इंडियन ऑयल

वित्त वर्ष 26 की पहली तिमाही में आईओसीएल का मुनाफा 83 प्रतिशत बढ़ा,शेयर कीमत में गिरावट

मुंबई,14 अगस्त (युआईटीवी)- सार्वजनिक क्षेत्र की महारत्न कंपनी इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (आईओसीएल) ने गुरुवार को वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही यानी अप्रैल-जून 2025 के वित्तीय नतीजे जारी किए,जिनमें कंपनी का शुद्ध लाभ पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 83 प्रतिशत की तेज़ वृद्धि के साथ 6,808.12 करोड़ रुपए दर्ज किया गया। यह लाभ पिछले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 3,722.63 करोड़ रुपए था। हालाँकि,यह आँकड़ा मार्च 2025 में समाप्त हुई पिछली तिमाही में दर्ज 8,367.63 करोड़ रुपए के लाभ से कम रहा,जिससे यह स्पष्ट है कि तिमाही-दर-तिमाही आधार पर कंपनी के मुनाफे में कुछ गिरावट आई है।

राजस्व के मोर्चे पर भी आईओसीएल ने मामूली बढ़त दर्ज की। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में परिचालन से राजस्व 0.9 प्रतिशत की सालाना वृद्धि के साथ 2,21,849.02 करोड़ रुपए रहा,जबकि पिछले वर्ष की समान अवधि में यह 2,19,864.34 करोड़ रुपए था। इसका मतलब है कि कंपनी के मुनाफे में बढ़ोतरी मुख्य रूप से लागत नियंत्रण और बेहतर मार्जिन के कारण हुई,न कि राजस्व में बड़ी छलांग के कारण।

खर्च के मामले में,कंपनी ने इस तिमाही में कुल 2,14,830.24 करोड़ रुपए व्यय किए,जो पिछले वर्ष की समान अवधि के 2,16,125.54 करोड़ रुपए से थोड़ा कम है। व्यय के घटकों पर नजर डालें तो उपभोग की गई सामग्री की लागत 1,09,450.8 करोड़ रुपए रही,जबकि स्टॉक-इन-ट्रेड की खरीद पर 47,904.81 करोड़ रुपए खर्च हुए। उत्पाद शुल्क के रूप में कंपनी ने 29,508.37 करोड़ रुपए का भुगतान किया और अन्य व्यय 13,031.67 करोड़ रुपए रहा।

लाभप्रदता के मामले में कंपनी का प्रदर्शन उल्लेखनीय रहा। ब्याज,कर,मूल्यह्रास और परिशोधन से पहले की कमाई (ईबीआईटीडीए) पिछले वर्ष की समान तिमाही के 10,452.51 करोड़ रुपए की तुलना में 32.5 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 13,850.66 करोड़ रुपए तक पहुँच गई। इसके साथ ही,परिचालन मार्जिन में भी सुधार देखने को मिला। वित्त वर्ष 25 की पहली तिमाही में जहाँ परिचालन मार्जिन 2.91 प्रतिशत था,वहीं चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में यह बढ़कर 4.61 प्रतिशत हो गया। हालाँकि,पिछली तिमाही की तुलना में यह थोड़ा कम रहा,क्योंकि मार्च 2025 तिमाही में परिचालन मार्जिन 4.96 प्रतिशत दर्ज किया गया था।

कंपनी ने अपनी नियामकीय फाइलिंग में बताया कि वैश्विक कच्चे तेल के दामों में उतार-चढ़ाव और घरेलू मांग की स्थिति के बावजूद,आईओसीएल ने लागत नियंत्रण और दक्षता सुधार पर ध्यान केंद्रित किया,जिससे लाभप्रदता में यह बढ़ोतरी संभव हुई। ईंधन की माँग में स्थिरता और रिफाइनिंग मार्जिन में सुधार ने भी कंपनी के वित्तीय प्रदर्शन को मजबूती दी।

हालाँकि,इन सकारात्मक नतीजों के बावजूद शेयर बाजार में आईओसीएल के स्टॉक में गिरावट दर्ज की गई। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) पर कंपनी का शेयर 1.58 प्रतिशत टूटकर 140.15 रुपए पर बंद हुआ। बाज़ार विश्लेषकों के मुताबिक,मुनाफे में सालाना आधार पर मजबूत बढ़ोतरी के बावजूद तिमाही-दर-तिमाही गिरावट और राजस्व वृद्धि की धीमी रफ्तार निवेशकों की धारणा को प्रभावित कर रही है। साथ ही,कच्चे तेल की कीमतों में संभावित उतार-चढ़ाव और अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक परिस्थितियों को लेकर चिंताएँ भी निवेशकों को सतर्क बनाए हुए हैं।

शेयर बाज़ार में पिछले छह महीनों के प्रदर्शन की बात करें तो आईओसीएल के शेयरों में 19.65 प्रतिशत की बढ़त देखने को मिली है,जो दर्शाता है कि इस अवधि में निवेशकों ने कंपनी में भरोसा जताया है। हालाँकि,पिछले एक साल में कंपनी के शेयर ने 14 प्रतिशत का घाटा दिया है,जिससे लंबी अवधि के निवेशकों के रिटर्न पर दबाव बना हुआ है।

कंपनी के प्रबंधन का कहना है कि आने वाले महीनों में ईंधन की माँग में बढ़ोतरी,रिफाइनिंग क्षमता के विस्तार और नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं में निवेश से आईओसीएल के प्रदर्शन को समर्थन मिलेगा। साथ ही,सरकार की ऊर्जा संक्रमण और हरित ईंधन को बढ़ावा देने की नीतियों के तहत कंपनी अपने पोर्टफोलियो में विविधता ला रही है,जिसमें बायोफ्यूल,हाइड्रोजन और इलेक्ट्रिक मोबिलिटी से जुड़ी परियोजनाएँ शामिल हैं।

विश्लेषकों का मानना है कि आईओसीएल की वित्त वर्ष 26 की पहली तिमाही के नतीजे इस बात का संकेत हैं कि कंपनी लागत प्रबंधन और संचालन क्षमता में सुधार के जरिए मुनाफा बढ़ाने में सक्षम है। हालाँकि,भविष्य में इसके प्रदर्शन पर वैश्विक तेल कीमतों,मुद्रा विनिमय दरों और घरेलू ईंधन खपत के रुझानों का गहरा असर रहेगा।

वित्तीय नतीजों से साफ है कि आईओसीएल का मुनाफा पिछले साल की तुलना में बड़ी छलांग लगाकर बढ़ा है,लेकिन बाजार में निवेशकों का उत्साह बनाए रखने के लिए तिमाही-दर-तिमाही प्रदर्शन में निरंतरता जरूरी होगी। कंपनी के लिए आने वाला समय लागत प्रबंधन,माँग की स्थिति और वैश्विक आर्थिक परिस्थितियों के हिसाब से रणनीति बनाने का होगा।