मॉस्को,13 अगस्त (युआईटीवी)- रूस और अमेरिका के बीच इस सप्ताह के अंत में अलास्का में होने वाली उच्च-स्तरीय बैठक को लेकर कूटनीतिक हलकों में हलचल तेज हो गई है। रूसी उप विदेश मंत्री सर्गेई रयाबकोव ने मंगलवार को उम्मीद जताई कि राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच होने वाली यह मुलाकात द्विपक्षीय संबंधों के सामान्यीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। रयाबकोव ने कहा कि यह बैठक न केवल राजनीतिक विश्वास बहाल करने का अवसर होगी, बल्कि इससे दोनों देशों के बीच कई ठोस मुद्दों पर प्रगति की संभावना भी बढ़ेगी।
स्थानीय मीडिया ‘इजवेस्तिया’ और ‘शिन्हुआ समाचार एजेंसी’ के हवाले से रयाबकोव ने कहा कि अलास्का शिखर सम्मेलन सीधी यात्री उड़ानों की बहाली जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों के समाधान का मार्ग खोल सकता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि मॉस्को की प्राथमिकता दोनों देशों के बीच हवाई संपर्क को फिर से स्थापित करना है,जो पिछले कुछ वर्षों में बिगड़ते संबंधों के कारण बाधित हो गया था।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को इस बैठक को “अनुभव-आधारित मुलाकात” करार दिया। उनका कहना है कि पुतिन से मिलने के दो मिनट के भीतर ही उन्हें यह समझ आ जाएगा कि क्या वास्तविक प्रगति की कोई संभावना है या नहीं। ट्रंप ने यह भी संकेत दिया कि वे इस बैठक के दौरान यूक्रेन संघर्ष के मुद्दे को प्राथमिकता देंगे। व्हाइट हाउस में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा, “रूस ने यूक्रेन के बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया है। हम इस क्षेत्र का कुछ हिस्सा यूक्रेन को वापस दिलाने की कोशिश करेंगे।”
ट्रंप ने यह भी खुलासा किया कि भविष्य की बैठकों में यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की की भागीदारी संभव है। उनके अनुसार,एक बैठक ऐसी भी हो सकती है जिसमें रूसी और यूक्रेनी दोनों नेता मौजूद हों। इस तरह का त्रिपक्षीय संवाद यूक्रेन युद्ध के समाधान की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है,बशर्ते सभी पक्ष इसके लिए तैयार हों।
रूसी राष्ट्रपति के करीबी सहयोगी यूरी उशाकोव ने अलास्का को बैठक स्थल के रूप में चुनने को तार्किक बताया। उनके अनुसार,यह वह इलाका है,जहाँ अमेरिका और रूस के आर्थिक हित एक-दूसरे से मिलते हैं और भौगोलिक रूप से भी यह दोनों देशों के बीच एक तटस्थ स्थान की तरह है। अलास्का का चयन यह संकेत देता है कि दोनों पक्ष एक संतुलित और प्रतीकात्मक जगह पर बातचीत करना चाहते हैं,जिससे संवाद का माहौल सकारात्मक बन सके।
व्हाइट हाउस के एक अधिकारी ने शनिवार को पत्रकारों से बातचीत में कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप दोनों नेताओं—पुतिन और जेलेंस्की के साथ शिखर सम्मेलन के लिए तैयार हैं। हालाँकि,यह स्पष्ट नहीं है कि जेलेंस्की इस सप्ताह होने वाली अलास्का बैठक में शामिल होंगे या नहीं,लेकिन नाटो में अमेरिका के राजदूत मैथ्यू व्हिटेकर ने रविवार को कहा कि उनकी भागीदारी अभी भी संभव है। व्हिटेकर ने कहा, “यह निर्णय राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा लिया जाएगा और अभी भी निर्णय लेने का समय है।”
अलास्का शिखर सम्मेलन की घोषणा के बाद यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि कीव से परामर्श के बिना कोई भी समझौता ‘मृत फैसला’ साबित होगा। उनका यह बयान स्पष्ट करता है कि यूक्रेन किसी भी प्रकार की वार्ता प्रक्रिया में अपनी सक्रिय भागीदारी चाहता है और वह इस बात को लेकर संवेदनशील है कि उसके भविष्य से जुड़े निर्णय किसी और के हाथ में न हों।
मॉस्को की तरफ से भी यह संकेत दिया गया है कि वह संबंध सुधारने के लिए तैयार है, बशर्ते अमेरिका भी आपसी सम्मान और समानता के आधार पर बातचीत करे। सर्गेई रयाबकोव का यह कहना कि हवाई संपर्क बहाली जैसे व्यावहारिक मुद्दों पर भी प्रगति हो सकती है,इस बात का संकेत है कि दोनों पक्ष कूटनीतिक संवाद को केवल राजनीतिक विवादों तक सीमित नहीं रखना चाहते,बल्कि व्यापार,यात्रा और मानवीय संपर्क जैसे क्षेत्रों में भी सहयोग बढ़ाना चाहते हैं।
रूस-अमेरिका संबंध पिछले कुछ वर्षों में लगातार तनावपूर्ण रहे हैं। यूक्रेन युद्ध,नाटो विस्तार,आर्थिक प्रतिबंध,जासूसी के आरोप और कूटनीतिक निष्कासन जैसी घटनाओं ने दोनों देशों के बीच अविश्वास की दीवार खड़ी कर दी है। ऐसे में अलास्का में होने वाली यह बैठक एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकती है,जहाँ दोनों पक्ष कम से कम कुछ मुद्दों पर साझा आधार खोजने की कोशिश कर सकते हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस बैठक से किसी बड़े समझौते की उम्मीद करना फिलहाल जल्दबाजी होगी,लेकिन संवाद की बहाली अपने आप में एक सकारात्मक कदम है। अगर पुतिन और ट्रंप व्यक्तिगत स्तर पर भरोसा कायम करने में सफल होते हैं,तो इसका असर आगे की वार्ताओं पर पड़ सकता है। वहीं,यूक्रेन मुद्दे पर कोई भी प्रगति यूरोप और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण विकास होगी।
अब सभी की नजरें शुक्रवार को होने वाली इस बैठक पर टिकी हैं। क्या पुतिन और ट्रंप अपने-अपने रुख में कोई लचीलापन दिखाएँगे या यह बैठक केवल औपचारिक कूटनीतिक आदान-प्रदान तक सीमित रह जाएगी,यह आने वाले दिनों में स्पष्ट होगा। लेकिन इतना तय है कि अलास्का में होने वाली यह मुलाकात दुनिया की सबसे चर्चित राजनीतिक घटनाओं में से एक बनने जा रही है,क्योंकि इसमें न केवल रूस-अमेरिका संबंधों का भविष्य दांव पर है,बल्कि यूक्रेन संघर्ष की दिशा भी तय हो सकती है।