगस्त (युआईटीवी)- इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने अपनी सरकार की उस विवादास्पद योजना का जोरदार बचाव किया है,जिसमें गाजा सिटी पर पूर्ण सैन्य नियंत्रण लेने की बात कही गई है। उन्होंने इसे युद्ध को समाप्त करने का सबसे तेज और असरदार तरीका बताते हुए स्पष्ट किया कि हमास के हथियार डालने से लगातार इनकार करने के कारण इजरायल के पास अपने सैन्य अभियान को जारी रखने के अलावा कोई और विकल्प शेष नहीं है। प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा, “हमास के आत्मसमर्पण से इनकार के चलते अब इजरायल का एकमात्र लक्ष्य युद्ध को पूरा करना और हमास को पूरी तरह पराजित करना है।”
नेतन्याहू ने दावा किया कि इस समय इजरायल गाजा के लगभग 70 से 75 प्रतिशत हिस्से पर पहले से ही नियंत्रण स्थापित कर चुका है। हालाँकि,इस सैन्य अभियान को लेकर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय,खासकर इजरायल के कुछ करीबी पश्चिमी सहयोगियों ने गंभीर चिंता व्यक्त की है और मानवीय संकट की आशंका जताई है। नेतन्याहू ने इन आशंकाओं और आरोपों को “झूठा प्रचार” करार देते हुए खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि यह अभियान केवल हमास को शीघ्र हराने के लिए नहीं,बल्कि गाजा के नागरिकों को यथासंभव कम नुकसान पहुँचाने के उद्देश्य से संचालित किया जा रहा है।
प्रधानमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि इजरायली सेना गाजा के नागरिकों को सुरक्षित क्षेत्रों में जाने का रास्ता प्रदान करेगी। इन सुरक्षित इलाकों में भोजन,पानी और स्वास्थ्य सुविधाओं की व्यवस्था की जाएगी,ताकि नागरिकों को संघर्ष की सीधी मार से बचाया जा सके। उन्होंने दोहराया कि इजरायल की नीति हमेशा मानवीय संकट को रोकने की रही है,जबकि हमास की रणनीति जानबूझकर संकट उत्पन्न करने की रही है।
नेतन्याहू ने युद्ध शुरू होने के बाद से अब तक गाजा में पहुँचाई गई मानवीय सहायता का ब्योरा भी पेश किया। उनके अनुसार,इजरायल अब तक करीब 20 लाख टन मानवीय सहायता गाजा में पहुँचा चुका है। उन्होंने कहा, “अगर हमारी नीति भूख से मारने की होती,तो दो साल के युद्ध में गाजा में कोई भी जीवित न बचता।” उन्होंने बताया कि अमेरिका के साथ मिलकर अतिरिक्त मानवीय उपायों पर भी चर्चा चल रही है। इसमें जमीनी मार्ग और हवाई मार्ग से राहत सामग्री पहुँचाने के प्रयासों को तेज करना और गाजा ह्यूमैनिटेरियन फाउंडेशन के वितरण केंद्रों की क्षमता को बढ़ाना शामिल है। उन्होंने उम्मीद जताई कि भविष्य में संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतर्राष्ट्रीय संस्थाएँ भी इस अभियान में अधिक सक्रिय रूप से जुड़ेंगी। हालाँकि,उन्होंने अतीत में गाजा में संयुक्त राष्ट्र की भूमिका की आलोचना करते हुए कहा कि कई बार अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं ने वास्तविकता को नज़रअंदाज़ किया है।
गाजा में चल रहे इस संघर्ष के बीच नेतन्याहू ने हमास पर गंभीर आरोप लगाए कि वे केवल इजरायली बंधकों को ही नहीं,बल्कि पूरे संघर्ष को अपने पक्ष में प्रचारित करने के लिए जानबूझकर गलत जानकारी फैला रहे हैं। उन्होंने कहा कि वैश्विक मीडिया हमास द्वारा जारी की गई झूठी तस्वीरों और आँकड़ों पर भरोसा कर रहा है। विशेष रूप से भूख से पीड़ित बच्चों की जो तस्वीरें दिखाई जा रही हैं,नेतन्याहू ने उन्हें गलत या पूरी तरह फर्जी बताया। उनके अनुसार,इस तरह का दुष्प्रचार यहूदी समुदाय के खिलाफ हिंसा भड़काने की एक पुरानी रणनीति है। उन्होंने कहा, “हर यहूदी जनसंहार से पहले यहूदियों को बदनाम करने का अभियान चलाया जाता है और आज हम वही देख रहे हैं।”
अंतर्राष्ट्रीय मंच पर इस समय गाजा को लेकर बहस दो पहलुओं पर केंद्रित है—एक तरफ इजरायल की सुरक्षा और हमास के खिलाफ उसकी सैन्य कार्रवाई का औचित्य और दूसरी तरफ नागरिकों के मानवीय अधिकारों और उनकी सुरक्षा का प्रश्न। पश्चिमी देशों में भी इस मुद्दे पर मतभेद हैं। कुछ देश इजरायल के आत्मरक्षा के अधिकार को मान्यता देते हुए उसके अभियान का समर्थन कर रहे हैं,वहीं कई अन्य देश नागरिकों पर पड़ रहे प्रभाव और बढ़ते मानवीय संकट को देखते हुए तत्काल युद्धविराम की माँग कर रहे हैं।
इसी बीच,गाजा के अंदर हालात बेहद चुनौतीपूर्ण बने हुए हैं। अंतर्राष्ट्रीय मानवीय संगठनों के अनुसार,संघर्षग्रस्त क्षेत्रों में लाखों लोग विस्थापित हो चुके हैं और बुनियादी जरूरतों के लिए संघर्ष कर रहे हैं। हालाँकि,नेतन्याहू का दावा है कि इजरायल नागरिकों की सुरक्षा के लिए हरसंभव कदम उठा रहा है और मानवीय सहायता में कोई कमी नहीं रखी जा रही। उन्होंने यह भी कहा कि मानवीय गलियारों के जरिए लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुँचाने की योजना पहले से लागू है और आगे भी इसे और प्रभावी बनाया जाएगा।
नेतन्याहू के इन बयानों से यह साफ है कि इजरायल अपने सैन्य अभियान में किसी प्रकार की ढिलाई देने के मूड में नहीं है। उनकी सरकार का मानना है कि हमास को पूरी तरह पराजित किए बिना क्षेत्र में स्थायी शांति स्थापित नहीं की जा सकती। इसके विपरीत,आलोचकों का कहना है कि इस तरह का पूर्ण सैन्य नियंत्रण न केवल लंबे समय तक संघर्ष को बढ़ा सकता है,बल्कि मानवीय संकट को और गहरा सकता है।
गाजा पर इजरायल की रणनीति अब एक ऐसे मोड़ पर है,जहाँ अंतर्राष्ट्रीय दबाव और सुरक्षा चिंताओं के बीच संतुलन बनाना बेहद कठिन हो गया है। आने वाले दिनों में इस संघर्ष की दिशा काफी हद तक इस बात पर निर्भर करेगी कि क्या हमास किसी समझौते की ओर बढ़ता है या इजरायल अपनी सैन्य योजना को पूरी तरह लागू करता है। फिलहाल,नेतन्याहू के रुख से यही संकेत मिलता है कि गाजा सिटी पर पूर्ण नियंत्रण लेने की योजना को लेकर उनकी सरकार पीछे हटने को तैयार नहीं है,चाहे अंतर्राष्ट्रीय आलोचना कितनी भी तेज क्यों न हो।