लिएंडर पेस और उनके पिता डॉ. वेस पेस (तस्वीर क्रेडिट@RISHABH79RAAZ)

1972 ओलंपिक पदक विजेता हॉकी स्टार और लिएंडर पेस के पिता डॉ. वेस पेस का 80 वर्ष की उम्र में निधन

कोलकाता,14 अगस्त (युआईटीवी)- भारतीय हॉकी जगत ने एक और दिग्गज खिलाड़ी को खो दिया है। म्यूनिख ओलंपिक 1972 में कांस्य पदक जीतने वाली भारतीय हॉकी टीम के सदस्य रहे डॉ. वेस पेस का कोलकाता में 80 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वह लंबे समय से पार्किंसन रोग से पीड़ित थे। हॉकी के इस महान सितारे ने न केवल मैदान पर भारत का नाम रोशन किया,बल्कि शिक्षा और खेल प्रशासन के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। डॉ. वेस पेस दिग्गज टेनिस खिलाड़ी लिएंडर पेस के पिता थे,जिन्होंने अपने खेल जीवन में कई बार यह स्वीकार किया है कि खेल के प्रति उनका जुनून और अनुशासन उन्हें अपने पिता से विरासत में मिला।

डॉ. वेस पेस के निधन की खबर ने खेल जगत को गहरे शोक में डाल दिया। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए लिखा कि 1972 के ओलंपिक खेलों में कांस्य पदक जीतने वाली टीम के सदस्य डॉ. वेस पेस के निधन से उन्हें गहरा दुख पहुँचा है। उन्होंने कहा कि हॉकी और खेल चिकित्सा में उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने लिएंडर पेस,उनके दोस्तों और कोलकाता के उन खेल क्लबों के प्रति संवेदना व्यक्त की जिनसे वेस पेस लंबे समय तक जुड़े रहे।

डॉ. पेस के निधन पर हॉकी इंडिया के अध्यक्ष व पूर्व कप्तान दिलीप तिर्की ने भी शोक व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि यह भारतीय हॉकी के लिए एक अपूरणीय क्षति है। तिर्की ने म्यूनिख ओलंपिक में जीते गए पदक को डॉ. पेस के धैर्य और दृढ़ संकल्प का प्रमाण बताया। उन्होंने याद किया कि कई मौकों पर उनसे मिलने का अवसर मिला और हमेशा खेल के प्रति उनके समर्पण और जुनून से प्रेरणा मिली। तिर्की ने कहा कि डॉ. पेस देश में खेल संस्कृति को बढ़ावा देने के प्रबल समर्थक थे और हॉकी इंडिया की ओर से उनकी पत्नी जेनिफर,बेटे लिएंडर और पूरे परिवार के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की।

डॉ. वेस पेस का जन्म 30 अप्रैल 1945 को गोवा में हुआ था। बचपन से ही उन्हें खेलों में गहरी रुचि थी और उन्होंने खेल के साथ-साथ पढ़ाई में भी उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। पेस एक प्रशिक्षित डॉक्टर थे और चिकित्सा क्षेत्र में भी उनका नाम सम्मान से लिया जाता था। हॉकी में उनका सफर भारतीय खेल इतिहास का अहम हिस्सा है। 1971 में वह हॉकी विश्व कप में ब्रॉन्ज मेडल जीतने वाली भारतीय टीम का हिस्सा रहे और अगले ही साल म्यूनिख ओलंपिक में भी कांस्य पदक जीतकर देश को गौरवान्वित किया।

उनका खेल केवल हॉकी तक सीमित नहीं था। उन्होंने डिवीजनल क्रिकेट,फुटबॉल और रग्बी में भी अपना हुनर दिखाया। उनकी बहुमुखी प्रतिभा का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वह 1996 से 2002 तक भारतीय रग्बी फुटबॉल संघ के अध्यक्ष भी रहे। इसके अलावा,उन्होंने लंबे समय तक कलकत्ता क्रिकेट और फुटबॉल क्लब के अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया।

डॉ. पेस का जीवन इस बात का उदाहरण है कि एक खिलाड़ी न केवल मैदान पर बल्कि खेल प्रशासन और शिक्षा के क्षेत्र में भी अपनी छाप छोड़ सकता है। हॉकी और अन्य खेलों में उनके अनुभव और नेतृत्व ने कई युवा खिलाड़ियों को प्रेरित किया। उनकी सोच हमेशा खेलों को समाज में एक सकारात्मक बदलाव के साधन के रूप में देखने की रही।

लिएंडर पेस,जो भारत के सबसे सफल टेनिस खिलाड़ियों में से एक माने जाते हैं,ने कई बार कहा है कि उनकी सफलता के पीछे उनके पिता की प्रेरणा और अनुशासन का बड़ा हाथ है। वेस पेस ने अपने बेटे को यह सिखाया कि मेहनत,प्रतिबद्धता और धैर्य के साथ ही खेल में ऊँचाइयाँ हासिल की जा सकती हैं।

डॉ. वेस पेस का जाना भारतीय खेल जगत के लिए एक युग का अंत है। उन्होंने अपने जीवन के हर पहलू में उत्कृष्टता की मिसाल पेश की। मैदान पर उनके योगदान,खेल प्रशासन में उनकी दूरदर्शिता और शिक्षा के क्षेत्र में उनकी प्रतिबद्धता ने उन्हें एक अद्वितीय व्यक्तित्व बना दिया। उनके निधन के बाद खेल जगत में एक खालीपन आ गया है,जिसे भरना मुश्किल होगा। उनका नाम और योगदान आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बना रहेगा।