नई दिल्ली,18 अगस्त (युआईटीवी)- राजधानी दिल्ली एक बार फिर से बम धमकी के ईमेल से दहशत में आ गई। सोमवार सुबह द्वारका सेक्टर-4 स्थित मॉडर्न कॉन्वेंट स्कूल को धमकी भरा ईमेल मिला,जिसके बाद स्कूल परिसर में अफरा-तफरी मच गई। यह घटना सुबह 18 अगस्त को करीब 6:30 से 7:00 बजे के बीच की बताई जा रही है। जैसे ही स्कूल प्रशासन को धमकी वाला मेल मिला,उन्होंने तुरंत इसकी सूचना पुलिस को दी। जानकारी मिलते ही पुलिस और बम निरोधक दस्ते की टीम मौके पर पहुँची और पूरे स्कूल परिसर को सुरक्षा घेरे में लेकर तलाशी अभियान शुरू कर दिया।
सुबह का समय होने के कारण उस वक्त अधिकांश बच्चे और अभिभावक स्कूल आने ही वाले थे,लेकिन प्रशासन ने सतर्कता दिखाते हुए बच्चों और अभिभावकों को स्कूल परिसर के बाहर ही रोक दिया। तलाशी अभियान के दौरान सभी कमरों,गलियारों और खुले स्थानों की गहन जाँच की गई। इस दौरान डॉग स्क्वॉड और बम निरोधक दस्ता भी मौजूद था। करीब 8:15 बजे तक पूरी तलाशी पूरी हुई। राहत की बात यह रही कि जाँच में कोई संदिग्ध वस्तु या विस्फोटक सामग्री बरामद नहीं हुई। इसके बावजूद एहतियातन स्कूल के बाहर पुलिस बल को तैनात कर दिया गया,ताकि किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटा जा सके।
मॉडर्न कॉन्वेंट स्कूल की इस घटना ने एक बार फिर से अभिभावकों और छात्रों के बीच चिंता पैदा कर दी है। हाल के महीनों में यह कोई पहली बार नहीं है,जब दिल्ली-एनसीआर के स्कूलों को बम धमकी के ईमेल मिले हों। बीते कुछ समय में कई बार इस तरह की घटनाओं ने स्कूलों और माता-पिता को तनाव में डाल दिया है।
पिछले महीने ही 18 जुलाई को दिल्ली के कई स्कूलों को एक साथ धमकी भरे ईमेल मिले थे। उन ईमेल में बम धमाकों की चेतावनी दी गई थी। जैसे ही यह खबर सामने आई,कई स्कूलों में हड़कंप मच गया और पुलिस ने तत्काल कार्रवाई करते हुए प्रोटोकॉल के अनुसार तलाशी अभियान शुरू किया। डॉग स्क्वॉड,बम स्क्वॉड और दमकल विभाग की टीमें मौके पर भेजी गईं। हालाँकि,घंटों चली जाँच के बावजूद कहीं से कोई विस्फोटक सामग्री नहीं मिली।
इसके अलावा 16 जुलाई को भी दक्षिणी दिल्ली के वसंत वैली स्कूल और द्वारका स्थित सेंट थॉमस स्कूल को ईमेल के जरिए धमकी मिली थी। इससे ठीक दो दिन पहले 14 जुलाई को भी तीन स्कूलों को धमकी भरे मेल भेजे गए थे। इनमें चाणक्यपुरी का नेवी स्कूल,द्वारका का सीआरपीएफ स्कूल और रोहिणी का एक अन्य स्कूल शामिल था। इन तीनों मामलों में भी पुलिस को कोई विस्फोटक या संदिग्ध वस्तु बरामद नहीं हुई थी। जाँच के बाद यह स्पष्ट हुआ कि सभी धमकियाँ झूठी थीं और केवल डर और अफवाह फैलाने के लिए भेजी गई थीं।
लगातार मिल रही इन धमकियों ने दिल्ली पुलिस की चिंता बढ़ा दी है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की फर्जी धमकियाँ न केवल बच्चों और अभिभावकों को डराती हैं,बल्कि प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियों पर भी अनावश्यक दबाव डालती हैं। हर बार पूरी सुरक्षा टीम को सक्रिय करना पड़ता है,जिससे संसाधनों पर अतिरिक्त बोझ पड़ता है। हालाँकि,पुलिस का कहना है कि किसी भी धमकी को हल्के में नहीं लिया जा सकता,इसलिए हर बार पूरी तरह जाँच करना आवश्यक है।
मॉडर्न कॉन्वेंट स्कूल की घटना में भी पुलिस ने तत्परता से काम करते हुए पूरे स्कूल की तलाशी ली और स्थिति सामान्य होने तक बच्चों को परिसर में प्रवेश नहीं करने दिया। कई अभिभावक इस दौरान बाहर खड़े रहे और वे अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर बेहद चिंतित दिखाई दिए। जैसे ही तलाशी अभियान पूरा हुआ और यह पुष्टि हुई कि धमकी झूठी थी,सभी ने राहत की सांस ली।
विशेषज्ञ इस बात पर भी जोर देते हैं कि साइबर अपराधियों द्वारा लगातार इस तरह के ईमेल भेजे जा रहे हैं और उनका उद्देश्य केवल दहशत फैलाना है। पुलिस की साइबर सेल ऐसे मामलों में ईमेल की लोकेशन और स्रोत का पता लगाने की कोशिश कर रही है। हालाँकि,कई बार ये ईमेल फर्जी आईडी या वीपीएन के जरिए भेजे जाते हैं,जिससे जाँच जटिल हो जाती है।
दिल्ली-एनसीआर में लगातार मिल रही इन धमकियों ने सुरक्षा एजेंसियों को और ज्यादा सतर्क बना दिया है। स्कूल प्रबंधन को भी सलाह दी जा रही है कि वे ऐसी स्थितियों में तुरंत पुलिस को सूचित करें और बिना जाँच पूरी हुए अफवाहों पर यकीन न करें। साथ ही,छात्रों और अभिभावकों से संयम बनाए रखने की अपील भी की जा रही है।
हालाँकि,यह घटना अफवाह साबित हुई,लेकिन इसने एक बार फिर से सवाल खड़े किए हैं कि आखिर कौन लोग बार-बार इस तरह की धमकियाँ देकर समाज में डर का माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं। मॉडर्न कॉन्वेंट स्कूल की यह घटना साबित करती है कि सुरक्षा एजेंसियों को अब केवल प्रतिक्रियात्मक नहीं,बल्कि रोकथाम के स्तर पर भी ठोस कदम उठाने होंगे।
फिलहाल स्थिति सामान्य है और स्कूल में पढ़ाई फिर से शुरू कर दी गई है,लेकिन इस घटना ने यह साफ कर दिया है कि अभिभावक और बच्चे अब तक के अनुभवों से गहरे असहज हो चुके हैं। राजधानी में जब तक इस तरह की फर्जी धमकियों के स्रोत का पता लगाकर दोषियों को सख्त सजा नहीं दी जाएगी,तब तक डर और असुरक्षा का यह माहौल पूरी तरह खत्म नहीं हो सकेगा।