नई दिल्ली,13 अगस्त (युआईटीवी)- भारत में इजरायल के राजदूत रूवेन अजार और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के बीच बयानबाजी ने एक नए विवाद को जन्म दे दिया है। प्रियंका गांधी ने मंगलवार को गाजा में अल-जजीरा के पाँच पत्रकारों की मौत को लेकर इजरायल पर गंभीर आरोप लगाए और उसे ‘नरसंहार’ करने वाला देश बताया। उनके इस बयान ने इजरायल के राजनयिक को भड़काया और उन्होंने सोशल मीडिया पर कड़ा पलटवार किया।
प्रियंका गांधी वाड्रा ने अपने बयान में कहा कि इजरायल के हमलों में 60 हजार से अधिक लोग मारे गए हैं,जिनमें 18,430 बच्चे शामिल हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि इजरायल ने सैकड़ों लोगों को भूख से मार डाला है,जिनमें कई बच्चे भी थे और लाखों लोगों को भुखमरी की धमकी दी है। उन्होंने अल-जजीरा के पाँच पत्रकारों की मौत को ‘जघन्य अपराध’ करार देते हुए कहा कि यह घटना एक बार फिर दर्शाती है कि इजरायल पत्रकारों और सत्य बोलने वालों पर हिंसा कर रहा है। प्रियंका ने लिखा, “अल जजीरा के 5 पत्रकारों की निर्मम हत्या फिलिस्तीनी धरती पर किया गया एक और जघन्य अपराध है। जो लोग सत्य के लिए खड़े होने की हिम्मत करते हैं,उनका असीम साहस इजरायल की हिंसा और घृणा से कभी नहीं टूटेगा। ऐसी दुनिया में जहाँ अधिकांश मीडिया सत्ता और व्यापार का गुलाम है,इन बहादुरों ने हमें याद दिलाया कि सच्ची पत्रकारिता क्या होती है। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे।”
इस बयान के तुरंत बाद,भारत में इजरायल के राजदूत रूवेन अजार ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने प्रियंका गांधी पर ‘कपट’ का आरोप लगाते हुए कहा, “शर्मनाक बात तो आपका कपट है। इजरायल ने 25,000 हमास आतंकवादियों को मार गिराया है। मानवीय जिंदगियों का यह भयानक नुकसान हमास की घिनौनी चालों के कारण हुआ है। वे नागरिकों के पीछे छिपते हैं,सहायता के लिए या बाहर निकलने की कोशिश कर रहे लोगों पर गोलीबारी करते हैं और रॉकेट दागते हैं।”
रूवेन अजार ने आगे कहा कि इजरायल ने गाजा में अब तक 20 लाख टन खाद्य सामग्री पहुँचाई है,लेकिन हमास इन सामग्रियों को जब्त करने की कोशिश करता है,जिससे वहाँ भुखमरी की स्थिति पैदा होती है। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि पिछले 50 वर्षों में गाजा की आबादी में 450 प्रतिशत की वृद्धि हुई है,जो यह साबित करता है कि वहाँ कोई ‘नरसंहार’ नहीं हो रहा। अजार ने प्रियंका गांधी को सलाह देते हुए कहा, “हमास के आँकड़ों पर यकीन मत कीजिए। उनके प्रचार का हिस्सा मत बनिए।”
What is shameful is your deceit. Israel Killed 25,000 Hamas terrorists. The terrible cost in human lives derives from Hamas’s heinous tactics of hiding behind civilians, their shooting of people trying to evacuate or receive assistance and their rocket fire. Israel facilitated 2… https://t.co/e3lSUwfmXH
— 🇮🇱 Reuven Azar (@ReuvenAzar) August 12, 2025
इजरायल के राजदूत का यह बयान स्पष्ट रूप से संकेत देता है कि उनका मानना है कि गाजा में हो रही मौतों के पीछे इजरायल नहीं,बल्कि हमास की रणनीति जिम्मेदार है। उनका दावा है कि हमास जानबूझकर नागरिक इलाकों में छिपता है और युद्ध को इस तरह अंजाम देता है कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में इजरायल की छवि खराब हो।
वहीं,प्रियंका गांधी का आरोप है कि इजरायल की सैन्य कार्रवाई अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार मानकों का उल्लंघन है और यह न केवल हमास,बल्कि आम नागरिकों,बच्चों और पत्रकारों को भी निशाना बना रही है। प्रियंका का यह बयान कांग्रेस पार्टी के उस रुख को भी दर्शाता है,जिसमें गाजा में हो रही मानवीय त्रासदी के लिए इजरायल को सीधे जिम्मेदार ठहराया जा रहा है।
गाजा में जारी संघर्ष के दौरान अल-जजीरा समेत कई अंतर्राष्ट्रीय मीडिया संगठनों ने बार-बार यह शिकायत की है कि उनके पत्रकार इजरायल के हमलों में मारे जा रहे हैं या घायल हो रहे हैं। इस मामले में अल-जजीरा के पाँच पत्रकारों की मौत ने वैश्विक पत्रकारिता जगत में चिंता पैदा कर दी है। पत्रकार संगठनों का कहना है कि युद्ध क्षेत्रों में काम करने वाले पत्रकारों को अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून के तहत सुरक्षा मिलनी चाहिए।
यह विवाद ऐसे समय में सामने आया है,जब इजरायल और हमास के बीच संघर्ष अपने चरम पर है और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर युद्धविराम की माँगें तेज हो रही हैं। भारत सरकार अब तक इस मामले में संतुलित रुख अपनाते हुए दोनों पक्षों से हिंसा रोकने और बातचीत शुरू करने की अपील कर चुकी है,लेकिन भारत के भीतर राजनीतिक दलों और नेताओं के बयानों में विभाजन साफ नजर आता है।
प्रियंका गांधी और इजरायल के राजदूत के बीच यह तीखी जुबानी जंग न केवल गाजा संघर्ष के मानवीय पहलू पर,बल्कि अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में भारत की स्थिति पर भी बहस को जन्म देती है। जहाँ कांग्रेस पार्टी इजरायल की नीतियों की आलोचना कर रही है,वहीं भारत की मौजूदा सरकार इजरायल के साथ मजबूत रणनीतिक और रक्षा संबंध बनाए रखने पर जोर दे रही है।
अब देखना होगा कि प्रियंका गांधी के इस बयान और इजरायल के राजदूत के जवाब के बाद यह मुद्दा भारत की आंतरिक राजनीति में किस तरह से उभरता है और क्या यह विदेश नीति पर किसी तरह का असर डालता है। फिलहाल,यह विवाद गाजा में जारी संघर्ष के बीच भारत में इजरायल-विरोधी और इजरायल-समर्थक मतों के बीच बढ़ती खाई को उजागर करता है।