नई दिल्ली,18 अगस्त (युआईटीवी)- दिल्ली में एक बार फिर से स्कूलों को बम से उड़ाने की धमकियों ने हड़कंप मचा दिया है। राजधानी के कई नामचीन स्कूलों,जिनमें द्वारका स्थित दिल्ली पब्लिक स्कूल भी शामिल है,को ईमेल के माध्यम से धमकी संदेश मिले। इन धमकियों ने जहाँ छात्रों और अभिभावकों के बीच भय का माहौल पैदा कर दिया है,वहीं राजनीतिक हलकों में भी इस मुद्दे पर घमासान शुरू हो गया है। आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल तथा पूर्व मुख्यमंत्री आतिशी ने इस घटना पर तीखी प्रतिक्रिया दी और भाजपा की केंद्र और राज्य स्तर पर चल रही सरकार को सुरक्षा व्यवस्था में विफल करार दिया।
अरविंद केजरीवाल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि यह कोई पहली बार नहीं है,जब दिल्ली के स्कूलों को धमकी भरे संदेश मिले हों। उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर क्यों बार-बार धमकी देने वालों को पकड़ा नहीं जा रहा और क्यों अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। उन्होंने लिखा कि दिल्ली पब्लिक स्कूल,द्वारका समेत कई स्कूलों को आज फिर बम की धमकियाँ मिली हैं। यह सिलसिला लंबे समय से जारी है,लेकिन अब तक न कोई व्यक्ति पकड़ा गया है और न ही कोई प्रभावी कदम उठाया गया है। केजरीवाल ने सीधे भाजपा पर हमला बोलते हुए कहा कि भाजपा से न तो दिल्ली संभल रही है और न ही दिल्ली की कानून-व्यवस्था। उन्होंने तंज कसा कि भाजपा की चार इंजन वाली सरकार दिल्ली में पूरी तरह विफल साबित हो चुकी है।
इसी कड़ी में आप की वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री आतिशी ने भी तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने एक्स पोस्ट में लिखा कि यह बेहद चिंताजनक है कि दिल्ली के स्कूलों को बार-बार बम से उड़ाने की धमकियाँ मिल रही हैं। उन्होंने कहा कि बच्चों और उनके अभिभावकों में दहशत का माहौल है,लेकिन दिल्ली पुलिस और केंद्र सरकार की तरफ से कोई ठोस सुरक्षा इंतजाम दिखाई नहीं देता। आतिशी ने आरोप लगाया कि भाजपा की चार इंजन वाली सरकार दिल्ली की सुरक्षा व्यवस्था को संभालने में पूरी तरह नाकाम है। उन्होंने पूछा कि आखिर दिल्ली पुलिस क्या कर रही है,जब बार-बार इस तरह की धमकियाँ मिल रही हैं।
दिल्ली पुलिस के अनुसार,धमकी मिलने के बाद प्रोटोकॉल के तहत तुरंत कार्रवाई की गई। पुलिस ने प्रभावित स्कूलों में डॉग स्क्वायड और बम स्क्वायड की टीमें भेजीं और जाँच शुरू की। दमकल विभाग की टीमें भी मौके पर मौजूद थीं। हालाँकि,शुरुआती जाँच में किसी भी स्कूल से कोई संदिग्ध वस्तु बरामद नहीं हुई। अधिकारियों का कहना है कि इस तरह की धमकी भरे ईमेल पहले भी भेजे जा चुके हैं और हर बार ये फर्जी साबित हुए हैं। बावजूद इसके,सुरक्षा को लेकर कोई ढिलाई नहीं बरती जा रही और जाँच एजेंसियाँ लगातार अलर्ट पर हैं।
यह घटना नई नहीं है। पिछले महीने ही 18 जुलाई को दिल्ली के कई स्कूलों को एक साथ धमकी भरे ईमेल मिले थे। उस समय भी पुलिस ने जाँच की थी,लेकिन कहीं भी कोई विस्फोटक या संदिग्ध वस्तु नहीं मिली थी। उससे पहले,16 जुलाई को वसंत वैली स्कूल और द्वारका के सेंट थॉमस स्कूल को इसी तरह की धमकियाँ मिली थीं। 14 जुलाई को चाणक्यपुरी के नेवी स्कूल,द्वारका के सीआरपीएफ स्कूल और रोहिणी के एक स्कूल को ईमेल के जरिए बम धमाकों की धमकी दी गई थी। इन सभी मामलों में जाँच के बाद धमकियाँ झूठी पाई गईं।
विशेषज्ञ मानते हैं कि इस तरह की बार-बार मिलने वाली धमकियाँ सिर्फ डर और अफरा-तफरी फैलाने की कोशिश होती हैं,लेकिन,जब बात बच्चों और स्कूलों की सुरक्षा की हो,तो कोई भी लापरवाही खतरनाक साबित हो सकती है। यही कारण है कि हर बार इन धमकियों को गंभीरता से लिया जाता है और सुरक्षा एजेंसियाँ पूरी तरह सक्रिय हो जाती हैं।
राजनीतिक स्तर पर यह मुद्दा लगातार गरमा रहा है। आप नेताओं का कहना है कि जब एक बार नहीं,बल्कि कई बार ऐसी घटनाएँ हो चुकी हैं,तो सरकार और पुलिस को इसकी तह तक जाकर अपराधियों को बेनकाब करना चाहिए। वहीं भाजपा नेताओं का तर्क है कि विपक्ष केवल राजनीतिक लाभ उठाने के लिए इस मुद्दे को तूल दे रहा है,लेकिन हकीकत यह है कि धमकियों की वजह से छात्र और उनके परिवार मानसिक तनाव से गुजर रहे हैं और स्कूल प्रबंधन के लिए भी यह स्थिति असहज हो चुकी है।
वर्तमान परिदृश्य में सबसे बड़ी चुनौती यह है कि बच्चों और अभिभावकों का विश्वास बहाल किया जाए। अभिभावक चाहते हैं कि उनके बच्चे सुरक्षित माहौल में पढ़ाई करें और स्कूलों को लेकर हर तरह की सुरक्षा व्यवस्था पुख्ता हो। वहीं स्कूल प्रबंधन चाहता है कि इस तरह की घटनाओं से शिक्षा व्यवस्था प्रभावित न हो।
दिल्ली में लगातार मिल रही इन धमकियों ने कानून-व्यवस्था पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं। जहाँ एक ओर आप नेताओं ने भाजपा पर निशाना साधते हुए इसे सरकार की नाकामी बताया है,वहीं भाजपा का कहना है कि बिना सबूत सरकार पर आरोप लगाना सिर्फ सियासत है,लेकिन,इस राजनीतिक बयानबाजी के बीच सबसे ज्यादा प्रभावित बच्चे और उनके परिवार हैं,जो हर बार ऐसी धमकियों से दहशत में आ जाते हैं।
अब देखना होगा कि दिल्ली पुलिस और सुरक्षा एजेंसियाँ इस सिलसिलेवार धमकी कांड की तह तक जाकर असली दोषियों को पकड़ने में कितनी सफल होती हैं। फिलहाल,यह साफ है कि बार-बार स्कूलों को मिल रही धमकियाँ न सिर्फ दिल्ली की सुरक्षा व्यवस्था की परीक्षा ले रही हैं,बल्कि यह भी साबित कर रही हैं कि बच्चों और शिक्षा संस्थानों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देने की जरूरत है।