केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (तस्वीर क्रेडिट@AkashYa17010281)

इनकम टैक्स बिल 2025 का रिवाइज्ड वर्जन लोकसभा में पेश,कर संरचना को सरल और पारदर्शी बनाने पर जोर

नई दिल्ली,11 अगस्त (युआईटीवी)- केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को विपक्ष के हंगामे के बीच लोकसभा में इनकम टैक्स बिल,2025 का संशोधित संस्करण पेश किया। यह संशोधित विधेयक भाजपा नेता बैजयंत पांडा की अध्यक्षता वाली संसदीय चयन समिति की अधिकांश सिफारिशों को शामिल करता है। वित्त मंत्री ने स्पष्ट किया कि नए ड्राफ्ट का उद्देश्य कानून को अधिक स्पष्ट,सुव्यवस्थित और मौजूदा प्रावधानों के अनुरूप बनाना है,जिससे करदाताओं के लिए समझ और अनुपालन दोनों आसान हो जाएं।

लोकसभा में विधेयक पेश करते समय सीतारमण ने कहा कि विभिन्न पक्षों से प्राप्त सुझावों को ध्यान में रखते हुए इसे सही विधायी अर्थ प्रदान करने के लिए जरूरी बदलाव किए गए हैं। उन्होंने बताया कि ड्राफ्टिंग की प्रकृति,वाक्यांशों के संरेखण,परिणामी संशोधनों और क्रॉस-रेफरेंसिंग में सुधार किया गया है,जिससे अस्पष्टता कम होगी और कानून अधिक प्रभावी ढंग से लागू किया जा सकेगा। वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि पहले पेश किए गए बिल को वापस लेने का कारण यह था कि उसमें संशोधनों के कारण भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो सकती थी,जबकि नया संशोधित संस्करण सभी आवश्यक बदलावों को एक ही दस्तावेज़ में प्रस्तुत करता है।

रिवाइज्ड इनकम टैक्स बिल, 2025 में संसदीय चयन समिति की 285 सिफारिशों को शामिल किया गया है। इन सिफारिशों का उद्देश्य कर प्रक्रियाओं को सरल बनाना,पुरानी कमियों को दूर करना और करदाताओं के लिए नियमों को अधिक पारदर्शी और सुलभ बनाना है। वित्त मंत्री ने कहा कि नए ड्राफ्ट का लक्ष्य एक “सिंगल,अपडेटेड वर्जन” उपलब्ध कराना है,जिसमें सभी आवश्यक सुधार एक साथ समाहित हों। इससे सांसदों को कानून पर चर्चा और समीक्षा के लिए एक स्पष्ट व सटीक आधार मिलेगा।

गौरतलब है कि इस बिल को पहली बार 13 फरवरी को लोकसभा में पेश किया गया था,जिसका उद्देश्य 1961 के मौजूदा आयकर अधिनियम को प्रतिस्थापित करना था। हालाँकि,समीक्षा के दौरान इसमें कई सुधार सुझाए गए,जिसके चलते पिछले सप्ताह सरकार ने इसे औपचारिक रूप से वापस ले लिया था। इसके बाद सभी सुझावों और संशोधनों को शामिल कर इसे पुनः संशोधित रूप में पेश किया गया।

संसदीय चयन समिति के अध्यक्ष बैजयंत पांडा ने कहा कि नया कानून पारित होने के बाद भारत के दशकों पुराने कर ढाँचे को सरल बनाएगा और कानूनी उलझनों को कम करेगा। उन्होंने बताया कि वर्तमान आयकर अधिनियम,1961 में 4,000 से अधिक संशोधन हो चुके हैं और इसमें 5 लाख से ज्यादा शब्द हैं,जिससे यह अत्यधिक जटिल हो गया है। नए कानून में शब्दों की संख्या लगभग 50 प्रतिशत तक घटा दी जाएगी,जिससे आम करदाताओं के लिए इसे पढ़ना और समझना कहीं आसान हो जाएगा।

पांडा के अनुसार,नया विधेयक व्यक्तिगत करदाताओं और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के लिए विशेष रूप से लाभकारी होगा। इससे अनावश्यक मुकदमेबाजी में कमी आएगी और करदाताओं को राहत मिलेगी। साथ ही,यह बिल ऐसे प्रावधानों को खत्म करेगा जो अस्पष्टता के कारण विवाद उत्पन्न करते हैं।

सरकार का दावा है कि रिवाइज्ड इनकम टैक्स बिल में सभी करदाताओं को लाभ पहुँचाने के लिए स्लैब और दरों में व्यापक बदलाव किए गए हैं। नए स्ट्रक्चर से मध्यम वर्ग के कर बोझ में कमी आएगी,जिससे उनके पास अधिक डिस्पोजेबल इनकम होगी। यह न केवल घरेलू उपभोग को प्रोत्साहित करेगा,बल्कि बचत और निवेश को भी बढ़ावा देगा। इसके परिणामस्वरूप आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि और समग्र विकास को गति मिलने की संभावना है।

वित्त मंत्री ने कहा कि संशोधित बिल में कानूनी भाषा को सरल और सीधी बनाने पर विशेष ध्यान दिया गया है,ताकि तकनीकी और जटिल शब्दावली के कारण करदाताओं को कठिनाई न हो। साथ ही,तकनीकी प्रक्रियाओं के डिजिटलीकरण और स्वचालन को भी बढ़ावा दिया गया है,जिससे कर दाखिल करने और रिफंड प्राप्त करने जैसी प्रक्रियाएँ तेज और पारदर्शी होंगी।

केंद्रीय वित्त मंत्रालय के अनुसार,यह नया कानून न केवल करदाताओं के लिए अनुपालन लागत को कम करेगा,बल्कि आयकर विभाग के प्रशासनिक बोझ को भी घटाएगा। सरकार का मानना है कि इससे कर संग्रहण प्रक्रिया अधिक कुशल होगी और कर चोरी की संभावना कम होगी।

विपक्ष ने हालाँकि,इस बिल को पेश किए जाने के तरीके और समय पर सवाल उठाए। कुछ विपक्षी नेताओं ने आरोप लगाया कि सरकार पर्याप्त बहस और विचार-विमर्श के बिना इसे पारित करने की कोशिश कर रही है। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि यह बिल व्यापक परामर्श और समीक्षा के बाद लाया गया है और इसमें सभी पक्षों के सुझावों को शामिल किया गया है।

आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह बिल अपने मौजूदा रूप में पारित होता है,तो यह भारत के कर ढाँचे में एक ऐतिहासिक सुधार साबित हो सकता है। इससे न केवल कर अनुपालन दर में सुधार होगा,बल्कि करदाताओं और कर प्रशासन के बीच विश्वास भी बढ़ेगा। विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि नए स्लैब और दरें मध्यम वर्ग को राहत देने के साथ-साथ निवेश और उद्यमिता को भी प्रोत्साहित करेंगी।

अंततः, रिवाइज्ड इनकम टैक्स बिल, 2025 सरकार की उस व्यापक रणनीति का हिस्सा है,जिसका उद्देश्य देश की कर व्यवस्था को आधुनिक,सरल और पारदर्शी बनाना है। अब देखने वाली बात यह होगी कि संसद में इस बिल पर चर्चा के दौरान किन-किन संशोधनों और सुझावों को अपनाया जाता है और यह किस रूप में कानून का हिस्सा बनता है।